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Israel Iran News : इजरायल और ईरान के बीच दुश्मनी का इतिहास काफी पुराना है. 1979 में जब ईरान में इस्लामी क्रांति हुई तो आयतुल्ला रुहोल्लाह खोमैनी के पास सत्ता आई और देश में शरीयत कानून लागू हुआ और इजरायल के साथ तमाम संबंध तोड़ लिए गए और उसे एक अवैध राज्य भी घोषित कर दिया गया था. हालिया विवाद तब बढ़ा जब 7 अक्टूबर 2023 को हमास ने इजरायल पर हमला कर दिया. इजरायल इस हमले के लिए ईरान को ही दोषी मानता है.
इजरायल ने ईरान पर हमला क्यों किया?
इजरायल का ऐसा मानना है कि ईरान अपनी धरती से इजरायल विरोधी गतिविधियों और संगठनों को बढ़ावा दे रहा है. 7 अक्टूबर 2023 को जब हमास ने इजरायल पर हमला किया और इस हमले में लगभग 1200 लोगों की मौत हुई, तो इजरायल बहुत नाराज हुआ और उसने ईरान को सबक सिखाने की बात की थी. उसी योजना के तहत इजरायल ने अप्रैल 2024 में सीरिया की राजधानी दमिश्क में ईरानी दूतावास को निशाना बनाया था. इजरायल का कहना दावा था कि ईरानी दूतावास में इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के कुद्स फोर्स के लोगों को जगह दी गई थी. 2023 से ही इजरायल ईरान को टारगेट कर रहा है और उसी आधार पर इजरायल ने वृहस्पतिवार 12 जून से को ईरान पर हमला किया.
इजरायल के हमले में ईरान को कितना हुआ नुकसान
इजरायल के हमले में ईरान के दो शीर्ष सैन्य कमांडर भी मारे गए. इनके नाम है जनरल मोहम्मद बाघेरी और जनरल हुसैन सलामी. इजरायल ने ईरान के परमाणु और सैन्य ढांचे पर हमला किया. इस हमले को इजरायल ने Operation Rising Lion नाम दिया है. इजरायल का दावा है कि उसने ईरान की आर्मी Islamic Revolutionary Guard Corps के ठिकानों पर हमला किया है. तेहरान में IRGC मुख्यालय को टारगेट किया गया है. इजरायल के हमले में IRGC एयर डिफेंस और ड्रोन यूनिट्स का हेडक्वार्टर तबाह हो गया है. इसके अलावा यूरेनियम के केंद्रों पर भी हमला किया गया है. इजरायल ने यह दावा किया है कि उसने ईरान के रॉकेट और बैलिस्टिक मिसाइल निर्माण-स्थल केंद्रों को भी निशाना बनाया है. ईरान ने भी इस बात को स्वीकारा है कि उसके 6 परमाणु वैज्ञानिक और 5 शीर्ष कमांडर इजरायी हमले में मारे गए हैं. ईरान ने इन हमलों को अपराध बताते हुए कहा है कि इजरायल ने अपराध किया है और उसे इस बात की सजा मिलेगी.
ईरान के जवाबी हमले से तेल अवीव पर खतरा

इजरायल के हमले के बाद ईरान ने भी 100 मिसाइल दागे हैं, जिससे इजरायल के प्रमुख शहर तेल अवीव में हंगामा मच गया. 13 जून की रात को ईरान ने इजरायल पर हमला ईरान ने ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस के तहत इजरायल के तेल अवीव और यरूशलेम पर 100 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलें और ड्रोन दागें. इसका परिणाम यह हुआ कि इजरायल की वर्ड फेमस एयर डिफेंस सिस्टम आयरन डोम और डेविड स्लिंग भी सभी मिसाइलों को इंटरसेप्ट करने में सफल नहीं हो सका. इसके बाद तेल अवीव के आसमान में बमबारी शुरू हो गई, हालांकि अधिकतर मिसाइल को इंटरसेप्ट कर दिया गया है. जो मिसाइलें अपना काम करने में सफल रहीं उनकी वजह से तेल अवीव में कई अपार्टमेंट ध्वस्त हो गए और तीन लोगों की मौत हो गई, जबकि 100 लोगों के घायल होने की खबर है.
क्या मिडिल ईस्ट में तनाव बनेगा थर्ड वर्ल्ड वार की वजह
इजरायल और ईरान के बीच जारी युद्ध के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि ईरान ने जो किया है, उसका परिणाम उसे भुगतना पड़ रहा है. अमेरिका के इस बयान से यह स्पष्ट है कि अमेरिका इजरायल के साथ खड़ा है. इजरायल को हमेशा ही अमेरिका का समर्थन मिलता रहा है. वहीं दूसरी ओर चीन ने ईरान का समर्थन कर दिया है और कहा है कि इजरायल जो कुछ कर रहा है, वह बहुत गलत है. संयुक्त राष्ट्र में चीन के प्रतिनिधि फू कांग ने कहा कि इजरायल ने ईरान की संप्रभुता का उल्लंघन किया है और बिलकुल गलत है. संयुक्त राष्ट्र को इजरायली कार्रवाई की निंदा करनी चाहिए क्योंकि इजरायल ने रेड लाइन को क्राॅस कर दिया है. अमेरिका और चीन के इस मामले में बयान देने से यह स्पष्ट है कि इजरायल और ईरान के बीच जो विवाद खड़ा हुआ है उसका दुनिया भर पर प्रभाव पड़ेगा. हालांकि अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि विश्व थर्ड वर्ल्ड वार की ओर जा रहा है. इसकी वजह यह है कि इजरायल और ईरान के बीच विवाद बहुत पुराना है. फिलिस्तीन के मुद्दे को लेकर इनके बीच विवाद होता रहता है. लेकिन यह कहने में भी गुरेज नहीं है कि अगर अमेरिका, चीन और रूस लगातार इस विवाद में पड़ते रहते और वैश्विक तेल आपूर्ति पर प्रभाव पड़ता है, तो वर्ल्ड वार की आशंका बन सकती है.
इजरायल-ईरान युद्ध से दुनिया भर में तेल आपूर्ति पर क्या होगा असर?
इजरायल-ईरान युद्ध का जो सबसे बड़ा खतरा है वह है वैश्विक तेल उत्पादन पर प्रभाव. इसकी वजह यह है कि ईरान हमेशा यह कहता रहा है कि अगर उसपर हमला हुआ तो वह हॉर्मुज जलडमरूमध्य (Strait of Hormuz) को बंद कर देगा. अगर ईरान ऐसा करता है तो विश्व भर में तेल और एलएनजी की कीमत में भारी बढ़ोतरी हो सकती है. होर्मुज जलडमरूमध्य फारस की खाड़ी (पश्चिम) को ओमान की खाड़ी और अरब सागर (दक्षिणपूर्व) से जोड़ता है. खाड़ी देश अपने व्यापार के लिए इसी मार्ग पर आश्रित हैं. विश्व के लगभग 30% कच्चे तेल का व्यापार यहीं से होता है, ऐसे में अगर होर्मुज जलडमरूमध्य बाधित हुआ तो उसका बड़ा प्रभाव दुनिया पर होगा. भारत पर भी इसका सीधा प्रभाव पड़ेगा और तेल की कीमतों में प्रति लीटर 10-15 रुपए की बढ़ोतरी हो सकती है.
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