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पाकिस्तान के अंतिम काफिर जिन्हें अबतक नहीं बनाया जा सका है मुसलमान, करते हैं महादेव शिव और इंद्र की पूजा

Kalash Tribe Of Pakistan : पाकिस्तान के खैबर-पख्तूनख्वा राज्य में एक जनजाति रहती है कलश, जिनकी महिलाओं को दुनिया की सबसे खूबसूरत महिलाओं में से एक माना जाता है. नीली आंखों वाली ये महिलाएं अपने समाज में काफी स्वतंत्रता के साथ रहती हैं, जो इन्हें वैदिक महिलाओं की संस्कृति से जोड़ता है. कलश जनजाति की विशेषता उनकी विशेष संस्कृति है, जिन्हें इन लोगों ने आज भी सुरक्षित रखा है. यह संस्कृति प्राचीन भारतीय हिंदू संस्कृति से काफी मिलती-जुलती है.

Kalash Tribe Of Pakistan : कलश जनजाति पाकिस्तान की एकमात्र ऐसी जनजाति है, जो अपनी प्राचीन संस्कृति के साथ यहां निवास कर रही है. कलश जनजाति उत्तरी पाकिस्तान के चित्राल जिले में रहते हैं. यह इलाका पाकिस्तान के खैबर-पख्तूनख्वा राज्य में हिंदू कुश पर्वत श्रृंखलाओं के बीच स्थित है. कलश जनजाति को अंतिम काफिर कहा जाता है, क्योंकि इस इलाके में रहने वाले बाकी लोगों का इस्लाम में धर्मांतरण कर दिया गया है, लेकिन कलश आज भी अपनी संस्कृति के साथ जीवित हैं और अस्तित्व बचाने की जंग लड़ रहे हैं.

इंडो-आर्यन संस्कृति के रक्षक हैं कलश जनजाति के लोग

कलश जनजाति के लोग बहुदेववादी हैं. इनकी संस्कृति के बारे में यह कहा जाता है कि ये उसी तरह की पूजा पद्धति और संस्कृति का पालन करते हैं, जैसे वैदिक आर्य यानी हिंदू करते थे. इनके पूज्य भगवानों में महादेव और इंद्र हैं, जिन्हें ये महादियो या महानदेव भी कहते हैं. इनकी परंपरा में पशुबलि भी शामिल है. ये अग्नि को महत्व देते हैं. इनके देवी-देवताओं में नदी, तालाब और ग्राम देवता भी शामिल हैं.

कौन हैं कलश जनजाति के लोग

Kalash-Tribe
कलश जनजाति

कलश जनजाति के लोगों का इतिहास प्राचीन है. भारतीय संस्कृति पर गहन शोध करने वाले डाॅ माइकल विट्‌जल यह कहते हैं कि कलश जनजाति के लोगों का इतिहास वैदिक भारतीय संस्कृति से जुड़ा है. वे उसी तरह की संस्कृति का पालन करते हैं, हालांकि कुछ इतिहासकार यह मानते हैं कि कलश जनजाति के लोगों का संबंध सिकंदर महान से था. सच्चाई जो भी हो, कलश लोगों को देखकर यह पता चलता है कि यह गैर मुसलमान हैं और हिंदू कुश की पर्वत श्रृंखलाओं में अपना अस्तित्व बचाकर जीवित हैं. कलश जनजाति के लोगों की शारीरिक बनावट उनके पड़ोसी पश्तूनों से जरा भी नहीं मिलती है, यही वजह है कि इनके इतिहास में सबकी रुचि है और यूनेस्को ने इनके संरक्षण की जिम्मेदारी उठाई है.

महज 4000 बची है कलश जनजाति की आबादी

कलश जनजाति के लोग अपने इलाके पर राज करते थे, उस समय इनकी आबादी यहां लाखों में थी, लेकिन विदेशी आक्रमणकारियों ने इनके अस्तित्व को खतरे में डाला और जब भी वे भारत पर आक्रमण के लिए आते उन्हें अपना निशाना बनाते. चूंकि हिंदू कुश की पर्वत श्रृंखलाएं एक तरह से भारत का प्रवेश द्वार थीं, इसलिए आक्रमणकारियों ने कलश जनजाति के लोगों को अपना शिकार बनाया. धीरे-धीरे इनकी आबादी घटने लगी. हिंदू कुश पर्वत जिसके बारे में यह कहा जाता है कि यहां हजारों हिंदुओं का रक्त बहा है. उस इलाके में मुसलमानों का वर्चस्त बढ़ने लगा. कलश अपनी संस्कृति को बचाने के लिए संघर्ष करने लगे. कइयों ने धर्मांतरण कर लिया और कुछ भाग कर पर्वत श्रृंखलाओं में छिपकर रहने लगा. इस वजह से इनके इतिहास से जुड़ी किताबें नष्ट हो गईं, जो कुछ उनके पास शेष है, वह मौखिक परंपराओं से उनके साथ है. वर्तमान स्थिति की बात करें, तो कलश जनजाति के लोग लाखों से घटकर हजारों में आ गए हैं. इन हजारों लोगों पर भी धर्मांतरण का खतरा बना रहता है. पाकिस्तान में काफिरों के साथ किस तरह का व्यवहार होता है, यह जगजाहिर है. कलश लड़कियों का भी जबरन धर्मांतरण कराया जा रहा है, जबकि कलश जनजाति में निषिद्ध माना जाता है.

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Rajneesh Anand
Rajneesh Anand
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक. प्रिंट एवं डिजिटल मीडिया में 20 वर्षों से अधिक का अनुभव. राजनीति,सामाजिक, खेल और महिला संबंधी विषयों पर गहन लेखन किया है. तथ्यपरक रिपोर्टिंग और विश्लेषणात्मक लेखन में रुचि. IM4Change, झारखंड सरकार तथा सेव द चिल्ड्रन के फेलो के रूप में कार्य किया है. पत्रकारिता के प्रति जुनून है.

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