Indian economy : भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती में निर्यात की बढ़ती भूमिका पर अंकटाड की रिपोर्ट तथा इसी संदर्भ में एसोचैम का सर्वे उम्मीद जगाते हैं. अंकटाड (संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास सम्मेलन) की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने 2010 से 2023 तक वैश्विक निर्यात में सबसे तेज हिस्सेदारी की. इस दौरान भारतीय निर्यात की वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत रही, जो अमेरिका, चीन और यूरोपीय संघ जैसी प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में बेहतर रही. इस दौरान चीन की निर्यात वृद्धि दर 6.1 फीसदी, तो अमेरिका और यूरोपीय संघ की निर्यात वृद्धि दर 3.9-3.9 प्रतिशत रही.
वित्त वर्ष 2009-10 में भारतीय निर्यात 274.8 अरब डॉलर का था, जो 2022-23 में बढ़ कर 776.3 अरब डॉलर और 2024-25 में 825 अरब डॉलर का हो गया. तेरह साल में भारतीय निर्यात करीब तीन गुना बढ़ गया. वर्ष 2023 में भारत के सेवा क्षेत्र का निर्यात 11.4 प्रतिशत बढ़ा. जबकि मौजूदा वित्त वर्ष में 1,000 अरब डॉलर के निर्यात का लक्ष्य रखा गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय निर्यात में लगातार वृद्धि का रुझान इसके व्यापार क्षेत्र की मजबूती को तो बताता ही है, यह भारत की व्यापार नीतियों, विनिर्माण और सेवा क्षेत्र की प्रभावशीलता तथा निर्यात संवर्धन पहलों के असर का भी प्रमाण है.
इसी बीच एसोचैम (एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया) ने अपने भारतीय आर्थिक विश्वास सर्वे में कहा है कि महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, गुजरात और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों ने कई क्षेत्रों में निर्यात के साथ मजबूत तंत्र विकसित किया है. सर्वे के मुताबिक, 250 करोड़ रुपये से अधिक के टर्नओवर वाली करीब 54 फीसदी कंपनियां निर्यात में अपनी भागीदारी निभा रही हैं. चूंकि छोटी कंपनियों ने निर्यात में भागीदारी की जानकारी नहीं दी है, इससे स्पष्ट है कि निर्यात तंत्र को मजबूत करने के लिए नीतिगत प्रोत्साहन और संस्थागत समर्थन की जरूरत है. निर्यात में भागीदारी निभाने वाली करीब 32 प्रतिशत कंपनियों ने उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआइ) योजना की सराहना तो की है, पर इसकी असमान पहुंच को लेकर चिंता भी जतायी है. जैसे, यह कहा गया कि छोटी कंपनियों को सरकारी योजनाओं का लाभ हासिल करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. सर्वे के मुताबिक, विनिर्माण क्षेत्र अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और डिजिटल परिवर्तन से नये अवसर तैयार हो रहे हैं. लेकिन पूरी क्षमता हासिल करने के लिए भारतीय उद्योग क्षेत्र को और अधिक समर्थन देने की जरूरत है.