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Salman Khurshid Article 370 : कांग्रेस पार्टी में पीएम मोदी और उनकी सरकार के प्रशंसक बढ़ते जा रहे हैं. शशि थरूर के बाद अब दिग्गज कांग्रेसी सलमान खुर्शीद ने भी मोदी सरकार की नीतियों की प्रशंसा कर दी है. सलमान खुर्शीद ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाया जाना बहुत ही सही कदम था और इस फैसले से जम्मू-कश्मीर के विकास के रास्ते खुल गए हैं और यहां समानता का भाव भी बढ़ा है. सलमान खुर्शीद ने कहा है कि आर्टिकल 370 की वजह से यह धारणा लोगों के अंदर थी कि यह क्षेत्र देश के अन्य भागों से अलग है, लेकिन अब वह धारणा समाप्त हो गई है. सलमान खुर्शीद ने आर्टिकल 370 को लेकर यह बयान इंडोनेशिया में दिया है, जहां वे भारत के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं, जो ऑपरेशन सिंदूर और आतंकवाद को लेकर भारत की सोच से अवगत कराने गए हैं और आतंकवाद के मसले पर उनका समर्थन चाहते हैं. इस डेलिगेशन का उद्देश्य पाकिस्तान की पोल खोलना है.
कांग्रेस नेताओं के पक्ष में आने से मोदी सरकार को क्या होगा फायदा
मोदी सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर और आतंकवाद पर भारत के रुख को स्पष्ट करने और आतंकवाद के समर्थक पाकिस्तान की पोल खोलने के लिए सात सर्वदलीय डेलिगेशन दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में भेजा है. इस डेलिगेशन में विभिन्न दलों के ऐसे नेता शामिल हैं, जो वाकपटु हैं. शशि थरूर को तो मोदी सरकार ने एक डेलिगेशन का नेतृत्व ही सौंपा है. शशि थरूर और सलमान खुर्शीद ने सरकार की नीतियों की तारीफ की है. मनीष तिवारी भी डेलिगेशन का हिस्सा हैं और वे भी सरकार की नीतियों के साथ ही खड़े दिखेंगे. ऐसे में कांग्रेस को बड़ा नुकसान होता दिख रहा है. वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई कहते हैं कि विदेशों में डेलिगेशन भेजना सरकार का मास्टरस्ट्रोक है. सरकार ने एक सोची-समझी नीति के तहत डेलिगेशन भेजा है. यह एक तरह से विपक्ष को कमजोर करने की चाल जैसा है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद विपक्ष ने सरकार से सवाल पूछना शुरू कर दिया था. सीजफायर पर भी सवाल पूछे जा रहे थे, ऐसे समय में सरकार ने डेलिगेशन भेजा है. अब जब यह डेलिगेशन वापस आएगा, तो इस सर्वदलीय डेलिगेशन के सदस्य यह बताएंगे कि उन्होंने किस खूबी के साथ विदेश में भारत का पक्ष रखा. संसद के मानसून सत्र में भी डेलिगेशन के सदस्य ऑपरेशन सिंदूर पर सरकार का पक्ष रखते नजर आएंगे. ऐसे में अगर विपक्ष यह सोच रहा है कि वह संसद के मानसून सत्र में सरकार को घेरेगा, तो यह उसकी भूल है, क्योंकि डेलिगेशन के सदस्य, जो विपक्षी पार्टियों के हैं वे ही सरकार के लिए कवच बन जाएंगे.
विपक्ष की रणनीति पर हावी है सरकार की नीति

सरकार ने अपने फैसलों से विपक्ष की रणनीति पर हमेशा करारा प्रहार किया है. यही वजह है कि मोदी सरकार को घेरने में कांग्रेस पार्टी और तमाम विपक्ष विफल ही रहते हैं. आर्टिकल 370 जब हटाया गया था उस वक्त कांग्रेस नेता सलमान खान ने इसका विरोध किया था और कहा था कि इसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं, क्योंकि सरकार ने इस अनुच्छेद को बहुत गलत तरीके से हटाया है, अब वही सलमान खुर्शीद आर्टिकल 370 को हटाए जाने का समर्थन कर रहे हैं और जम्मू-कश्मीर के विकास के इसे जरूरी कदम बता रहे हैं. दरअसल मोदी सरकार ने हमेशा जनता से जुड़े मुद्दों को उभारा है और उनके दिल में जगह बनाई है, जबकि विपक्ष ऐसा नहीं कर पाया है. अगर हम पहलगाम हमले को ही लें, तो सरकार ने इस मुद्दे को अविलंब राष्ट्रवाद से जोड़ा, जिसकी वजह से जनता का उन्हें भरपूर समर्थन मिला. जनमत इस बात पर उनके साथ था कि पाकिस्तान को सबक सिखाया जाए, विपक्ष का रुख अलग था. हालांकि जनता के मूड को देखते हुए वे फिर सरकार के साथ खड़े हो गए. देश में हमेशा यह होता है कि मोदी सरकार एक नैरेटिव बनाती है, जबकि विपक्ष इसमें सक्षम नहीं है. विपक्ष में एकता का अभाव है, जिसकी वजह से वे हमेशा सरकार के नैरेटिव पर ही चलते नजर आते हैं.
विपक्ष के लिए बड़ी चेतावनी
सरकार जिस तरह विपक्ष से उनके मुद्दे हथिया लेती है या उन्हें बेकार कर देती है, यह स्थिति उनके लिए चेतावनी जैसी है. लोकतंत्र में मजबूत विपक्ष की जरूरत होती है, लेकिन नेतृत्व के अभाव में विपक्ष कमजोर है. विपक्ष में एकजुटता नहीं है, जिसकी वजह से वे सरकार के सामने सरेंडर कर देते हैं. अगर विपक्ष यह चाहता है कि वह सरकार से सवाल पूछे और मजबूत विपक्ष के रूप में खुद को प्रदर्शित करे, तो उसे सबसे पहले एकजुट होना होगा, अन्यथा जो हाल इंडिया गठबंधन का देश में हुआ, उससे तो विपक्ष की स्थिति सबको पता ही है. कांग्रेस जैसी पार्टी अपने अंदरुनी कलह से उबर नहीं पा रही है और उनका जनाधार लगातार खिसक रहा है.
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