Table of Contents
Poshan Pakhwada 2025 : भारत की आधी आबादी महिलाओं की है और उनके स्वास्थ्य का मसला देश के लिए गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है. NFHS-5 के अनुसार देश में 50 प्रतिशत से अधिक महिलाएं एनीमिया यानी खून की कमी की शिकार हैं. पोषण पखवाड़े की देश में शुरुआत हो गई है, लेकिन इससे महिलाओं की स्थिति में कितना सुधार होगा यह अभी बताना बहुत कठिन है.
देश की 50% आबादी खून की कमी से ग्रस्त
भारतीय समाज में महिलाओं की परवरिश इस तरह की जाती है कि बचपन से ही उनके स्वास्थ्य और खान-पान पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है, जिसकी वजह से उनके शरीर में कई तरह के पोषक तत्वों की कमी हो जाती है. उसके बाद हर महीने होने वाले पीरियड्स और कम उम्र में मां बनने की वजह से भी महिलाओं में खून की कमी हो जाती है. एनीमिया को लेकर महिलाओं में जागरूकता की भी कमी है, जिसकी वजह से जब बीमारी की शुरुआत होती है, तो वे समझ नहीं पाती हैं कि उन्हें क्या समस्या हो रही है. जबतक उन्हें बीमारी का पता चलता है, मामला गंभीर हो चुका होता है और उसपर नियंत्रण भी मुश्किल हो जाता है.
झारखंड और बिहार में एनीमिया की स्थिति बहुत गंभीर
केंद्र सरकार ने 2018 में देश से कुपोषण को मिटाने के लिए पोषण अभियान की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य 2022 तक देश को कुपोषण से मुक्त करना था, लेकिन यह 2025 में भी संभव नहीं हुआ है. बिहार और झारखंड दो ऐसे राज्य हैं जहां कुपोषण की स्थिति गंभीर है. झारखंड में 66% महिलाएं कुपोषण की शिकार हैं, जबकि बिहार में यह आंकड़ा 63.1% का है. पोषण को लेकर इन क्षेत्रों में जानकारी का भी सख्त अभाव है, जिसकी वजह से वे अपने आहार पर ध्यान ही नहीं देती हैं और संतुलित आहार नहीं लेती हैं.झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने मसले पर कहा कि स्थिति गंभीर तो है, लेकिन सरकार प्रयास कर रही है. महिलाओं को पोषाहार उपलब्ध कराया जा रहा है नि:संदेह कुछ समय में परिस्थितियां बदलेंगी, थोड़ा समय इस काम को पूरा करने के लिए सरकार को चाहिए.
Also Read : अगर आप मुसलमान नहीं है, तब भी जानें क्या है वक्फ संशोधन बिल की बड़ी बातें, जो बदल देंगी मुसलमानों का जीवन
वक्फ बिल पास हुआ तो मुसलमानों के जीवन में क्या होगा बदलाव? सरकार की नीयत पर क्यों उठ रहे सवाल
हिंदू और मुसलमान के बीच भारत में नफरत की मूल वजह क्या है?
विभिन्न विषयों पर एक्सप्लेनर पढ़ने के लिए क्लिक करें