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अरे वाह! मूड खराब होने पर यह कंपनी देती है 10 दिनों की छुट्टी, जानें कॉरपोरेट कल्चर में छुट्टियों के क्या हैं प्रावधान

Sad Leave: कॉरपोरेट वर्ल्ड में कई बार मानसिक तनाव बढ़ जाता है, इससे छुटकारा पाने के लिए चीन की Pang Dong Lai कंपनी ने 10 दिनों के सैड लीव की घोषणा की है. पैंग डोंग लाई दुनिया की पहली ऐसी कंपनी बन गई है, जिसने लीव के काॅन्सेप्ट को बदलकर रख दिया है.

Sad Leave: कॉरपोरेट वर्ल्ड की सूचनाएं कई बार चर्चा में आ जाती हैं और सुर्खियां भी बनती हैं. अगर आप भी किसी कॉरपोरेट कंपनी में काम करते हैं, तो यह खबर आपके मतलब की है. चीन की कंपनी पैंग डोंग लाई की एक पॉलिसी इंटरनेट पर सुर्खियां बटोर रही है. अब आप ये सोच रहे होंगे कि आखिर ये पॉलिसी है क्या तो इस खबर को ध्यान से पढ़ें.

Pang Dong Lai के फाउंडर यू डोंगलाई ने सैड लीव की पॉलिसी लाकर कॉरपोरेट वर्ल्ड में तहलका मचा दिया है और एक नई लीव पॉलिसी का खिताब अपने नाम कर लिया है. इस लीव को सैड लीव का नाम दिया गया है. इस लीव के जरिए कर्मचारी 10 दिनों की छुट्टी ले सकेंगे. लेकिन इस छुट्टी को क्लैम करने के लिए आपका मूड खराब होना चाहिए. सैड लीव की खास बात यह है कि छुट्टी लेने के लिए आपको अपने मैनेजर की भी इजाजत लेने की जरूरत नहीं है. मतलब अगर आपका ऑफिस के काम से मूड खराब हुआ, तो आप 10 दिन तक ऑफिस से गायब रह सकते हैं. कर्मचारी भी इस अनोखे लीव फार्मेट से आश्चर्यचकित हैं.

क्यों पड़ी ‘सैड लीव’ की जरूरत?

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, पैंग डोंग लाई कंपनी के फाउंडर Yu Donglai का कहना है कि मैं चाहता हूं कि प्रत्येक कर्मचारी सहज और स्वतंत्र होकर कामकाज करे. मैंने सैड लीव की शुरुआत इसलिए की है ताकि अगर कर्मचारी खुश ना हो तो वो काम पर ना आएं. खुद को तनाव से निकालकर ही कर्मचारी काम पर लौटे, ताकि बेहतर काम हो सके. मेरा यह मानना है कि तनाव में कभी भी बेहतर कामकाज संभव नहीं है.

ऑफिस के तनाव को कैसे करें मैनेज

ऑफिस के तनाव से बचना बहुत जरूरी है, अन्यथा कोई भी व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार हो सकता है. इस संबंध में मनोचिकित्सक पवन कुमार बर्णवाल कहते हैं कि अपने सारे काम को रूटीन में करें. अपने मित्र, कलिग, सीनियर, जूनियर और बॉस से फ्रेंडली रिलेशनशिप रखें और कामकाज के दौरान खुश रहें. ऑफिस के तनाव से बचने के लिए बीच-बीच में घूमते रहें ताकि आप किसी भी काम को बेहतरीन तरीके से करें और उसकी प्रोडक्टिविटी ज्यादा हो. किसी भी इंसान के पास स्ट्रेस को सहन करने की एक सीमित क्षमता होती है. अगर वह उस लेवल को पार करता है, तो वह डिप्रेशन का शिकार हो जाता है और कभी – कभी वह गलत कदम भी उठा लेता है.

मानसिक स्वास्थ्य एक ऐसी चीज है, जिसे प्राथमिकता के रूप में लिया जाना चाहिए, मानसिक स्वास्थ्य जीवन की गुणवत्ता निर्धारित करता है.

डॉ प्रकृति सिन्हा, सहायक प्रोफेसर, नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ स्टडी एंड रिसर्च इन लॉ, रांची (एनयूएसआरएल)

मानसिक स्वास्थय से जुड़ा है सैड लीव

डॉ सिन्हा बताती हैं कि सैड लीव मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है. अगर आपका मेंटल हेल्थ सही नहीं है, तो आप किसी काम को प्रोडक्टिव तरीके से नहीं कर सकते हैं. ऐसे में जिस कंपनी ने सैड लीव को लागू किया है, वो मेंटल हेल्थ को लेकर काफी जागरूक है. यह एक अच्छी शुरुआत है. हालांकि सिर्फ लीव देने से कुछ नहीं होगा. यह किसी भी कंपनी के वर्क कल्चर पर भी डिपेंड करता है. संस्थान में कुछ ऐसे एरिया होना चाहिए, जहां कर्मचारी जाकर खुद को रिलेक्स महसूस करें. काम का माहौल ऐसा होना चाहिए कि लोग सहजता से काम कर सकें. हमें मेंटल हेल्थ के लिए थोड़ा टाइम जरूर निकालना चाहिए.

क्या इसे भारत में भी लागू करना चाहिए ?

सैड लीव को लेकर कॉरपोरेट कंपनी में काम कर रही तान्या सिंह ने कहा कि सैड लीव की कोई जरूरत मुझे नहीं लगती है. हां यह जरूर कहूंगी कि वर्क कल्चर अच्छा होना चाहिए, ताकि हर कर्मचारी खुश होकर अपना काम करे. उसे तनाव ना महसूस हो. वहीं पवन श्रीवास्तव कहते हैं कि हमारे यहां वर्क कल्चर बहुत अच्छा है. कंपनी कभी भी दबाव नहीं बनाती है, इसका परिणाम यह होता है कि हम सहज होकर काम करते हैं. अगर वर्क कल्चर अच्छा है तो काम करने वाले लोग ऑफिस में बिना किसी स्ट्रेस के साथ काम करते हैं, वर्क कल्चर अगर खराब हो तो कर्मचारी छुट्टी लेने के बहाने तलाशता है.

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कंपनियों में मिलने वाले लीव की पूरी डिटेल

कंपनियां अपने कर्मचारियों को कई तरह की छुट्टी देती हैं. इसमें सिक लीव, कैजुअल लीव, अर्न्ड लीव और प्रिवलेज लीव शामिल है. इनमें से अगर सिक और कैजुअल लीव को आप एक कैलेंडर ईयर में इस्तेमाल नहीं करते हैं, तो ये लैप्स हो जाती हैं. लेकिन अर्न्ड लीव और प्रिवलेज लीव आपके अगले साल की छुट्टियों में जुड़ जाते हैं. इन लीव के बदले में पैसा लिया जा सकता है. मतलब आप इन्हें एन्कैश यानी इसके बदले पैसा ले सकते हैं. हालांकि इन छुट्टियों को एन्कैश करने के नियम हर कंपनी में अलग-अलग हो सकते हैं.

Vikash Kumar Upadhyay
Vikash Kumar Upadhyay
Journalist at Prabhat Khabar Digital, Gold Medalist alumnus MGCU, Former intern Tak App, Biz Tak and DB Digital. Ex reporter INS24 News. Former media personnel District Information and Public Relation Department, Motihari. Former project partner and planner Guardians of Champaran. Very keen to work with the best faculties and in challenging circumstances. I have really a big dream to achieve and eager to learn something new & creative. More than 3 years of experience in Desk and Reporting.

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