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पिछले वर्ष 15 हजार से अधिक प्रत्यारोपण हुए थे. यह अब तक की सबसे बड़ी संख्या है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से अंगदान करने के लिए आगे आने का आह्वान किया है. अपने मासिक रेडियो संबोधन ‘मन की बात’ में उन्होंने यह रेखांकित किया कि एक व्यक्ति द्वारा किये गये अंगदान से आठ-नौ लोगों को जीवनदान मिल सकता है. प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि लोगों को अंगदान के लिए प्रोत्साहित करने के लिए अनेक नियम बनाये गये हैं. हाल में सरकार ने न्यूनतम आयु सीमा और निवास स्थान से संबंधित बाध्यताओं को समाप्त करने का निर्णय लिया है.

अब कोई भी रोगी देश के किसी भी प्रांत में अंग प्रत्यारोपण के लिए अपना पंजीकरण करा सकता है. पहले यह नियम था कि 65 वर्ष से अधिक आयु का व्यक्ति अंगदान कर सकता है. पर अब इस प्रावधान को हटा दिया गया है. उल्लेखनीय है कि देश में अंग प्रत्यारोपण में बढ़ोतरी हो रही है. पिछले वर्ष 15 हजार से अधिक प्रत्यारोपण हुए थे. यह अब तक की सबसे बड़ी संख्या है.

यद्यपि 27 प्रतिशत की यह वार्षिक बढ़ोतरी संतोषजनक है, लेकिन इसकी गति में तीव्रता आनी चाहिए. इसके लिए वर्तमान व्यवस्था और नियमों में अधिक सुधारों की आवश्यकता है. अंगदान और प्रत्यारोपण से संबंधित सभी संगठनों के बीच बेहतर समन्वय भी जरूरी है. एक बड़ी समस्या संसाधनों के अभाव के रूप में है. भारत में 640 से अधिक बड़े अस्पताल और मेडिकल कॉलेज हैं. लेकिन अंग प्रत्यारोपण की सुविधा बड़े शहरों के कुछ ही अस्पतालों तक सीमित है.

विशेषज्ञ डॉक्टरों और कर्मियों की भी कमी है. इसलिए प्रत्यारोपण से जुड़े पाठ्यक्रमों, प्रशिक्षण कार्यक्रमों और संसाधनों का विस्तार होना चाहिए. ऐसा करने से अधिक लोग अंगदान कर सकेंगे और अधिक लोगों को नया जीवन मिल सकेगा. ऐसा करके हम प्रधानमंत्री मोदी के आह्वान को साकार करने में सफल हो सकेंगे. अंगदान करने वाले व्यक्ति तथा अंग प्राप्त करने वाले व्यक्ति के परिजनों को ऐसा कर बड़ा संतोष और आनंद मिलता है. संसाधन और सुविधा के विस्तार से प्रत्यारोपण के खर्च में भी कमी आयेगी.

हमारे देश की जनसंख्या का बड़ा हिस्सा कामकाजी आयु वर्ग (15-59 साल) से है और अपेक्षाकृत युवा है, परंतु बुजुर्गों की तादाद में भी बढ़ोतरी हो रही है. उनका जीवन अच्छा हो, इसके लिए जागरूकता और संचार बढ़ाने पर ध्यान दिया जाना चाहिए. इन प्रयासों में मीडिया, सचेत नागरिक संगठनों और विविध संस्थाओं की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है.

विभिन्न अध्ययनों में कहा गया है कि मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में अंगदान के केंद्र होने चाहिए, जहां इच्छुक लोग अपना पंजीकरण करा सकें. आज के समय में इन सूचनाओं की उपलब्धता हर स्थान पर हो सकती है तथा रोगी को अंग मिलने में आसानी हो सकती है. अंगदान को एक जन अभियान बनाया जाना चाहिए.

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