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Dire Wolf Return: वैज्ञानिकों ने जेनेटिक इंजीनियरिंग का इस्तेमाल करके 13 हजार साल पहले विलुप्त हो चुके डायर वुल्फ (Dire Wolf) को दोबारा इस संसार के सामने लाने का काम किया है. सामान्य कुत्तों के गर्भ में पलकर जन्म लेने वाले इन डायर वुल्फ के नाम रोमुलस, रेमस और खलीस है. सात माह का होने के बाद इन्हें सबके सामने लाया गया है. ये दिखने में सामान्य हैं लेकिन लेकिन जिस उद्देश्य से इन्हें दोबारा विकसित किया गया है, वो विशेष है.
डायर वुल्फ क्यों चर्चा में
ये डायर वुल्फ अमेरिकी फिल्म गेम ऑफ थ्रोन्स से मशहूर हुए थे. 13 हजार साल पहले तक इन्हें उत्तर अमेरिकी महाद्वीप के उत्तर में कनाडा से लेकर दक्षिणी अमेरिका के वेनेजुएला तक देखा जाता था. लेकिन धीरे-धीरे ये विलुप्त हो गए. वैज्ञानिकों को इन भेडियों के कई जीवाश्म इन क्षेत्रों में मिल चुके हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार शिकार की कमी से इन्हें भूखा रहना पड़ा, इसलिए धीरे-धीरे ये विलुप्त हो गए. या फिर मानव शिकारियों ने अंधाधुंध शिका करके इन्हें खत्म कर दिया.
ऐसे लाया गया वापस
डलास की बॉयोटेक कंपनी कोलोसल बॉयोसाइंसेज (Colossal Biosciences) ने डी एक्सटिंक्शन (De Extiction) तकनीक से डायर वुल्फ को वापस लाने में सफलता हासिल की है. 2021 में डायर वुल्फ के जीवाश्मों से डीएनए निकाला गया. इसके बाद इन्हें ग्रे वुल्फ के ब्लड सेल ली गई जीन में डालकर कुछ बदलाव किए गए है. कोलोसल के वैज्ञानिकों ने लगभग 20 जीन में बदलाव किया. इसके बाद इस जीन को उन्होंने एक घरेली कुत्ते के एग सेल में प्रत्यारोपित करके इनसे भ्रूण बनाए गए. इसके बाद सेरोगेट डॉग्स में इन्हें प्रत्यारोपित किया गया. इस प्रक्रिया से तीन डायर वुल्फ रोमुलस, रेमुस और खलीसी पैदा हुए. ये भेड़िये ग्रे वुल्फ से 20 फीसदी बड़े हैं. इनका फर सफेद और घना है. 20 जीन में बदलाव के कारण इन्हें लेकिन ये पूरी तरह से डायर वुल्फ नहीं माना जा रहा है.
ग्रे वुल्फ 99.5 प्रतिशत डायर वुल्फ जैसा
कोलोसल बॉयोसाइंसेज की चीफ साइंटिस्ट बेथ शापिरो का कहना है कि डायर वुल्फ को जीवंत करने में ग्रे वुल्फ की मदद ली गई. क्योंकि ग्रे वुल्फ 99.5 फीसदी डायर वुल्फ के समान है. अब इस तकनीक अन्य विलुप्त हो चुकी या संकटग्रस्त प्रजातियों को बचाने में मदद मिल सकती है. कोलोसल बॉयोसाइंसेज इस तकनीक से 2028 तक वूली मैमथ (Mammoth) को धरती पर लाने का प्रयास कर रहा है. वूली मैमथ एक विशालकाय हाथी की प्रजाति थी. जो लगभग 4 हजार साल पहले धरती से विलुप्त हो चुके थे. ये एशियाई हाथी के करीबी रिश्तेदार थे. डीएनए कॉपी करके एक वूली माउस तैयार किया गया है. इसमें चूहे में वूली मैमथ का डीएनए कॉपी किया गया था.
डोडो और तस्मानियन टाइगर भी दिखेंगे
कोलोसल बॉयोसाइंसेज विलुप्त हो चुके डोडो और तस्मानियन टाइगर को भी धरती पर लाने का प्रयास कर रहा है. इनके जीवाश्म से भी डीएनए कॉपी किया जा रहा है. आखिरी तस्मानियन टाइगर की 1936 में एक चिड़ियाघर में मौत हुई थी. इसी तरह डेनमार्क में सुरक्षित रखे डोडो के अवशेषों से भी डीएनए लेकर उसका जीनोम सीक्वेंस तैयार किया गया है. इसे डोडो की सबसे करीबी पक्षी प्रजातियों के जीनोम के साथ मिलाकर देखा जाएगा. फिर कुछ बदलाव के साथ डोडो को तैयार किया जाएगा.
1.69 लाख जानवर-पक्षी विलुप्ति की कगार पर
प्रकृति संरक्षण के लिए काम करने वाले अंतर्राष्ट्रीय संघ
IUCN (International Union for Conservation of Nature) के अनुसार धरती पर लगभग 1.69 हजार प्रजातियां विलुप्ति की रेड लिस्ट में हैं. यानी उन पर गायब होने का खतरा मंडरा रहा है. इनमें से एक चौथाई प्रजातियां विलुप्ति के कगार पर हैं. धरती पर बीते 50 करोड़ सालों में कई बार प्राकृतिक कारणों से जानवरों की प्रजातियां विलुप्त हुई हैं. अब मानवजनित कारणों से जानवर विलुप्त होने की कगार पर हैं.
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