Ashadha Amavasya 2025 : आषाढ़ अमावस्या हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र और पुण्यकारी तिथि मानी जाती है. यह दिन पितरों की आत्मा की शांति और आशीर्वाद प्राप्ति के लिए विशेष रूप से समर्पित होता है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, काले तिल से तर्पण और ब्राह्मणों को दान देने का विशेष महत्व है. धार्मिक शास्त्रों में इसे पितृ तृप्ति का श्रेष्ठ दिन बताया गया है:-

– आषाढ़ अमावस्या का पावन महत्व
हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास की अमावस्या तिथि का विशेष धार्मिक महत्व होता है. यह दिन पितरों की आत्मा की शांति हेतु श्रेष्ठ माना गया है. इस तिथि पर श्रद्धालु विशेष रूप से पितृ तर्पण, पिंडदान और स्नान-दान करते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दिन श्रद्धापूर्वक किए गए तर्पण से पितृगण प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है. आषाढ़ अमावस्या को ‘हलहारिणी अमावस्या’ भी कहा जाता है, जो वर्षा ऋतु की शुरुआत का संकेत देती है.
– पितृ तर्पण का विधान एवं विधि
धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है कि अमावस्या के दिन गंगाजल मिले शुद्ध जल में काले तिल मिलाकर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पितरों का तर्पण करना चाहिए. इस विधि में ‘ओम पितृभ्यः स्वधा नमः’ मंत्र का जप करते हुए जल अर्पित किया जाता है. काले तिल को तर्पण में सम्मिलित करने का विशेष कारण यह है कि यह पितरों को तृप्त करने वाला एवं दोषों का नाश करने वाला माना गया है. जिन व्यक्तियों की कुंडली में पितृ दोष होता है, उनके लिए यह दिन अत्यंत शुभ और प्रभावशाली होता है.
– काले तिल और जल का विशेष महत्व
शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि काले तिल पवित्रता, शुद्धि और नेगेटिव एनर्जी को खत्म करने में सक्षम होते हैं. जब इन्हें जल के साथ पितृ तर्पण में प्रयोग किया जाता है, तो यह पितृ लोक में सीधे पहुंचता है और पितरों की आत्मा को तृप्त करता है. इसके साथ ही काले तिल का प्रयोग श्राद्ध कर्म, हवन एवं दान में भी किया जाता है. पौराणिक मान्यता अनुसार, काले तिल यमराज के द्वारा विशेष रूप से स्वीकार किए जाते हैं.
– पितृ दोष शांति हेतु सर्वोत्तम दिन
यदि किसी जातक की कुंडली में पितृ दोष हो, वंश में अकाल मृत्यु या संतान से संबंधित कष्ट हो रहे हों, तो आषाढ़ अमावस्या के दिन तर्पण करना अत्यंत कल्याणकारी होता है. इस दिन ब्राह्मण को भोजन कराना, दक्षिणा देना, वस्त्र और तिल का दान करना भी पितृ दोष निवारण में सहायक होता है. साथ ही, यह दिन पितरों की कृपा प्राप्त करने हेतु संजीवनी समान माना गया है.
– धार्मिक कार्यों की पूर्ति एवं पुण्य फल
आषाढ़ अमावस्या के दिन किया गया कोई भी पुण्य कार्य – जैसे गंगा स्नान, दान, व्रत, तर्पण, ब्राह्मण भोजन – सामान्य दिनों की अपेक्षा कई गुना फलदायक होता है. शास्त्रों के अनुसार यह दिन समस्त पापों के प्रायश्चित एवं आत्मा की शुद्धि का सर्वोत्तम अवसर प्रदान करता है. इस दिन भगवान विष्णु, पितृ देवता, और माता गंगा की उपासना से घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है.
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आषाढ़ अमावस्या 2025 का यह पावन दिन पितरों की कृपा पाने और पितृ दोष से मुक्ति हेतु अति शुभ अवसर है. श्रद्धा, भक्ति और विधिपूर्वक तर्पण करने से समस्त बाधाएं दूर होती हैं और दिव्य कृपा प्राप्त होती है.