Astro Tips : धन का संचय हर व्यक्ति का सपना होता है, लेकिन कई बार लाख प्रयासों के बावजूद भी पैसा टिक नहीं पाता. इसका कारण केवल मेहनत की कमी नहीं, बल्कि ज्योतिष और धर्मशास्त्रों में बताए गए कुछ दोष भी हो सकते हैं. शास्त्रों में बताया गया है कि जब तक धन का आगमन शुद्ध माध्यम और उचित कर्मों से नहीं होता, तब तक वह टिकता नहीं. आइए जानते हैं ऐसे कौन से धार्मिक कारण हैं जो धन को रुकने नहीं देते:-
– पूर्व जन्म के कर्मों का प्रभाव
धन की प्राप्ति और उसका संचय केवल इस जन्म की मेहनत पर निर्भर नहीं करता, बल्कि पूर्व जन्मों के शुभ और अशुभ कर्मों का भी गहरा प्रभाव होता है. शास्त्रों में कहा गया है – “कर्मणा जायते जन्म, कर्मणा वर्धते जनः” यदि पूर्व जन्मों में आपने धन का दुरुपयोग किया हो, दूसरों का धन हड़पा हो या किसी की आर्थिक सहायता से मुंह मोड़ा हो, तो इस जन्म में वह कर्म फल के रूप में सामने आता है. इसलिए बार-बार धन आने के बावजूद वह टिक नहीं पाता.
– लक्ष्मी जी का अपमान या अशुद्धता
मां लक्ष्मी को शुद्धता और सात्विकता प्रिय है. यदि घर में प्रतिदिन नियमपूर्वक पूजा न हो, घर गंदा और अस्त-व्यस्त हो, रसोई में जूठे बर्तन पड़े हों या संध्या के समय अपवित्रता फैली हो, तो मां लक्ष्मी का वास नहीं होता. शास्त्रों में कहा गया है – “अशुचिर्नैव लक्ष्मीः स्थायिनी भवति गृहेषु” अतः घर में नियमित साफ-सफाई, दीपक जलाना और लक्ष्मी की पूजा आवश्यक है.
– धन का दुरुपयोग या अहंकार
जब व्यक्ति धन प्राप्त कर लेता है और उसका उपयोग व्यसन, दान न करने, या दिखावे में करता है, तब वह धन अनिष्टकारी बन जाता है. श्रीमद्भागवत में वर्णन है कि जो धन धर्म, दान और सेवा में नहीं लगता, वह नष्ट हो जाता है. इसलिए धन आने पर विनम्र बने रहना, उसका सत्कर्म में प्रयोग करना और ज़रूरतमंदों की सहायता करना परम आवश्यक है.
– राहु-केतु या शनि के दोष
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि कुंडली में राहु, केतु या शनि ग्रह अशुभ स्थिति में हों तो धन हानि, धोखा, चोरी या बेमतलब खर्च बढ़ जाते हैं. ऐसे दोषों से बचने के लिए नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ, शनिवार को शनि की पूजा, काली चीज़ों का दान, और राहु-केतु शांति हेतु नारियल प्रवाहित करना शुभ माना गया है.
– पितृ दोष या कुल देवता की उपेक्षा
यदि व्यक्ति पितरों की पूजा नहीं करता, श्राद्ध नहीं करता या कुल देवता की उपेक्षा करता है तो भी धन टिकता नहीं है. शास्त्रों में कहा गया है – “पितृ देवो भव।” पितरों की प्रसन्नता से ही लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है. प्रत्येक अमावस्या पर पितरों को जल अर्पण करें और कुल देवता की पूजा करें, तभी स्थायी समृद्धि का मार्ग खुलेगा.
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इन सभी उपायों को श्रद्धा और नियमपूर्वक करने पर निश्चित ही धन की रुकावट दूर होगी और घर में सुख-समृद्धि बनी रहेगी.