Ardra Nakshatra 2025: सूर्य का गोचर जब मिथुन राशि के आर्द्रा नक्षत्र में होता है, तो यह धार्मिक, प्राकृतिक और ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस वर्ष 22 जून को प्रातः 6:19 बजे सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे और 6 जुलाई को सुबह 5:47 बजे तक वहीं स्थित रहेंगे. यह समय धरती पर परिवर्तन की शुरुआत का प्रतीक होता है, विशेष रूप से मानसून के आगमन से इसे जोड़ा जाता है. ज्योतिष में आर्द्रा नक्षत्र का संबंध मानसिक गतिविधियों, आंतरिक उथल-पुथल और गहरी भावनाओं से होता है. सूर्य के इस नक्षत्र में प्रवेश से व्यक्ति के जीवन में बौद्धिक चुनौतियाँ, नवीन विचारों का उदय और बदलाव की स्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं. यह समय आत्ममंथन, विकास और व्यक्तिगत सफलता के नए द्वार खोलने का अवसर प्रदान करता है.
इस वर्ष सूर्य ही राजा और मंत्री दोनों हैं, और चूंकि सूर्य वर्षा के प्रमुख कारकों में से एक माने जाते हैं, इसलिए इस बार अच्छी बारिश के प्रबल योग बन रहे हैं. विशेष रूप से जब सूर्य और चंद्रमा का स्त्री-पुरुष योग बनता है, तब झमाझम वर्षा होती है. यही कारण है कि 22 जून से कई क्षेत्रों में बारिश की शुरुआत के संकेत मिल रहे हैं.
ऐसे सजती है आर्द्रा नक्षत्र की पारंपरिक बिहारी थाली
22 जून को सूर्य पुनर्वसु नक्षत्र में प्रवेश करेंगे
हिंदू पंचांग के अनुसार, 6 जुलाई को सूर्य आर्द्रा नक्षत्र से निकलकर पुनर्वसु नक्षत्र में प्रवेश करेंगे और लगभग 15 दिन तक वहीं रहेंगे. इस अवधि में सूर्य स्त्री-पुरुष योग बनाएंगे, लेकिन यह संयोग बहुत तेज वर्षा के योग नहीं दर्शाता. इसलिए इस दौरान बारिश थोड़ी कम हो सकती है.
सावन में होगी झमाझम वर्षा
पुनर्वसु नक्षत्र में 15 दिन रहने के बाद सूर्य एक बार फिर नक्षत्र परिवर्तन करेंगे और उसी समय सावन मास की शुरुआत भी होगी. जैसे ही सावन शुरू होगा, मौसम में परिवर्तन देखने को मिलेगा और बादल पूरे जोर से बरसेंगे, जिससे अच्छी और लगातार बारिश की संभावना प्रबल हो जाएगी.