Parakh National Survey 2024 : शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी ‘परख’ राष्ट्रीय सर्वेक्षण, 2024 की रिपोर्ट खासकर प्राथमिक शिक्षा में सुधार की आवश्यकता को रेखांकित करती है और बताती है कि खासकर प्राथमिक शिक्षा अब भी कोरोना महामारी के असर से बाहर नहीं निकल पायी है. दिसंबर, 2024 में देश के कुल 781 जिलों के 74,229 सरकारी और निजी स्कूलों में तीसरी, छठी और नौवीं कक्षा के 21.15 लाख छात्रों का मूल्यांकन किया गया. इससे जो निष्कर्ष निकल कर आया, उससे यह पता चलता है कि प्राथमिक स्तर पर सीखने का स्तर अब भी कोविड पूर्व स्तर पर नहीं पहुंचा है. यानी कोरोना ने बच्चों की पढ़ाई पर जो असर डाला था, वह अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है.
उदाहरण के लिए, 2024 में भाषा और गणित में कक्षा तीन के छात्रों का प्रदर्शन 2021 की तुलना में तो बेहतर रहा, लेकिन उनके अंक 2017 के कोविड पूर्व स्तर से कम रहे. पिछले साल कक्षा तीन के छात्रों ने भाषा में 64 फीसदी का औसत राष्ट्रीय स्कोर दर्ज किया, जो 2021 के 62 प्रतिशत से तो अधिक है, लेकिन 2017 के 66 फीसदी से कम है. इसी तरह गणित में तीसरी कक्षा का औसत राष्ट्रीय स्कोर 60 फीसदी रहा, जो 2021 के 57 प्रतिशत से अधिक, लेकिन 2017 के 63 प्रतिशत से कम था. छठी और नौवीं कक्षाओं का प्रदर्शन तो और भी चिंताजनक रहा, जहां भाषा को छोड़कर सभी विषयों में औसत राष्ट्रीय स्कोर 50 फीसदी से कम रहा.
शिक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, छठी और नौवीं कक्षाओं के छात्र उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन इसलिए नहीं कर पाये, क्योंकि महामारी के कारण उन्हें लगभग दो साल का नुकसान हुआ था. ‘परख’ की रिपोर्ट से यह हकीकत भी सामने आती है कि छठी कक्षा के मात्र 53 प्रतिशत बच्चे ही 10 तक का पहाड़ा जानते हैं, तीसरी कक्षा के केवल 55 फीसदी बच्चे ही 99 तक की संख्या को क्रम में लिखने में सक्षम हैं, जबकि मात्र 58 फीसदी छात्र दो अंकों का जोड़ और घटाव कर पाते हैं.
छात्रों की गणितीय समझ और संख्याओं के उपयोग में तो गंभीर खामियां दिखाई पड़ी ही, स्कूलों की शैक्षिक गुणवत्ता में असमानता अब भी एक बड़ी चुनौती है. हालांकि पंजाब, केरल और हिमाचल प्रदेश जैसे कुछ राज्यों के स्कूलों का प्रदर्शन अच्छा दिखा, लेकिन कुल मिलाकर स्कूली शिक्षा में सुधार की बड़ी आवश्यकता है. शिक्षा व्यवस्था में अपेक्षित सुधार के लिए परख का यह सर्वेक्षण बहुत कारगर साबित हो सकता है.