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क्या सुप्रीम कोर्ट वक्फ बिल को कर सकता है निरस्त, समझें संविधान में क्या है प्रावधान?

Waqf Amendment Bill 2025 : क्या वक्फ संशोधन बिल असंवैधानिक है? असंवैधानिक कहने का अर्थ है कि यह देश के संविधान के अनुसार नहीं है, यानी इसमें जो बातें कही गई हैं, वह देश के कानून के विपरीत हैं. इसी बात को आधार बनाकर सांसद मोहम्मद जावेद और असदुद्दीन ओवैसी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं. अब सवाल यह है कि जिस विधेयक को संसद ने पूरी संवैधानिक व्यवस्था के साथ संसद से पास किया है, क्या सुप्रीम कोर्ट उसपर स्टे करेगा?

Waqf Amendment Bill 2025 : वक्फ संशोधन विधेयक 2025 को संसद ने पास कर दिया है. इस बिल को लोकसभा ने 2 अप्रैल और राज्यसभा ने 3 अप्रैल को पारित किया. यह विधेयक राष्ट्रपति की अनुमति प्राप्त करके कानून का रूप ले लेगा. विधेयक के कानून बनने की जो प्रक्रिया होती है, उसपर यह विधेयक पूरी तरह से सटीक बैठता है, बावजूद इसके इसे असंवैधानिक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है. इस परिस्थिति में देशवासियों के मन में यह सवाल है कि क्या सुप्रीम कोर्ट इस बिल को निरस्त कर सकता है? इस सवाल  का जवाब हमारा संविधान देता है.

कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका के अधिकारों पर क्या कहता है संविधान

भारतीय लोकतंत्र जिन स्तंभों पर खड़ा है वे हैं-कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका. भारत का संविधान लिखित है और उसमें इन तीनों स्तंभों की भूमिका और अधिकार स्पष्ट तौर पर बताए गए हैं. संविधान ने तीनों स्तंभों के कार्यों का बंटवारा किया है और यह भी सुनिश्चित किया है कि तीनों स्तंभों में कभी टकराव ना हो और ऐसा भी ना हो कि किसी की शक्ति अत्यधिक और किसी की कम हो जाए. संविधान ने तीनों स्तंभों को जो कार्य दिए हैं वे इस प्रकार हैं-

  • विधायिका यानी वह संस्था जो कानून बनाती है.
  • कार्यपालिका यानी वह संस्था जो कानून को देश में लागू करती है
  • न्यायपालिका इस बात की निगरानी करती है कि जो कानून बने हैं, उनका सही से पालन हो रहा है या नहीं.

देश के इन तीनों स्तंभों के बीच शक्ति का संतुलन भी बनाया गया है. विधायिका कार्यपालिका को प्रश्न पूछकर नियंत्रित करती है और उसके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी ला सकती है. जबकि कार्यपालिका विधायिका को भंग करने की क्षमता रखती है. वहीं न्यायपालिका विधायिका और कार्यपालिका के कार्यों की समीक्षा करता है, ताकि संविधान के अनुसार काम हो.

वक्फ बिल के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट क्या कर सकता है?

वक्फ बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जो याचिकाएं दाखिल की गई हैं, उसमें संविधान यानी देश के कानून के अनुसार कोई गलती नहीं हुई है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का काम ही है संविधान की व्याख्या करना. अब सवाल यह है कि सुप्रीम कोर्ट उस बिल के साथ क्या करेगा, जिसे संसद पास कर चुकी है? इस संबंध में विधायी मामलों के जानकार अधोध्या नाथ मिश्रा ने बताया कि संविधान में यह व्यवस्था है कि ना तो सुप्रीम कोर्ट और ना ही संसद यानी ना तो न्यायपालिका और ना ही विधायिका एक दूसरे के कार्य में हस्तक्षेप करते हैं. इस लिहाज से जब किसी विधेयक को संसद पास कर चुकी है, तो सुप्रीम कोर्ट उसे निरस्त कर देगा, यह संभव नहीं है. हां, यह हो सकता है कि बिल के किसी खास क्लॉज यानी कंडिका पर आपत्ति हो, तो सुप्रीम कोर्ट उसे देख सकता है और अगर उसे उचित लगे तो वह उसपर कुछ सुझाव विधायिका को दे सकता है. लेकिन यह सुझाव होगा, जजमेंट नहीं. यह संभव नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट वक्फ बिल पर स्टे लगा दे, क्योंकि वक्फ बिल को पूरी तरह संविधान सम्मत प्रक्रियाओं के तहत लाया गया है. अगस्त 2024 में यह बिल संसद में पेश किया गया, उसके बाद इसे विस्तृत चर्चा के लिए जेपीसी के पास भेजा गया. जेपीसी ने इस बिल पर कई तरह के सुझावों पर गौर किया और फिर उसमें बदलाव भी किया. जेपीसी की सिफारिशों के साथ बिल संसद में फिर आया और संसद द्वारा पास किया गया. बिल पर बहस हुई है, सभी पार्टियों को बोलने का मौका भी मिला है, इसलिए इसे पेश करने की जो व्यवस्था है वह पूरी तरह न्याय सम्मत है. 

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Rajneesh Anand
Rajneesh Anand
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक. प्रिंट एवं डिजिटल मीडिया में 20 वर्षों से अधिक का अनुभव. राजनीति,सामाजिक, खेल और महिला संबंधी विषयों पर गहन लेखन किया है. तथ्यपरक रिपोर्टिंग और विश्लेषणात्मक लेखन में रुचि. IM4Change, झारखंड सरकार तथा सेव द चिल्ड्रन के फेलो के रूप में कार्य किया है. पत्रकारिता के प्रति जुनून है.

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