Ashadha Gupt Navratri 2025 : गुप्त नवरात्रि, विशेष रूप से आषाढ़ मास में आने वाली, साधना और तंत्र साधकों के लिए अत्यंत महत्व रखती है. इस नवरात्रि में मां दुर्गा के दस गुप्त और तांत्रिक स्वरूपों की पूजा की जाती है, जिन्हें “दश महाविद्याएं” कहा जाता है. ये रूप शक्ति की विभिन्न शक्तियों और रहस्यमय स्वरूपों का प्रतिनिधित्व करते हैं. यहां हम जानेंगे देवी के इन दस रूपों का रहस्यपूर्ण विवरण:-

– गुप्त नवरात्रि का महत्त्व
यह साधकों के लिए आत्मिक शक्तियों को जागृत करने का श्रेष्ठ समय होता है.
विशेष तांत्रिक मंत्रों और हवन द्वारा देवी को प्रसन्न किया जाता है.
नवशक्ति की उपासना करके सांसारिक एवं आध्यात्मिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है.
– दस महाविद्याएं एवं उनके रहस्यात्मक स्वरूप
काली
- समय और मृत्यु की अधिष्ठात्री देवी.
- अज्ञान और नाश की शक्ति को नष्ट करती हैं.
- तांत्रिक साधना की प्रथम और प्रधान देवी मानी जाती हैं.
तारा
- ज्ञान और रक्षा की देवी.
- संकट में उद्धार करती हैं.
- साधक को मृत्यु के भय से मुक्ति देती हैं.
त्रिपुर सुंदरी
- सौंदर्य और प्रेम की अधिष्ठात्री.
- श्रीविद्या साधना में सर्वोच्च स्थान.
- ब्रह्मांड की सर्वोच्च चेतना का प्रतीक.
भुवनेश्वरी
- ब्रह्मांड की रचयिता.
- समस्त लोकों की अधिष्ठात्री देवी.
- भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करती हैं.
छिन्नमस्ता
- आत्मबलिदान और जागरण की देवी.
- सिर कटने के बाद भी स्वयं को खिला रही हैं – यह ज्ञान और त्याग का प्रतीक है.
भैरवी
- उग्र रूप में शक्ति की देवी.
- साधक की आत्मा को पवित्र और दृढ़ बनाती हैं.
- भय और विकारों का नाश करती हैं.
धूमावती
- विधवा स्वरूप, जीवन के कटु सत्य और विरक्ति का प्रतीक.
- दुखों से सीख दिलाने वाली शक्ति.
बगलामुखी
- शत्रुओं के नाश और वाक्-सिद्धि की देवी.
- शत्रु की वाणी, बुद्धि और क्रिया को रोकने में समर्थ.
मातंगी
- संगीत, कला और वाणी की देवी.
- शुद्ध और अशुद्ध दोनों से परे, ज्ञान की देवी.
कमला
- वैभव, ऐश्वर्य और लक्ष्मी का स्वरूप.
- भौतिक सुख और आध्यात्मिक सम्पन्नता प्रदान करती हैं.
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आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के ये दस गुप्त रूप साधना की चरम स्थिति को प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करते हैं. यह समय शक्ति की उपासना, आत्मदर्शन और चेतना की गहराइयों में उतरने का अनूठा अवसर है.