Ketu Gochar 2025: केतु राहु के समान एक अशुभ ग्रह है, जिसे छाया ग्रह के नाम से भी जाना जाता है. इसका कोई वास्तविक अस्तित्व नहीं है और न ही इसका कोई विशेष राशि है; यह जिस राशि में स्थित होता है, उसी के अनुसार अपना प्रभाव उत्पन्न करता है. इसके प्रभाव से कुछ विषयों में अधिक लाभ प्राप्त होता है. केतु स्त्री कारक ग्रह है, इसलिए केतु से प्रभावित व्यक्तियों में स्त्री के समान गुण होते हैं, यही कारण है कि इन्हें स्त्रियों के साथ मित्रता अधिक होती है.
केतु वृश्चिक और धनु राशि में उच्च स्थिति में होते हैं. केतु अश्विनी, मघा और मूल नक्षत्रों के स्वामी हैं. केतु रचनात्मक कार्यों में लाभ प्रदान करते हैं और उन्हें पूर्ण सफलता प्राप्त होती है. केतु के शुभ प्रभाव से जल संबंधी व्यापार में लाभ होता है. उन्हें यात्रा करना बहुत पसंद है. इसके अलावा, केतु व्यक्ति के जीवन में मानसिक और आध्यात्मिक रूप से मजबूती प्रदान करते हैं, जिससे वे अनुसंधान में अधिक ध्यान केंद्रित कर पाते हैं. यही कारण है कि केतु के प्रभाव से व्यक्ति को राजनीतिक क्षेत्र में सफलता मिलती है. केतु मूलांक 7 का प्रतिनिधित्व करते हैं और धर्म के मामलों में रूढ़िवादी विचारों को मानते हैं.
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जन्म कुंडली में केतु के अशुभ प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में विभिन्न प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न होती हैं. कार्यक्षेत्र में हानि होती है, अधिकारियों के साथ विवाद की स्थिति बनती है, मन में अचानक परिवर्तन होता है जिससे व्यक्ति भ्रमित रहता है. मानसिक चिंता बढ़ जाती है और जीवन के कार्य सुगमता से नहीं हो पाते हैं, स्वास्थ्य में भी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं.
केतु का सिंह राशि में गोचर का प्रभाव
केतु 18 मई 2025 को बुध की राशि कन्या से निकलकर सिंह राशि में गोचर करेगे सिंह राशि में केतु 18 महीना संचरण करेंगे. सिंह राशि के स्वामी सूर्य है केतु छाया ग्रह है सूर्य और केतु एक दूसरे का शत्रु मानते है इस गोचर का प्रभाव नकारात्मक रहेगा जिसे व्यक्ति के जीवन में मानसिक तनाव, विवाद, कार्य में बाधा, नौकरी में परेशानी बनेगी, स्वास्थ्य ठीक नहीं रहेगा.
कब करेंगे केतु गोचर
18 मई 2025 संध्या 04:30 मिनट पर कन्या राशि से निकल सिंह राशि में गोचर करेंगे.
केतु के गोचर से मेष से लेकर मीन राशि के लिए कैसा रहेगा
मेष राशि
मेष राशि के जातक के लिए पांचवे भाव में गोचर होने से मन में असंतोष की भावना उत्पन्न होगी, संतान की उन्नति में रुकावट आएगी, जबकि भाई से सुख की प्राप्ति होगी. कार्यक्षेत्र में मजबूती आएगी, विदेश यात्रा संभव है, लेकिन जानवरों से भय रहेगा और ऊपरी बाधाओं के कारण परेशानियां उत्पन्न होंगी. स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहेगा.
वृष
वृष राशि के जातकों के चौथे भाव में केतु का गोचर होने से उन्हें धन और संपत्ति का लाभ होगा, उनकी वाणी मधुर रहेगी. हालांकि, आलस्य बढ़ सकता है और मन में चंचलता बनी रहेगी. माता के स्वास्थ्य में गिरावट आ सकती है और पारिवारिक संपत्ति को लेकर विवाद उत्पन्न हो सकता है, जिससे कार्य क्षेत्र में बाधाएं आ सकती हैं.
मिथुन
मिथुन राशि के जातकों के लिए केतु का तीसरे भाव में गोचर धन में वृद्धि, शत्रुओं की पराजय, मान-सम्मान में कमी, यश में वृद्धि और विदेश यात्रा का संकेत देता है, हालांकि वे कुछ बाहरी बाधाओं से परेशान रह सकते हैं.
कर्क
कर्क राशि के जातकों के लिए केतु का दूसरे भाव में गोचर कुटुंब के सुख में कमी लाएगा, जबकि धन लाभ होगा. बातचीत के दौरान सावधानी बरतें, करियर में उन्नति होगी, और नौकरी करने वालों को अधिकारियों से मान-सम्मान प्राप्त होगा. स्वास्थ्य ठीक नहीं रहेगा.
सिंह
सिंह राशि के जातकों के लिए केतु का पहला भाव में गोचर शुभ परिणाम लाएगा, हालांकि मेहनत करनी पड़ेगी. मन में चंचलता रहेगी, व्यापार में परिवर्तन आएगा, कार्य क्षेत्र में कठिनाइयाँ होंगी, और दांपत्य जीवन अनुकूल नहीं रहेगा.
कन्या
कन्या राशि के जातक केतु द्वादश भाव के स्वामी होते हैं. धर्म के कार्यों से लाभ प्राप्त होगा, लेकिन खर्च में वृद्धि होगी. शत्रुओं पर विजय प्राप्त होगी. स्वभाव में परिवर्तन आएगा, मित्रों का सहयोग नहीं मिलेगा. जो लोग विदेश यात्रा की योजना बना रहे हैं, उन्हें लाभ होगा, जबकि पेट से संबंधित समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं.
तुला
तुला राशि के जातक के लिए केतु का एकादश भाव में गोचर होने से उनके व्यवहार में परिवर्तन आएगा, अचानक खर्च में वृद्धि होगी, समाज में प्रतिष्ठा और सम्मान प्राप्त होगा, अनुचित साधनों से धन की प्राप्ति होगी, प्रेम संबंधों में कमी आएगी और व्यापार में लाभ होगा.
वृश्चिक
वृश्चिक राशि के केतु का दशम भाव में गोचर होने से आपके समाज में प्रभाव बढ़ेगा, शत्रुओं पर विजय प्राप्त होगी, आय के कई नए स्रोत खुलेंगे, और व्यापार में प्रगति होगी. हालांकि, पिता के साथ संबंधों में तनाव उत्पन्न हो सकता है और नौकरी में समस्याएँ आ सकती हैं.
धनु
धनु राशि के जातक केतु के नवम भाव में गोचर कर रहे हैं. कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त होगी. विरोधी धार्मिक यात्रा का रूप लेगा और मन तथा विचार धार्मिक होंगे. विदेश यात्रा की योजना बनाने वालों को सफलता मिलेगी. भाग्य का साथ मिलेगा और सरकारी कार्यों से लाभ होगा.
मकर
मकर राशि के जातकों के लिए केतु का आठवें भाव में गोचर उनके पराक्रम में वृद्धि करेगा, लेकिन धन लाभ में कमी आएगी. कार्यस्थल पर सहकर्मियों का सहयोग नहीं मिलेगा, और उन्हें मूत्र रोग तथा गुप्त रोगों से परेशानियों का सामना करना पड़ेगा.
कुम्भ
कुम्भ राशि के जातक केतु के सप्तम भाव में गोचर करने से रिश्तों में कमी आएगी, दांपत्य जीवन में तनाव उत्पन्न होगा, व्यापार में लाभ होगा, लेकिन मानसिक स्थिति ठीक नहीं रहेगी और गलत संगत से समस्याएं उत्पन्न होंगी. आर्थिक स्थिति भी संतोषजनक नहीं रहेगी.
मीन
मीन राशि के जातक केतु के छठे भाव में गोचर करने से उनके पराक्रम में वृद्धि होगी, लेकिन विवाद उत्पन्न हो सकते हैं. उन्हें कोर्ट और कचहरी के चक्कर लगाने पड़ सकते हैं, जिससे वित्तीय हानि हो सकती है. प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता प्राप्त होगी, लेकिन वे कुछ बाहरी बाधाओं से परेशान रहेंगे.
जन्मकुंडली, वास्तु, तथा व्रत त्यौहार से सम्बंधित किसी भी तरह से जानकारी प्राप्त करने हेतु दिए गए नंबर पर फोन करके जानकारी प्राप्त कर सकते है .
ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847