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26 निर्दोषों की हत्या के बाद भारत तोड़ सकता है सिंधु जल संधि, अंतरराष्ट्रीय संस्था नहीं कर पाएगी मजबूर

Indus Waters Treaty :सिंधु जल संधि को अगर भारत तोड़ दे, तो क्या होगा? क्या भारत सिंधु नदी प्रणाली की छह नदियों का पानी रोकने में समर्थ है? सिंधु नदी के पानी को भारत द्वारा द्वारा रोके जाने को पाकिस्तान ने ‘एक्ट ऑफ वार’ बताया, इसका क्या अर्थ है? क्या भारत अंतरराष्ट्रीय कोर्ट की शरण लेगा? यह कुछ ऐसे सवाल हैं, जिनका जवाब पहलगाम हमले के बाद से लोगों के मन में उठ रहे हैं, क्योंकि भारत ने कूटनीतिक पहल के तहत सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया है.

Indus Waters Treaty : पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक फैसला लेते हुए सिंधु जल संधि को रोक दिया है, यानी फिलहाल भारत उस संधि के प्रस्तावों पर अमल नहीं कर रहा है और सिंधु नदी के पानी को पाकिस्तान जाने से भी रोक दिया गया है. यह तो बात हुई वर्तमान की, लेकिन जिस तरह का सेंटीमेंटल दबाव भारत सरकार पर है, संभव है कि भारत सरकार इस जल संधि को एकतरफा रूप से तोड़ दे या इस संधि से बाहर आ जाए. यहां सवाल यह उठता है कि क्या भारत सरकार इस अंतरराष्ट्रीय संधि को अपने स्तर से तोड़ सकती है?

क्या भारत सिंधु जल संधि को एकतरफा कार्रवाई के तहत तोड़ सकता है?

सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में हुआ था और इस संधि को भारत ने एक जिम्मेदार राष्ट्र की तरह निभाया, जबकि पाकिस्तान ने भारत पर तीन युद्ध थोपे. लेकिन पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार का इरादा सख्त है और यह बात स्पष्ट हो गई है कि अब सचमुच खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते हैं. यही वजह है कि भारत सरकार ने सिंधु जल संधि को रोक दिया है. भविष्य में भारत सरकार की क्या योजना है यानी क्या भारत सरकार सिंधु जल संधि को तोड़ देगी? इसपर भारत करते हुए डॉ धनंजय त्रिपाठी (प्रोफेसर, साउथ एशियन यूनिवर्सिटी) ने कहा कि कोई भी देश किसी भी अंतरराष्ट्रीय संधि से बाहर आ सकता है. वह अपनी संप्रभुता की बात करके किसी भी संधि को मानने से इनकार कर सकता है, इस लिहाज से पहलगाम की आतंकी घटना के बाद अगर भारत सिंधु जल संधि तो तोड़ देता है, तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होना चाहिए, क्योंकि भारत एकतरफा यह कार्रवाई कर सकता है.

सिंधु जल संधि पर बात करते हुए वरिष्ठ पत्रकार अवधेश कुमार कहते हैं कि कोई भी अंतरराष्ट्रीय कानून भारत को इस संधि को मानने के लिए बाध्य नहीं कर सकता. पाकिस्तान का जिस तरह का रवैया है, उसमें भारत सरकार ने तीन स्तर पर सिंधु नदी के जल रोकने के लिए योजना बनाई है-1. तात्कालिक 2.मध्यकालीन और 3. दीर्घकालिक. पाकिस्तान जिस तरह भारत में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है और निर्दोष लोगों की जान ले रहा है, उसमें भारत सख्त रुख अख्तियार करेगा ही. वैसे भी आज के समय में अधिकांश अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं मृतप्राय हैं, ऐसी परिस्थिति में अगर सवाल उठेंगे तो भारत उनका जवाब देने में समर्थ है.

भारत ने पानी रोका तो भूखों मर जाएगा पाकिस्तान

सिंधु नदी प्रणाली का 80 प्रतिशत पानी पाकिस्तान इस्तेमाल करता है. वहां की  80% सिंचाई प्रणाली भी इसी पर आधारित है. पाकिस्तान में जो खेती होती है उसका 90 प्रतिशत इसी नदी प्रणाली के जरिए प्राप्त पानी से होता है. इस स्थिति में अगर भारत सिंधु नदी के जल को रोक देगा, तो पाकिस्तान की कमर टूट जाएगी और वहां की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित होगी. अवधेश कुमार कहते हैं कि आज की दुनिया में भारत की जो हैसियत है उसकी वजह से जो इस्लामिक देश पाकिस्तान के साथ खड़े होते थे, वे भी आज पाकिस्तान के साथ नजर नहीं आते हैं, इसलिए अगर पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आया, तो भारत यह साबित करके दिखाएगा कि खून और पानी साथ नहीं बह सकते हैं.

क्या भारत सिंधु नदी के जल को रोकने की स्थिति में है?

नदियों के नाम(कहां से निकलती है) (कहां बहती है)
सिंधु (Indus)तिब्बत (मानसरोवर झील क्षेत्र, चीन)भारत (लद्दाख) → पाकिस्तान → अरब सागर
झेलम (Jhelum)भारत (वेरिनाग झरना, जम्मू-कश्मीर)पाकिस्तान में बहती है
चिनाब (Chenab)भारत (हिमाचल प्रदेश: चंद्रा और भागा नदियों का संगम)जम्मू-कश्मीर से पाकिस्तान
रावी (Ravi)भारत (हिमाचल प्रदेश: कांगड़ा क्षेत्र)भारत (पंजाब) → पाकिस्तान (पंजाब)
ब्यास (Beas)भारत (हिमाचल प्रदेश: रोहतांग दर्रा)पंजाब में सतलुज नदी से मिलती है
सतलुज (Sutlej)तिब्बत (राखास्ताल झील, चीन)भारत (हिमाचल और पंजाब) → पाकिस्तान
सिंधु नदी प्रणाली की नदियों का प्रवाह और स्रोत

सिंधु नदी प्रणाली में छह नदियां – झेलम,चिनाब,रावी,ब्यास,सतलुज,सिंधु शामिल हैं. इनमें से सिंधु और सतलुज लद्दाख से निकलती और बाकी 4 नदियां भारत से निकलती हैं. लेकिन ये सभी नदियां पाकिस्तान की ओर बहती हैं. सिंधु जल संधि के बाद ब्यास, रावी, सतलुज पर भारत का पूर्ण अधिकार है, जबकि चिनाब, झेलम और सिंधु पर पाकिस्तान का अधिकार है, भारत इन तीन नदियों के पानी का आंशिक इस्तेमाल करता है, जिससे नदी के बहाव पर कोई असर ना पड़े. लेकिन अब भारत समझौते से बाहर आ रहा है, इस स्थिति में अगर भारत ने सिंधु नदी के पानी को रोका तो छह नदियों का पानी भारत को दूसरी ओर डायवर्ट करना पड़ेगा या उसे स्टोर करना पड़ेगा. यह दूरगामी फैसला है. लेकिन अभी चूंकि गर्मी का मौसम है और पानी का बहाव कम होता है, तो अगर भारत दो-तीन महीने भी पानी रोक देता है, तो पाकिस्तान पानी के लिए तरस जाएगा. डॉ धनंजय त्रिपाठी कहते हैं कि अगर भारत पानी रोकता है और संधि तोड़ देता है, तो उसे पानी को स्टोर करने के लिए डैम बनाने पड़ेंगे.कई तरह के नए निर्माण करने होंगे, संभव है कि भारत कंस्ट्रक्शन की शुरुआत कर दे. वहीं अवधेश कुमार कहते हैं कि जो लोग ये कह रहे हैं कि भारत के पास पानी रोकने के लिए कोई योजना नहीं है, उन्हें ये पता होना चाहिए कि विगत कुछ वर्षों में इस क्षेत्र  में कई परियोजनाओं का निर्माण हुआ है, जो या तो पूरी हो चुकी है या होने वाली हैं जिनमें शाहपुरकंडी परियोजना, कृष्ण गंगा परियोजना प्रमुख हैं. इसके अलावा सतलुज, चिनाब पर भी कुछ परियोजनाएं बन रही हैं, जिनके जरिए अगर सरकार ने पाकिस्तान का 80 प्रतिशत भी पानी रोक दिया, तो पाकिस्तान में हाहाकार मच जाएगा. भारत सरकार यह नहीं चाहती है कि पाकिस्तान के भूख से मरे, लेकिन अगर हमारे देश के लोगों को इस तरह मारा जाएगा, तो उसका हिसाब पाकिस्तान को देना होगा.

क्यों हुआ था सिंधु जल समझौता?

1947 में जब भारत का विभाजन हुआ तो इन नदियों के पानी को लेकर विवाद खड़ा हो गया. तब यह तय किया गया कि एक समझौते के तहत इन छह नदियों के पानी का बंटवारा किया जाए. 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच यह समझौता हुआ, जो ऐतिहासिक जल समझौता था. इस समझौते पर भारत की ओर से प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान की ओर से राष्ट्रपति अयूब खान ने हस्ताक्षर किए थे. विश्व बैंक ने इस समझौते में मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी.

क्या सिंधु का पानी भारत ने कभी रोका है?

1960 में सिंधु जल समझौता हुआ और तब से लेकर आज तक यानी 65 साल के बीच भारत ने कभी भी सिंधु के पानी को नहीं रोका था. जबकि इस बीच में 1965, 1971 और 1999 का कारगिल युद्ध भी हुआ. 2016 में जब उरी हमला हुआ था, उस वक्त भारत ने संधि की समीक्षा की बात की थी, लेकिन कभी भी पानी को रोका नहीं गया. 

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Rajneesh Anand
Rajneesh Anand
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक. प्रिंट एवं डिजिटल मीडिया में 20 वर्षों से अधिक का अनुभव. राजनीति,सामाजिक, खेल और महिला संबंधी विषयों पर गहन लेखन किया है. तथ्यपरक रिपोर्टिंग और विश्लेषणात्मक लेखन में रुचि. IM4Change, झारखंड सरकार तथा सेव द चिल्ड्रन के फेलो के रूप में कार्य किया है. पत्रकारिता के प्रति जुनून है.

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