-सम्राट चौधरी, उपमुख्यमंत्री, बिहार-
Special Intensive Revision : लोकतंत्र की असली ताकत उसके जागरूक मतदाताओं में होती है. और जब बात बिहार जैसे राजनीतिक रूप से सजग राज्य की हो, तो मतदाता पुनरीक्षण सिर्फ एक तकनीकी प्रक्रिया नहीं, बल्कि लोकतंत्र की आत्मा को और जीवंत करने का जरिया बन जाता है. भारतीय जनता पार्टी इस दिशा में न सिर्फ गंभीर है, बल्कि पूरी तरह सक्रिय भी है. हमारे कार्यकर्ता गांव-गांव, घर-घर जाकर लोगों को वोटर सूची में नाम जुड़वाने, सुधार करवाने और पुष्टि करने के लिए लगातार प्रेरित कर रहे हैं. यह लोकतंत्र के प्रति हमारी आस्था का प्रतीक है. खास बात यह है कि भाजपा युवाओं को विशेष रूप से जोड़ने में जुटी है. बूथ स्तर तक हमारे युवा मोर्चा के साथी पहली बार वोटर बनने वाले नौजवानों से संवाद कर रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी खुद कई बार यह संदेश दे चुके हैं कि लोकतंत्र में युवाओं की भागीदारी जितनी गहरी होगी, देश उतना ही मजबूत होगा.
बिहार में चल रहे मतदाता पुनरीक्षण अभियान को लेकर जहां जनता में जागरूकता बढ़ रही है, वहीं विपक्षी दल भ्रम फैलाने का प्रयास कर रहे हैं. भाजपा का मानना है कि यह प्रक्रिया पूरी तरह निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार, पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से की जा रही है. पर विपक्ष द्वारा कभी मतदाता सूची में गड़बड़ी का आरोप, तो कभी राजनीतिक लाभ के लिए प्रक्रिया को गलत ढंग से पेश करना जनता को गुमराह करने की कोशिश है. जब लोकतंत्र की जड़ें मजबूत करने का अवसर है, तब कुछ राजनीतिक दल जनता के बीच असमंजस और अविश्वास का माहौल बना रहे हैं. ऐसी राजनीति से जनता का भरोसा कमजोर होता है और प्रशासनिक व्यवस्था पर अनावश्यक दबाव पड़ता है. भाजपा के लिए लोकतंत्र केवल चुनाव जीतने का रास्ता नहीं है, यह जनता के विश्वास का दायित्व है. हम चाहते हैं कि हर नागरिक का नाम सूची में हो, हर आवाज सुनी जाये और हर वोट लोकतंत्र की शक्ति को बढ़ाये. वर्ष 2003 में जब इसी तरह का गहन पुनरीक्षण हुआ था, तब चुनाव आयोग ने केवल 31 दिनों में सत्यापन प्रक्रिया पूरी कर ली थी. आज डिजिटल युग में जब प्रक्रियाएं पहले से कहीं तेज हैं, तो दो महीने का समय पर्याप्त और तार्किक है. एनडीए शासन में हर नागरिक को मतदान का अधिकार सुरक्षित मिला है. चुनाव आयोग स्वयं कह चुका है कि बीएलओ तीन बार सत्यापन के लिए घर-घर जायेंगे और कोई नाम बिना उचित जांच के नहीं हटेगा. मतदाता सूची को अद्यतन करना लोकतंत्र की मजबूती के लिए आवश्यक है, और जब चुनाव आयोग सभी राजनीतिक दलों को इस प्रक्रिया में भागीदार बना रहा है, तब विपक्ष को इसे सहयोग की भावना से देखना चाहिए. यह समय भ्रम फैलाने का नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक जिम्मेदारी निभाने का है.
बिहार में मतदाता पुनरीक्षण को लेकर जनता की भागीदारी उत्साहजनक रही है. निर्वाचन आयोग के अनुसार, सबसे अधिक फॉर्म पटना, दरभंगा, और गया जिलों से प्राप्त हुए हैं. मुजफ्फरपुर जिले में एक 102 वर्षीय महिला मतदाता ने पुनः पंजीकरण कराया, जो बुजुर्गों की सहभागिता का प्रतीक है. वहीं दरभंगा जिले के बीएलओ श्री अजय कुमार को आयोग द्वारा विशेष प्रशंसा मिली, क्योंकि उन्होंने 150 से अधिक दिव्यांग और बुजुर्ग मतदाताओं के घर जाकर उनका पंजीकरण कराया. यह अभियान एक सामाजिक संकल्प बन गया है, जिसमें समाज के हर वर्ग की हिस्सेदारी सुनिश्चित हो रही है. अब तक 7.90 करोड़ मतदाताओं में से 90 फीसदी यानी 7.11 करोड़ से अधिक मतदाता अपने फॉर्म जमा कर चुके हैं. यह बिहार की जनता की लोकतंत्र में आस्था का परिचायक है. हमारे 77,895 मौजूदा बीएलओ, 20,603 नये बीएलओ और चार लाख से अधिक स्वयंसेवकों ने अपनी मेहनत और सेवा भावना से सुनिश्चित किया है कि कोई नागरिक, चाहे वह वरिष्ठ नागरिक हो, दिव्यांग हो, बीमार हो या अन्य किसी संवेदनशील स्थिति में हो, वोटर सूची में शामिल होने से वंचित न रहे. मतदाता पुनरीक्षण अभियान के पहले 15 दिनों में ही 57.48 प्रतिशत, यानी 4.53 करोड़ से अधिक प्रपत्र जमा हो चुके हैं. इस प्रक्रिया में सभी मान्यताप्राप्त राजनीतिक दलों द्वारा नियुक्त 1.56 लाख बूथ लेवल एजेंट्स (बीएलए) भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. यह एक समन्वित प्रयास है, जहां प्रशासन, राजनीतिक दल और जनता मिलकर लोकतंत्र की मजबूती के लिए कार्य कर रहे हैं.
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ने बड़ा कदम उठाते हुए राज्य के 65.85 लाख मृतकों के आधार नंबर निष्क्रिय कर दिये हैं. इससे न सिर्फ सरकारी संसाधनों की बचत होगी, बल्कि पारदर्शी और जवाबदेह शासन की दिशा में भी यह एक अहम पहल है. सरकार अब यह सुनिश्चित कर रही है कि किसी मृत व्यक्ति के नाम पर कोई लाभ न मिले और सभी योजनाएं वास्तविक जरूरतमंदों तक ही सीमित रहें. बिहार जैसे जागरूक और राजनीतिक रूप से सक्रिय राज्य में यह अभियान और भी ज्यादा अहम हो जाता है. मुझे इस बात पर गर्व है कि हमारी पार्टी समाज के हर तबके को जोड़ने में यकीन रखती है. दलित, आदिवासी, महिलाएं, दिव्यांगजन और ट्रांसजेंडर समुदाय- सभी को समान अधिकार मिले, यही हमारा लक्ष्य है. बिहार में भाजपा की जो सक्रियता दिख रही है, वह साफ इशारा करती है कि हमारी पार्टी चुनावी राजनीति से आगे बढ़कर लोकतंत्र की हर नींव को मजबूत करना चाहती है. और यही वजह है कि हम चाहते हैं कि हर नागरिक न केवल वोट देने का हक पाये, बल्कि गर्व से उसका इस्तेमाल भी करे.
डिजिटल युग में मतदाता पुनरीक्षण प्रक्रिया को अधिक सुगम, पारदर्शी और सहभागी बनाया गया है. भारत निर्वाचन आयोग ने इसके लिए वोटर हेल्पलाइन, मोबाइल एप, एनवीएसपी पोर्टल और टोल फ्री नंबर 1950 जैसी सेवाएं उपलब्ध करायी हैं. इन प्लेटफॉर्मों के माध्यम से कोई भी नागरिक अपना नाम जोड़ने, सुधार करवाने, मतदाता पहचान पत्र डाउनलोड करने और आवेदन की स्थिति जानने जैसे कार्य घर बैठे कर सकता है. साथ ही, ओटीपी आधारित प्रमाणीकरण और आधार लिंकेज जैसी विशेषताएं इस प्रक्रिया को और अधिक सुरक्षित बनाती हैं. मैं स्वयं इस अभियान की नियमित समीक्षा कर रहा हूं. मैं बिहार की जनता से आग्रह करता हूं कि इस अवसर को गंभीरता से लें. यह केवल नाम जोड़ने की प्रक्रिया नहीं है, भविष्य को आकार देने का अवसर है. आइए, हम सब मिलकर सुनिश्चित करें कि कोई नागरिक इस अधिकार से वंचित न रहे. यही भाजपा का संकल्प है और यही मेरी व्यक्तिगत प्रतिबद्धता भी है कि बिहार में कोई मतदाता छूटे नहीं, कोई नागरिक अछूता न रहे.