Astro Tips for Marriage: वैवाहिक जीवन में सुखी होने से पूरे जीवन में खुशहाली आती है वही वैवाहिक जीवन में विघ्न बनता है जीवन के सभी सुख बेकार हो जाता है ज्योतिषशास्त्र के अनुसार पति पत्नी का आपसी मनमुटाव ग्रह के कारण बनता है पत्नी पत्नी का रिश्ता बहुत अनुकूल होता है ऐसे तो सभी के जीवन में थोड़ी बहुत समस्या बनता है लेकिन कभी कभी किसी के वैवाहिक जीवन में बड़ा विवाद बनता है इनका मुख्य कारण ग्रह नक्षत्र के प्रभाव से होता है सभी ग्रह का अपना अपना प्रभाव होता है लड़के के विवाहित जीवन में सभी ग्रहों में शुक्र और महिला के विवाहित जीवन में वृहस्पति का भूमिका ज्यादा रहता है. पुरुष के वैवाहिक जीवन में परेशानी बनता है इस स्थिति में शुक्र अनुकूल नहीं होने के कारण तथा महिला के जन्मकुंडली में वृहस्पति अनुकूल नहीं होने के कारण कलेश बनता है
वैवाहिक जीवन में सुख-शांति का होना संपूर्ण जीवन में खुशहाली लाता है. वहीं यदि वैवाहिक संबंधों में तनाव उत्पन्न हो जाए, तो अन्य सभी सुख व्यर्थ प्रतीत होते हैं. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, पति-पत्नी के बीच मनमुटाव या तनाव का कारण कई बार उनके कुंडली में मौजूद ग्रहों की स्थिति होती है.
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हालांकि हर किसी के जीवन में छोटी-मोटी समस्याएं आती रहती हैं, लेकिन जब वैवाहिक जीवन में विवाद गहराने लगे, तो इसके पीछे अक्सर ग्रह-नक्षत्रों का प्रभाव होता है. प्रत्येक ग्रह का एक विशेष प्रभाव होता है, और विशेषकर वैवाहिक जीवन में पुरुष के लिए शुक्र ग्रह और महिला के लिए बृहस्पति ग्रह अत्यधिक महत्वपूर्ण माने जाते हैं. जब इन ग्रहों की स्थिति प्रतिकूल होती है, तो जीवनसाथियों के बीच तनाव बढ़ता है.
किन ग्रहों के कारण वैवाहिक जीवन में क्लेश उत्पन्न होता है?
- सप्तम भाव (सातवां भाव) को वैवाहिक जीवन का भाव माना गया है. यदि इस भाव में शुभ ग्रह उपस्थित न हों, तो वैवाहिक संबंधों में तनाव बढ़ सकता है.
- जब बृहस्पति की राशि में मंगल स्थित हो और बृहस्पति की दृष्टि पड़ रही हो, तो यह स्थिति झगड़े और असंतोष को जन्म देती है.
- सप्तम भाव में यदि शुक्र हो और वह चंद्रमा तथा सूर्य के बीच घिरा हो, तो वैवाहिक जीवन में असंतुलन आ सकता है.
- यदि चंद्रमा सप्तम भाव में हो, सप्तमेश बारहवें भाव में चला जाए, और शुक्र निर्बल हो, तो भी विवाह जीवन में बाधाएं उत्पन्न होती हैं.
- पहला, चौथा, सातवां, आठवां और बारहवां भाव यदि पाप ग्रहों से प्रभावित हो जाएं, तो वैवाहिक जीवन में क्लेश संभव होता है.
- सप्तम भाव में मकर राशि में बृहस्पति स्थित हो, तो विवाह संबंधों में कठिनाइयां आती हैं.
- यदि सप्तम भाव का स्वामी छठे भाव में चला जाए या छठे भाव का स्वामी सप्तम भाव में हो, तब भी दांपत्य जीवन में मतभेद होते हैं.
- वृश्चिक राशि में शुक्र, मंगल-शनि की युति के सामने शुक्र या चंद्रमा, अथवा सप्तम भाव में मीन राशि में शनि व मंगल होने पर तनाव बढ़ सकता है.
- सप्तम भाव में यदि शनि, राहु, केतु या मंगल हों, तो वैवाहिक जीवन में गंभीर क्लेश उत्पन्न हो सकते हैं.
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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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