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जब देश सांप्रदायिक हिंसा की आग में झुलस रहा था, महात्मा गांधी क्यों गए थे नोआखाली?

Story Of Partition Of India 7 : महात्मा गांधी वो व्यक्ति थे जिन्हें संभवत: भारत के विभाजन से सबसे ज्यादा दुख हुआ होगा. उन्होंने हमेशा यही चाहा कि भारत को आजादी एक भारत के रूप में मिले ना कि खंडित भारत और पाकिस्तान के रूप में. लेकिन उनकी यह चाहत पूरी नहीं हो सकी. भारत का विभाजन हुआ और इतना ही नहीं जिस देश को महात्मा गांधी एक रखना चाहते थे, वहां हिंदू और मुसलमान एक दूसरे के खून के प्यासे हो गए थे. उस वक्त महात्मा ने नोआखाली जाने का फैसला किया था.

Story Of Partition Of India 7 : जिस वक्त देश में पाकिस्तान की मांग जोर पकड़ चुकी थी और मुस्लिम आम मुसलमान के मन में यह बात भर चुका था कि भारत में मुसलमानों पर अत्याचार होगा, उस वक्त एक मुसलमान महिला ने विभाजन का विरोध करने पर महात्मा गांधी को बहुत खरी-खोटी सुनाई थी. उन्होंने महात्मा गांधी से यह कहा था कि अगर दो भाई एक घर में रहते थे और वे अलग होकर दो अलग घरों में रहना चाहेंगे तो क्या आप उन्हें रोक देंगे. इसपर महात्मा ने कहा था-खास कि हम दो भाइयों की तरह अलग हो रहे होते. हम तो एक दूसरे का खून बहा रहे हैं, मां की कोख में ही बच्चों की बोटियां नोच रहे हैं. महात्मा गांधी देश में फैली सांप्रदायिक हिंसा से बहुत दुखी थे. उन्होंने हिंसाग्रस्त नोआखाली जाने का फैसला किया था.

नोआखाली में क्या हुआ था?

Mahatma Gandhi In Noakhali
नोआखाली में दंगाग्रस्त क्षेत्रों का दौरा करते हुए महात्मा गांधी

नोआखाली अब बांग्लादेश में स्थित है. जब देश में पाकिस्तान की मांग बढ़ती जा रही थी और ऐसे में मुस्लिम लीग के डायरेक्ट एक्शन डे (16 अगस्त 1946) मनाए जाने से यह मांग और बढ़ गई और देश के मुसलमान आरपार की लड़ाई के मूड में थे, उसी वक्त नोआखाली में भयंकर नरसंहार हुआ. देश में दो राज्य ऐसे थे, जिनपर विभाजन का सबसे अधिक प्रभाव पड़ा-पंजाब और बंगाल. बंगाल में तो अंग्रेजों ने 1905 में ही धर्म के आधार पर फूट डाल दी थी और राज्य को पूर्वी बंगाल और पश्चिम बंगाल में बांट दिया था. उसपर जब डायरेक्ट एक्शन की बात आई, तो मुसलमानों ने नोआखाली में हिंदुओं के साथ बर्बरता की हद कर दी थी. 1946 में जब यहां हिंसा की आग फैली थी तो महात्मा गांधी सात नवंबर को यहां आए थे और लगभग चार महीने तक यहां रूके थे. उनके यहां रूकने ने हिंसा में कमी आई और कई शांति समिति भी गठित की गई थी. गांधी जी ने हिंदुओं और मुसलमानों से हिंसा का रास्ता छोड़ने को कहा था.

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15 अगस्त को माउंटबेटन ने महात्मा को नोआखाली क्यों नहीं जाने दिया

महात्मा गांधी ने यह तय किया था कि वे आजादी के दिन नोआखाली के आतंकित हिंदुओं के साथ समय गुजारेंगे. उन्होंने वहीं पर चरखा चलाकर सूत कातने और उपवास करने का फैसला किया था.लेकिन माउंटबेटन उन्हें कलकत्ता में रोकना चाहते थे. माउंटबेटन ने महात्मा गांधी से कहा था कि वे नोआखाली जाने की बजाय कलकत्ता में रूकें, क्योंकि यहां हिंसा की आग फैल गई तो उसे रोकना असंभव होगा. सेना भेजने पर भी वहां हिंसा रोकना संभव नहीं हो पाएगा. इसपर गांधी जी ने उनसे कहा था कि यह आपकी विभाजन योजना का परिणाम है. दरअसल माउंटबेटन को यह भरोसा था कि महात्मा गांधी भारतीयों को इतनी अच्छी तरह समझते हैं और उनके प्रति भारतीयों का इतना सम्मान है, फिर चाहे वो हिंदू हो या मुसलमान, वे उनके आगे हथियार नहीं उठाएंगे. यही वजह था कि कि माउंटबेटन उन्हें नोआखाली नहीं जाने देना चाहते थे. लेकिन महात्मा गांधी ने उनके अनुरोध पर ध्यान नहीं दिया और वे नोआखाली जाने के लिए ही मन बना चुके थे.

किसके कहने पर कलकत्ता में रूक गए थे महात्मा गांधी

महात्मा गांधी अपने कट्टर विरोधी शाहिद सुहरावर्दी के कहने पर कलकत्ता में रूक गए थे. सुहरावर्दी ने उनसे यह कहा था कि उनके यहां रूकने से मुसलमानों पर खतरा कम होगा. गांधी जी ने उनकी बात मान ली थी, लेकिन साथ ही यह भी कहा था कि वे उनके साथ रहें और हिंदू-मुसलमानों को एक करने के लिए काम करें. डोमिनीक लापिएर और लैरी काॅलिन्स ने अपनी किताब फ्रीडम एड नाइट में लिखा है कि सुहरावर्दी वह व्यक्ति था जिसने कलकत्ता में डायरेक्ट एक्शन के नाम पर खून की नदियां बहाई थी, अब वह भय से गांधीजी की शरण में था. गांधीजी ने कलकत्ता में रूकने के एवज में उससे यह वादा मांगा कि नोआखाली के हिंदू सुरक्षित रहेंगे. तमाम विरोध के बावजूद महात्मा एक गंदी बस्ती में एक मुस्लिम के खंडहर जैसे घर में रूके थे और हिंदू-मुसलमान को एक करने की कोशिश की थी.

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पाकिस्तान के लिए मुस्लिम लीग ने की थी डायरेक्ट एक्शन की घोषणा, कलकत्ता में हुआ था भीषण दंगा

नोआखाली में क्या हुआ था?

नोआखाली में नरसंहार हुआ था, जिसमें हजारों लोगों की जान गई थी और अपहरण, बलात्कार और धर्मांतरण की घटना भी हुई थी.

महात्मा गांधी को नोआखाली जाते हुए किसने कलकत्ता में रोका?

शाहिद सुहरावर्दी के कहने पर महात्मा गांधी कलकत्ता में रूके थे, वह उनका कट्टर विरोधी था.

Rajneesh Anand
Rajneesh Anand
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक. प्रिंट एवं डिजिटल मीडिया में 20 वर्षों से अधिक का अनुभव. राजनीति,सामाजिक, खेल और महिला संबंधी विषयों पर गहन लेखन किया है. तथ्यपरक रिपोर्टिंग और विश्लेषणात्मक लेखन में रुचि. IM4Change, झारखंड सरकार तथा सेव द चिल्ड्रन के फेलो के रूप में कार्य किया है. पत्रकारिता के प्रति जुनून है.

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