नयी दिल्ली : इस बार का रमाकांत स्मृति कहानी पुरस्कार राकेश तिवारी को उनकी ‘परिकथा’ में प्रकाशित कहानी ‘मंगत की खोपड़ी में स्वप्न का विकास’ के लिए प्रदान किया जाएगा. निर्णायक और सुप्रसिद्ध कथाकार महेश कटारे का कहना है कि इस कहानी में स्वप्न की बेखबरी पर सवार मंगतराम की विडंबना सन्नाटे की बीहड़ आवाजों के शब्दों और वाक्यों की जिस कहन में दर्ज हुई है, उससे पाठक को महसूस होता है जैसे वह खुरदरे कैनवस की पेंटिंग पर कांपते विलाप के आगे आ पहुंचा हो. कहानी परिवेश और तनाव की उस भाषा में विन्यस्त है जिसमें समयबोध कथा कौशल के साथ आ जुड़ा है. इसलिए यह यथार्थ की उत्तप्त अनुभूति पर ही खत्म नहीं हो जाती…कुछ करने के लिए उकसाती भी है.
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राकेश तिवारी को रमाकांत स्मृति कहानी पुरस्कार

नयी दिल्ली : इस बार का रमाकांत स्मृति कहानी पुरस्कार राकेश तिवारी को उनकी ‘परिकथा’ में प्रकाशित कहानी ‘मंगत की खोपड़ी में स्वप्न का विकास’ के लिए प्रदान किया जाएगा. निर्णायक और सुप्रसिद्ध कथाकार महेश कटारे का कहना है कि इस कहानी में स्वप्न की बेखबरी पर सवार मंगतराम की विडंबना सन्नाटे की बीहड़ आवाजों […]
राकेश तिवारी की कहानियां लगभग सभी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं. उनकी एक कहानी पर फिल्म बन चुकी है और एक की नाट्य प्रस्तुति भी हो चुकी है. अब तक उनके दो कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं तथा तीसरा संग्रह ‘चिट्टी जनानियां’ आने वाला है. उत्तराखंड के गरम पानी में जन्मे राकेश तिवारी जनसत्ता से सेवामुक्त होकर अब स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं. उनका नाता रंगकर्म, पटकथा लेखन तथा अनुवाद से भी है. पुरस्कार समिति के संयोजक के अनुसार पुरस्कार समारोह दिसंबर में दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान में आयोजित होगा.
Prabhat Khabar Digital Desk
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