27.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

प्रधानमंत्री मोदी का पाकिस्तान को कड़ा संदेश

PM Modi : पहलगाम हमले की भारतीय प्रतिक्रिया, जाहिर है, बहुत सफल रही है. हमारी सेना ने सिर्फ आतंकी ठिकानों पर ही सटीक हमला नहीं किया, बल्कि पाक सेना के उकसावे पर उसके सैन्य ठिकानों पर भी जबर्दस्त हमला बोला.

PM Modi : वर्ष 2008 के मुंबई हमले के बाद पहलगाम में हुआ आतंकवादी हमला सबसे भीषण था, जिसमें आतंकवादियों ने सीधे भारत सरकार और प्रधानमंत्री को चुनौती दी. चूंकि इसके पहले के दो आतंकवादी हमलों का हमने सर्जिकल और एयर स्ट्राइक के जरिये जवाब दिया था, ऐसे में, पहलगाम हमले के बाद भारत की तरफ से सख्त जवाब दिये जाने की संभावना थी. इस पर भी लगभग सहमति थी कि पहलगाम हमले का जवाब ज्यादा बड़ा होगा, जैसा कि सरकार और खुद प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया से भी लगता था.

पहलगाम हमले की भारतीय प्रतिक्रिया, जाहिर है, बहुत सफल रही है. हमारी सेना ने सिर्फ आतंकी ठिकानों पर ही सटीक हमला नहीं किया, बल्कि पाक सेना के उकसावे पर उसके सैन्य ठिकानों पर भी जबर्दस्त हमला बोला. जवाबी कार्रवाई में चीन और तुर्किये की मिसाइलें और युद्धक विमान धरे के धरे रह गये. यह भी साफ है कि भारत के हमलों से घबराकर पाकिस्तान को अमेरिका की शरण में जाना पड़ा और संघर्षविराम पर सहमति बनी. हालांकि उसके बाद भी पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आया और जब-तब पाक सैनिकों की तरफ से संघर्षविराम के उल्लंघन के ब्योरे आ रहे हैं.


इस पृष्ठभूमि में हमारे प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम संबोधन में पाकिस्तान को बहुत ठोस संदेश दिया है. उन्होंने बहुत अर्थपूर्ण ढंग से कहा कि ऑपरेशन सिंदूर अब आतंकवाद के खिलाफ भारत की नयी नीति है. इसका मतलब यह है कि भविष्य में अगर पाकिस्तान की तरफ से आतंकी हमले की हिमाकत होती है, तो इसी तरह से करारा जवाब दिया जायेगा. उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान का न्यूक्लियर ब्लैकमेल भारत जरा भी सहने वाला नहीं है.

दरअसल पाकिस्तान अभी तक परमाणु हमले की धौंस देता रहा है. लेकिन बताया यह जाता है कि भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान के परमाणु जखीरे भी भारतीय सेना के निशाने पर आ गये थे. प्रधानमंत्री का इशारा इस ओर हो, तो आश्चर्य नहीं. चूंकि संघर्षविराम के तुरंत पाक प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री ने सिंधु जल समझौता और कश्मीर जैसे मुद्दों पर भारत से वार्ता करने की इच्छा जतायी, तो उसके जवाब में प्रधानमंत्री ने दोटूक कहा कि पाकिस्तान से बातचीत सिर्फ आतंकवाद और पाक अधिकृत कश्मीर पर होगी. इस तरह उन्होंने पाकिस्तान के साथ-साथ उन वैश्विक खिलाड़ियों को भी सख्त संदेश दे दिया है, जो इस संघर्ष में मध्यस्थता करने या फिर भारत-पाक के बीच बातचीत की इच्छा जता रहे थे.


पाकिस्तान के बारे में हमारी आम धारणा यह है, जैसा कि विदेश सचिव रहते हुए खुद मैंने भी महसूस किया था, कि वहां के लोग हमारे दोस्त हैं, पाकिस्तान के अनेक राजनेता भी भारत के दोस्त हैं, लेकिन वहां की सेना भारत से दूरी बनाये रखना चाहती है. भारत के प्रति पाक सेनाध्यक्ष की आक्रामकता के ठीक बाद पहलगाम हमला हुआ. संघर्षविराम की घोषणा के बाद पाकिस्तान की तरफ से इसके उल्लंघन के मामले सामने आये. यह पाक सेना की आक्रामकता तो थी ही, इसे एक दूसरे नजरिये से भी देखा जाना चाहिए. पहलगाम हमले के बाद हमारे यहां राजनीतिक तौर पर एकता देखी गयी. जब प्रधानमंत्री ने सेना को पाक प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ फैसले लेने की स्वतंत्रता दी, तो विपक्षी दल भी इस फैसले के साथ थे.

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी हमने सेना के तीनों अंगों के बीच शानदार तालमेल देखा. लेकिन पाकिस्तान में किसी भी स्तर पर यह तालमेल नहीं दिखाई पड़ा. यह सबको मालूम है कि पाकिस्तान में सेना सर्वोच्च है, राजनीतिक सत्ता प्रतिष्ठान तो दिखावे भर का है. लेकिन संघर्षविराम की घोषणा के बाद उस तरफ से उसका उल्लंघन पाकिस्तान की दयनीयता और तालमेल की कमी के बारे में भी बताता है.


वैसे भी पाकिस्तान एक अस्थिर देश है. लेकिन लंबे समय से वहां उथल-पुथल का माहौल कुछ ज्यादा ही है. पाक अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बाल्टिस्तान में ज्यादातर शिया मुस्लिम हैं, जो सरकार की नीतियों से असहमत हैं. वहां बड़े पैमाने पर बाहरियों और पंजाबियों को जमीन बेची जा रही है, जिसका वे विरोध कर रहे हैं. बलूचिस्तान में लंबे समय से इस्लामाबाद के खिलाफ संघर्ष चल रहा है. सिर्फ यही नहीं कि पिछले दिनों आंदोलनकारियों ने पाक सेना को नाकों चने चबवा दिये और एक ट्रेन को अगवा कर लिया, बल्कि भारत के साथ संघर्ष के दौरान भी उन्होंने पाक सेना के खिलाफ अभियान छेड़ा. खैबर पख्तनूख्वा में भी इस्लामाबाद की नीतियों के खिलाफ असंतोष है.

पाकिस्तान इन तमाम चुनौतियों से निपट रहा है. ऐसे में, उसकी सेना धर्म के आधार पर भारत के खिलाफ अभियान चलाने की साजिश रच रही थी. पहलगाम हमले को इसी साजिश के तहत अंजाम दिया गया. पाकिस्तान के विपरीत, हमारे यहां जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद सिर्फ वहां विकास का काम ही आगे नहीं बढ़ा है, कश्मीरी लोग नयी दिल्ली के ज्यादा करीब भी आये हैं. वे जम्मू-कश्मीर में हो रहे विकास का अर्थ और उसका महत्व समझ रहे हैं. पहलगाम हमले के बाद कश्मीर के तमाम इलाकों में लोगों ने सड़कों पर उतरकर जो विरोध प्रदर्शन किया, उससे भी साफ है कि लोग अमन-चैन चाहते हैं. वे समझ रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर में विकास का लाभ उन्हें तभी मिलेगा, जब वहां शांति और स्थिरता का माहौल रहेगा.


संघर्ष के दौरान भारतीय सेना जब पाकिस्तान को धूल चटा रही थी, तब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जिस तरह संघर्षविराम की घोषणा की और भारत के साथ-साथ पाकिस्तान के कथित मजबूत एवं दृढ़ नेतृत्व की जिस तरह प्रशंसा की, वह हैरान तो करता ही है, अमेरिका की असलियत के बारे में भी बताता है. ध्यान देने की बात यह है कि पाकिस्तान के प्रति ट्रंप का यह रवैया उनके पहले राष्ट्रपति काल से अलग है. ट्रंप ने यह भी कहा कि यदि आप संघर्ष रोकते हैं, तो हम व्यापार करेंगे, और यदि आप यह संघर्ष नहीं रोकते हैं, तो हम कोई व्यापार नहीं करेंगे. इससे यह भी पता चलता है कि ट्रंप इस उपमहाद्वीप में शांति की स्थापना के उतने इच्छुक नहीं हैं, बल्कि उनकी दिलचस्पी हथियार बेचने में कहीं ज्यादा है. लेकिन कुल मिलाकर, संघर्षविराम के बाद आशंकाएं छंट गयी हैं और स्थिति सामान्य होने की तरफ है. हालांकि पाकिस्तान अब भी जब-तब उकसावे की कोशिश कर रहा है, लेकिन उसे भी मालूम है कि भारत ने उसके मर्म पर हमला किया है. उसे यह भी मालूम हो गया है कि शरारत करने पर भारत फिर ऑपरेशन सिंदूर दोहरायेगा. फिलहाल हमारे लिए यह बहुत संतोष की बात है.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel