Rare Earth Magnets : चीन द्वारा भारत को रेयर अर्थ मैग्नेट की आपूर्ति रोक देने के बाद चूंकि देश के कई उद्योग क्षेत्रों के लिए संकट की स्थिति पैदा हो गयी है, ऐसे में, नेशनल क्रिटिकल मिनरल्स मिशन (एनसीएमएम) के तहत घरेलू स्तर पर रेयर अर्थ मैग्नेट का उत्पादन बढ़ाने का फैसला उचित ही है. चीन के इनकार के बाद दुनियाभर के टेक्नोलॉजी, ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र पर इसका सीधा असर पड़ा है और भारत सहित कई देशों में वाहन व सेमीकंडक्टर चिप के विनिर्माण में बाधा उत्पन्न हुई है. चीन का रेयर अर्थ मैग्नेट्स के क्षेत्र में दबदबा है और वह विश्व स्तर पर इसके करीब 60 फीसदी का उत्पादन करता है. लगभग 90 प्रतिशत कच्चे माल का प्रसंस्करण भी वहीं होता है.
रेयर अर्थ मैग्नेट में नियोडिमियम-आयरन-बोरॉन शामिल हैं. इनका उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों में ट्रैक्शन मोटर और इलेक्ट्रिक तथा परंपराहत वाहनों में पावर स्टीयरिंग मोटर के लिए किया जाता है. भारी उद्योग, रोबोटिक्स, बैटरियों और रक्षा उपकरणों में भी इनका इस्तेमाल होता है. भारत को रेयर अर्थ मैग्नेट की जरूरत इसलिए भी है, क्योंकि 2030 तक देश में बिकने वाली नयी गाड़ियों में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत तक करने का लक्ष्य रखा गया है. देश में रेयर अर्थ मैग्नेट का उत्पादन अब तक सीमित था, जिस कारण चीन जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर निर्भरता बनी हुई थी.
घरेलू स्तर पर उत्पादन बढ़ाने के अलावा सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की खनन कंपनी इंडियन रेयर अर्थ्स लिमिटेड (आइआरइएल) को जापान के साथ लंबे समय से चले आ रहे निर्यात समझौते को रद्द करने का भी निर्देश दिया है. देश में रेयर अर्थ के प्रसंस्करण की सुविधा कम होने के कारण आइआरइएल अब तक देश में उत्पादित रेयर अर्थ मैग्नेट का निर्यात कर देता था. लेकिन अब इन महत्वपूर्ण खनिजों को घरेलू इस्तेमाल के लिए सुरक्षित रखा जायेगा.
इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए सरकार सब्सिडी योजनाएं और अन्य प्रोत्साहन भी प्रदान करने पर विचार कर रही है. इस बीच सरकार वियतनाम, जापान, अर्जेंटीना, ब्राजील और चिली जैसे देशों से रेयर अर्थ मैग्नेट की खरीद की संभावना तलाशेगी. इससे न केवल चीन पर भारतीय निर्भरता घटेगी, बल्कि वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक और इवी क्षेत्र में भारत बड़ी भूमिका निभा सकेगा.