IMF conditions : आइएमएफ ने बेलआउट प्रोग्राम के तहत पाकिस्तान को कर्ज की अगली किस्त जारी करने के बदले उस पर जिस तरह नयी ग्यारह शर्तें थोपी है, उसे भारत के दबाव का ही नतीजा माना जाना चाहिए. आइएमएफ द्वारा थोपी गयी नयी शर्तों में पाकिस्तान को रिकॉर्ड 17.6 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये के संघीय बजट को संसद की मंजूरी दिलाने, नये कृषि आयकर कानून लागू करने, रिटर्न प्रोसेसिंग, करदाताओं की पहचान और उनका रजिस्ट्रेशन करना शामिल है.
पाकिस्तान को आइएमएफ की सिफारिशों के अनुरूप एक गवर्नेंस एक्शन प्लान पेश करना पड़ेगा. ऊर्जा क्षेत्र में भी चार नयी शर्तें जोड़ी गयी हैं, जिनमें पाकिस्तान सरकार को एक जुलाई तक वार्षिक बिजली शुल्क पुनर्मूल्यांकन की अधिसूचना जारी करना तथा 2025 तक ऊर्जा शुल्क को लागत वसूली के स्तर पर बनाये रखना है. एक अन्य शर्त में कहा गया है कि सरकार 2027 के बाद के वित्तीय क्षेत्र की रणनीति तथा 2028 से संस्थागत और नियामक वातावरण के लिए एक योजना तैयार कर प्रकाशित करेगी.
भारत के साथ बढ़ते आर्थिक तनाव को पाकिस्तान के लिए खतरा बताते हुए आइएमएफ ने यह भी कहा है कि अगर भारत के साथ तनाव बढ़ता है, तो उसका सीधा असर पाकिस्तान की राजकोषीय स्थिति पर पड़ेगा. लेकिन गहराई से देखें, तो लगता नहीं है कि आइएमएफ पाकिस्तान को दिये जाने वाला कर्ज रोकने जैसा बड़ा कदम उठायेगा. दरअसल पाकिस्तान ने आइएमएफ को यह भरोसा दिलाया है कि वह आर्थिक स्थिरता लाने, मजबूत रिजर्व बनाने तथा विकास को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक कदम उठायेगा. आइएमएफ पाकिस्तान के इस दावे पर जिस तरह भरोसा कर रहा है, वही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का रवैया बताने के लिए काफी है.
तथ्य यह है कि बेलआउट प्रोग्राम के अलावा पाकिस्तान को जलवायु परिवर्तन के नाम पर 1.4 अरब डॉलर की अतिरिक्त मदद भी दी जानी है. भारत ने इसका विरोध किया है, लेकिन अमेरिका और यूरोपीय देशों के समर्थन के कारण पाकिस्तान को यह कर्ज मिलने वाला है. इस कारण भी आतंकवाद के प्रायोजक पाकिस्तान की आर्थिक मदद रोकने की दिशा में वैश्विक स्तर पर ठोस कदम उठाये जाने की उम्मीद कम दिखती है. पर फिलहाल पाकिस्तान पर नयी शर्तें लाद देना भी कम नहीं है.