Ashadha Amavasya 2025: आषाढ़ अमावस्या के साथ ही आषाढ़ माह का कृष्ण पक्ष समाप्त हो जाएगा और शुक्ल पक्ष की शुरुआत होगी. इस तिथि को हलहारिणी अमावस्या भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन किसान अपने हल और खेती के अन्य उपकरणों की पूजा करते हैं.
वर्ष 2025 में आषाढ़ अमावस्या का पर्व बुधवार, 25 जून 2025 को मनाया जाएगा. इस दिन पितृ तर्पण और अमावस्या से जुड़ी पूजा विधियां पूरे दिन की जा सकती हैं.
आषाढ़ अमावस्या सिर्फ पितृ तर्पण का दिन नहीं है, बल्कि यह तिथि साधना, तंत्र क्रिया और धन-संपन्नता प्राप्त करने के लिए अत्यंत फलदायी मानी जाती है. यदि आप लंबे समय से आर्थिक संकट या पारिवारिक अशांति से जूझ रहे हैं, तो इस विशेष दिन कुछ प्रभावी उपाय अपनाकर जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं.
पितृ तर्पण और जल अर्पण करें
इस दिन गंगा जल, काले तिल और दूध मिलाकर पितरों के नाम से जल अर्पित करें. घर के आंगन या नदी में यह जल चढ़ाने से पितृ दोष शांत होता है और घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है.
पीपल की पूजा से मिलेगा पुण्य
पीपल के वृक्ष को जल अर्पित करें, तिल के तेल का दीपक जलाएं और सात बार परिक्रमा करें. मान्यता है कि पीपल में त्रिदेवों – ब्रह्मा, विष्णु और महेश – का वास होता है, जिससे सौभाग्य और आर्थिक लाभ प्राप्त होता है.
करें दान, मिलेगा धनलाभ
शुद्ध चावल, गुड़, तिल और घी का दान किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद को करें. यह दान माता लक्ष्मी को प्रसन्न करता है और दरिद्रता का नाश करता है.
राहु-केतु और कालसर्प दोष का समाधान
कुंडली में राहु-केतु या कालसर्प दोष होने पर शिवलिंग पर जल, दूध और बेलपत्र अर्पित करें और “ॐ नमः शिवाय” का 108 बार जाप करें. इससे ग्रह दोष शांत होते हैं और बाधाएं दूर होती हैं.
दीपदान से दूर होगी नकारात्मकता
शाम को तिल के तेल का दीपक जलाकर किसी नदी, तालाब या मंदिर में प्रवाहित करें. इससे शनि संबंधी परेशानियों से राहत मिलती है और मानसिक शांति मिलती है. आषाढ़ अमावस्या का दिन अध्यात्म और आराधना का श्रेष्ठ अवसर है. इन उपायों को श्रद्धा और नियमपूर्वक अपनाएं, निश्चित ही धन, सुख और समृद्धि का अनुभव करेंगे.
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