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Special Intensive Revision : बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट के गहन पुनरीक्षण का काम चल रहा है, यानी एक तरह से यह कहा जा सकता है कि वोटर्स की जांच की जा रही है और वोटरलिस्ट अपडेट हो रहा है. लेकिन देश भर में एसआईआर(Special Intensive Revision) का जिस तरह विरोध हो रहा है और संसद का मानसून सत्र लगातार तीसरे दिन भी बाधित रहा है, वोटरलिस्ट अपडेशन पर सवाल खड़े होते जा रहे हैं. चुनाव आयोग का कहना है कि एक भी वाजिब मतदाता का नाम वोटरलिस्ट से नहीं हटेगा, जबकि विपक्ष यह कह रहा है कि कमजोर तबके के लोगों का नाम वोटरलिस्ट से हटाने की साजिश हो रही है.
वोटरलिस्ट का गहन पुनरीक्षण, ताकि कोई योग्य मतदाता छूटे ना
चुनाव आयोग बार-बार यह दावा कर रहा है कि हम वोटरलिस्ट का गहन पुनरीक्षण इसलिए करा रहे हैं ताकि कोई भी योग्य मतदाता मतदान करने से छूटे ना. हमारी ऐसी कोई मंशा नहीं है कि किसी नागरिक का नाम वोटरलिस्ट से काट दिया जाए. इसके लिए एसआईआर(Special Intensive Revision) के कार्य को बहुत ही सहज बनाया गया है, आयोग ने बीएलओ को घर-घर जाने की जिम्मेदारी सौंपी है, ताकि वो हर मतदाता से enumeration form(गणना प्रपत्र) भरवा सके. यह प्रक्रिया बहुत ही सहज और सरल है, इसमें किसी को हैरान या परेशान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह प्रक्रिया पूरी तरह सहयोगात्मक रुख से पूरी की जा रही है. वोटरलिस्ट का पुनरीक्षण कराना कानून वैध है और सांविधानिक प्रक्रिया है. जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत यह प्रक्रिया की जा रही है.
आम आदमी थोड़ा परेशान, लेकिन जागरूक भी
बिहार में वोटरलिस्ट अपडेशन का जो काम हो रहा है, उससे आम आदमी थोड़ा परेशान तो है, क्योंकि उन्हें एक फाॅर्म भरना पड़ रहा है, उसे जमा करवाना पड़ रहा है. यह एक सहज प्रक्रिया है लेकिन आम आदमी नए काम से थोड़ा परेशान है. बिहारी चूंकि अपने अधिकारों को लेकर वह भी राजनीतिक अधिकार काफी जागरूक होते हैं, इसलिए वे enumeration form(गणना प्रपत्र) को भरने के प्रति जागरूक भी हैं. पटना की रहने वाली पूनम वर्मा ने प्रभात खबर को बताया कि उनका बूथ पहले कहीं और था, इस बार उसे चेंज कराया गया है. घर में तीन वोटर हैं, सबका फाॅर्म भर दिया गया है. परेशानी यह है कि कोई बीएलओ उन तक नहीं पहुंचा. उन्होंने खुद से बीएलओ तक अपना फाॅर्म पहुंचाया है. वहीं नाथनगर विधानसभा क्षेत्र के रहने वाले मोहम्मद तनवीर ने बताया कि हमारा प्रखंड सबौर है. आम आदमी की परेशानी यह है कि यहां कोई बीएलओ घर-घर नहीं आ रहा है. आम आदमी खुद जाकर उसके पास गणना प्रपत्र भर रहा है. चुनाव आयोग ने कोई जानकारी नहीं दी है कि क्या दस्तावेज लगेगा कब तक प्रपत्र भरा जाएगा. आम आदमी के बीच जागरूकता का अभाव है, वे अब यह जान पा रहे हैं कि 25 तारीख तक प्रपत्र भरना है, तो खुद जाकर अपना दस्तावेज जमा कर रहे हैं. यह काम बहुत हड़बड़ी में किया जा रहा है, अभी धान की खेती का समय है. गरीब आदमी इतना जानकार नहीं है वह परेशान हो रहा है.
मृत व्यक्तियों और विदेश में रहने वालों की जानकारी भी ली जा रही है
वोटरलिस्ट का पुनरीक्षण करने के लिए बीएलओ मृत व्यक्तियों की जानकारी ले रहा है और उनका अलग रजिस्टर तैयार कर रहा है. ऐसे लोगों का नाम वोटरलिस्ट से काटा जाएगा. साथ ही जिनका नाम लिस्ट में रिपीट हो रहा है या कहीं ट्रांसफर हो गया है, उनकी जानकारी भी ली जा रही है. मीरगंज, गोपालगंज जिला की रहने वाली पूनम सिंह बताती हैं कि मैं अभी पटना में हूं, लेकिन मैं और मेरा पूरा परिवार (4 लोगों का) मीरगंज का वोटर है. हमने मीरगंज में अपना अपडेशन करा लिया है, लेकिन पटना में हमारे घर पर बीएलओ आए थे और उन्होंने हमारे बारे में पूरी जानकारी ली. घर के सदस्यों की पूरी जानकारी ली और हमारे नाम के बगल में यह लिख दिया कि हम मीरगंज के वोटर हैं. हमारे घर के दो सदस्य विदेश में रहते हैं, उनकी जानकारी भी ली और उनके बारे में यह लिखा कि वे विदेश में रहते हैं. सबौर प्रखंड , फतेहपुर पंचायत के रहने वाले तनवीर बताते हैं कि मेरे माता-पिता अब जीवित नहीं हैं, लेकिन उनका नाम वोटरलिस्ट में था. मैंने अपना फाॅर्म तो भर दिया है, लेकिन माता-पिता की जानकारी कैसे अपडेट होगी यह मुझे पता नहीं है, क्योंकि इसकी जानकारी दी नहीं गई है. हां, यह बात गलत है कि किसी का नाम इरादतन वोटरलिस्ट से काटा जा रहा है. हमारे यहां ऐसा कुछ भी नहीं है. इसी पंचायत के बीएलओ मोहम्मद फैजान बताते हैं कि हम घर-घर जाकर डाटा जमा कर रहे हैं और फाॅर्म भरवा रहे हैं. हमारे पास ट्रांसफर, डेथ और रिपीटनेम के लिए अलग-अलग रजिस्टर है. हम उसके अनुसार डाटा भर रहे हैं. आगे जैसा आदेश मिलेगा वैसा काम हम करेंगे.
वोट प्रतिशत बढ़ाने की मशक्कत कर रहा है चुनाव आयोग
बिहार का वोट प्रतिशत राष्ट्रीय औसत से कम है, यही वजह है कि चुनाव आयोग इस कोशिश में है कि बिहार में वोट प्रतिशत बढ़े. प्रभात खबर के पॉलिटिकल एडिटर मिथिलेश कुमार कहते हैं कि वोटरलिस्ट का गहन पुनरीक्षण मतदान प्रतिशत को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है. जैसे आप इस उदाहरण से समझिए कि एक घर में छह वोटर हैं, जिनमें से तीन ही बिहार में रहते हैं बाकी तीन दूसरे राज्यों में हैं और वोट देने के लिए नहीं आते हैं. इन हालात में अगर उस घर से तीन लोग वोट करेंगे तो वो 50 प्रतिशत वोट होगा, इसलिए अगर उन तीन लोगों का नाम हटा दिया जाए तो मतदान 100 प्रतिशत हो जाएगा. चुनाव आयोग यह कहता है कि आप जहां रहते हैं वहीं मतदान करें, आपकी नागरिकता नहीं छिन रही है. साथ ही कुछ गैर नागरिक जो बांग्लादेशी और रोहिंग्या हैं उनका नाम भी हटाने के लिए यह अपडेशन हो रहा है. अगर मैं अमेरिका कुछ साल के लिए चला जाऊं, तो मैं वहां मतदान का अधिकारी नहीं हो जाऊंगा. बस यही काम इस अपडेशन में हो रहा है.
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