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सारे जहां से अच्छा… से अंतरिक्ष से नमस्कार तक, 1962-2025 तक कैसी रही भारत की स्पेस जर्नी

Shubhanshu Shukla Axiom 4 : अंतरिक्ष से आए दो संदेश हमारे लिए बहुत खास हैं, जो यह बताते हैं कि भारत भी अब गगनयान जैसे मिशन को सफल बनाकर अमेरिका, रूस और चीन की श्रेणी में आ जाएगा जो अंतरिक्ष में अपना मानव यान भेज चुके हैं. 1984 में राकेश शर्मा ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से बात करते हुए यह कहा था कि अंतरिक्ष से भारत सारे जहां से अच्छा दिख रहा है और अब पूरे 41 साल बाद शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष से नमस्कार संदेश भेजकर हमारी उम्मीदों को बढ़ा दिया है.

Shubhanshu Shukla Axiom 4 : अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचने से पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने एक मैसेज भेजा है, जिसमें उन्होंने अंतरिक्ष से नमस्कार मैसेज भेजा है. उन्होंने अपने मैसेज में यह कहा है कि वे सबकुछ बच्चे की तरह सीख रहे हैं. उन्होंने बताया कि वैक्यूम में तैरना एक अद्‌भुत अनुभव था. अंतरिक्ष यान से वीडियो लिंक के माध्यम से अपना अनुभव साझा करते हुए शुभांशु शुक्ला ने बताया कि वे एक्सिओम-4 के प्रक्षेपण से पहले 30 दिनों तक वे कोरेंटिन रहे, इसलिए बाहर जो कुछ चल रहा था, उससे वे अनभिज्ञ थे. उनके दिमाग में केवल यह चल रहा था कि उन्हें बस जाने दिया जाए.

शुभांशु शुक्ला ने रचा इतिहास अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचने वाले पहले भारतीय बने

एक्सिओम-4 मिशन का ड्रैगन कैप्सूल अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से जुड़ गया है. इस ऐतिहासिक क्षण के साथ ही शुभांशु शुक्ला पहले ऐसे भारतीय बन गए हैं, जिन्होंने अंतरिक्ष स्टेशन में प्रवेश किया है. शुभांशु शुक्ला इस मिशन में बतौर पायलट शामिल हुए हैं. यह मिशन 14 तक का है और इस दौरान शुभांशु शुक्ला मीटर 0‑ग्रेविटी अनुभव और लाइव सिस्टम प्रशिक्षण लेंगे, जो गगनयान मिशन के लिए बहुत लाभकारी होगा. ड्रैगन कैप्सूल की अंतरिक्ष स्टेशन से डॉकिंग भारतीय समयानुसार शाम के 4.02 बजे हुई है. ड्रैगन कैप्सूल का प्रक्षेपण 25 जून को दोपहर 12 बजकर दो मिनट पर किया गया था.

क्या है भारत का गगनयान मिशन, जिसके लिए चुने जा चुके हैं शुभांशु शुक्ला

गगनयान मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का पहला मानवीय अंतरिक्ष मिशन है. इस मिशन का उद्देश्य अंतरिक्ष यात्रियों को वहां भेजना और उनकी सुरक्षित वापसी कराना है. गगनयान मिशन का उद्देश्य तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को लगभग 400किमी की कक्षा में 3 – 7दिन तक ले जाना और फिर समुद्र में सुरक्षित लैंडिंग कर वापस लाना है. इस मिशन की तैयारी की जा रही है और कई तरह के टेस्ट किए जा रहे हैं. शुभांशु शुक्ला को एक्सिओम-4 मिशन पर भेजना भी इसी मिशन की तैयारी का हिस्सा है. इस मिशन में वे वैक्यूम में रहना, जीना और खाना सीख रहे हैं.

कैसी रही है भारत की स्पेस जर्नी

युगउपलब्धियाँ
1962–80साउंडिंग रॉकेट, Aryabhata, SLV‑3
1981–2007INSAT/GSAT, PSLV, GSLV विकास
2008–14Chandrayaan‑1, Mangalyaan
2019–24Chandrayaan‑2/3, Aditya‑L1, RLV, SpaDEx, XPoSat
2025–40Gaganyaan मानव मिशन, स्पेस स्टेशन, चंद्र मानव मिशन

भारत की स्पेस जर्नी की शुरुआत भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (Indian National Committee for Space Research, INCOSPAR) से शुरू होती है, जब 1962 में इसका गठन अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए किया गया था. इस अनुसंधान समिति का नेतृत्व डॉ विक्रम साराभाई ने किया था. इसरो के गठन से पहले यही समिति अंतरिक्ष अनुसंधान का काम कर रही थी. 1963 में थुम्बा से पहला साउंडिंग रॉकेट लॉन्च हुआ जिसने भारत को अंतरिक्ष यात्रा की ओर अग्रसर किया. उसके बाद 1975 में पहला भारतीय उपग्रह आर्यभट्ट सोवियत लॉन्चर से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया. 1980 में स्वदेशी SLV‑3 रॉकेट द्वारा रोहिणी उपग्रह को लॉन्च इतिहास रचा गया. 1993 में अत्यधिक भरोसेमंद PSLV का पहला सफल मिशन हुआ उसके बाद में यह विदेशी उपग्रहों को स्थापित करता रहा. धीरे-धीरे भारत ने अपने अंतरिक्ष अनुसंधान को और आगे बढ़ाया और 2008 से 2014 के बीच चंद्र और मंगल अभियान चलाया. Chandrayaan‑1 से Chandrayaan-3 तक भारत ने सफलता के कई झंडे गाड़े. आज भारत इस स्थिति में है कि 2026 में गगनयान मिशन की तैयारी कर रहा है. इसरो की स्थापना 1969 में की गई थी और भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति को इसमें शामिल कर दिया गया था.

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Rajneesh Anand
Rajneesh Anand
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक. प्रिंट एवं डिजिटल मीडिया में 20 वर्षों से अधिक का अनुभव. राजनीति,सामाजिक, खेल और महिला संबंधी विषयों पर गहन लेखन किया है. तथ्यपरक रिपोर्टिंग और विश्लेषणात्मक लेखन में रुचि. IM4Change, झारखंड सरकार तथा सेव द चिल्ड्रन के फेलो के रूप में कार्य किया है. पत्रकारिता के प्रति जुनून है.

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