Ashadha Amavasya 2025 : आषाढ़ अमावस्या, सनातन धर्म में विशेष महत्व रखने वाली तिथि है. यह दिन पितृ तर्पण, दान-पुण्य और कर्म शुद्धि के लिए अत्यंत फलदायक माना जाता है. इस दिन सूर्य और चंद्र दोनों की कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन की कई समस्याएं स्वतः समाप्त हो जाती हैं. शास्त्रों के अनुसार, आषाढ़ अमावस्या पर विशेष वस्तुओं का दान करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और सभी प्रकार की बाधाएं व ग्रह दोष शांत होते हैं:-
– तिल और तिल का तेल
गरुड़ पुराण और धर्मशास्त्रों में तिल और तिल का तेल पितरों के लिए अत्यंत प्रिय माना गया है. आषाढ़ अमावस्या पर काले तिल और तिल का तेल दान करने से पितृ दोष शांत होता है और परिवार में सुख-शांति आती है. इसे किसी ब्राह्मण या ज़रूरतमंद व्यक्ति को दान करना अत्यंत पुण्यकारी होता है.
– काला वस्त्र
काले वस्त्र का संबंध शनि देव और नकारात्मक ऊर्जा से होता है. आषाढ़ अमावस्या पर काले वस्त्र दान करने से जीवन में चल रही परेशानियां, कोर्ट-कचहरी के मामले और मानसिक तनाव कम होते हैं. यह दान विशेषकर शनिवार को अमावस्या होने पर अत्यधिक प्रभावशाली होता है.
– अन्न और जल से भरा घड़ा
अन्न और जल का दान सनातन धर्म में सर्वोच्च दानों में गिना गया है. आषाढ़ अमावस्या पर भूखे, जरूरतमंदों या गायों को अन्न खिलाना और शीतल जल का दान करना अत्यंत पुण्यकारी होता है. इससे अन्नदात्री देवी अन्नपूर्णा की कृपा मिलती है और जीवन में कभी अन्न की कमी नहीं होती.
– छाता, चप्पल और वस्त्र
आषाढ़ मास वर्षा ऋतु की शुरुआत का प्रतीक है, इस दिन छाता, चप्पल, और वस्त्र दान करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है. यह दान मानव सेवा का प्रतीक है और इससे दरिद्रता, रोग तथा कष्टों से मुक्ति मिलती है.
– सात प्रकार के अनाज
सात धान्य – जैसे चना, गेहूं, मूंग, उड़द, मसूर, तिल, और चावल – का दान आषाढ़ अमावस्या पर विशेष माना गया है. यह दान संपत्ति वृद्धि, कर्ज मुक्ति और पितरों की संतुष्टि के लिए अत्यंत शुभ होता है.
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आषाढ़ अमावस्या 2025 को श्रद्धा और विधिपूर्वक दान करने से ना केवल पितृ प्रसन्न होते हैं, बल्कि जीवन की अनेक समस्याओं से मुक्ति मिलती है. यह दिन आत्मा की शुद्धि, कर्म सुधार और ईश्वर कृपा प्राप्ति का उत्तम अवसर है.