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झारखंड के संताल आदिवासियों की अनोखी होली, रंगों से नहीं मनाते होलिकोत्सव, बाहा महोत्सव में दिखेगा उल्लास

Baha Mahotsav 2025: प्रकृति की उपासना का महापर्व बाहा का आगाज 4 मार्च से होगा. इस दौरान महिलाएं जुड़े पर सखुआ फूल सजाएंगी और पानी से होली खेलेंगी. संताल आदिवासी समाज में रंगों से होली खेलने पर प्रतिबंध है. सभी इलाकों में बाहा पर्व मनाने की तिथि जारी हो गयी है.

Baha Mahotsav 2025: जमशेदपुर-जमशेदपुर शहर से सटे आदिवासी बहुल इलाकों में इस बार बाहा महोत्सव की शुरुआत फागुन माह के पांचवें दिन यानी 4 मार्च से होगी. यह लगातार पूर्णिमा तक चलेगी. पहले दिन उम नड़का होगा. इसके बाद दूसरे दिन बाहा बोंगा और तीसरे दिन बाहा सेंदरा के रूप में मनेगा. अलग-अलग गांव के ग्रामीणों ने अपनी सुविधानुसार बाहा बोंगा की तिथि तय की है. सरजामदा निदिरटोला के पारंपरिक पुजारी नायके बाबा पलटन हेंब्रम ने बताया कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष महिला एवं पुरुष पारंपरिक परिधान में जाहेरथान में आकर माथा टेकेंगे और मरांगबुरू जाहेर आयो का आशीर्वाद लेंगे. बाहा बोंगा पूजा के बाद मरांगबुरू और जाहेर आयो के आशीर्वाद के रूप में नायके व सह नायके बाबा समाज समस्त लोगों के बीच सखुआ अर्थात सरजोम बाहा बांटेंगे. पुरुष साल के फूलों को अपने कानों पर लगायेंगे, वहीं समाज की महिलाएं सखुआ फूल को जुड़ों पर सजायेंगी. उन्होंने बताया कि तीसरे दिन बाहा सेंदरा के साथ-साथ एक-दूसरे पर स्वच्छ पानी डालकर बाहा का आनंद उठायेंगे. इसलिए आदिवासी संताल समाज पानी डालकर पानी की होली खेलेंगे. रंगों की होली किसी भी आदिवासी समाज में पूरी तरह वर्जित है. इसलिए पानी डालकर होली खेलने की परंपरा है.

प्रकृति की उपासना का महापर्व है बाहा पर्व


विश्व में संतालों के जितने भी पर्व-त्योहार हैं, उनमें सबसे स्वच्छ और पवित्र पर्व है बाहा. इसमें महिला और पुरुष दोनों ही पारंपरिक नियम-विधि के तहत जाहेरथान में जायेंगे और देवी-देवताओं के आशीर्वाद के रूप में सखुआ फूल ग्रहण करेंगे. बाहा पर्व भारत के अलावा नेपाल, बांग्लादेश, म्यांमार, भूटान तथा अमेरिका में भी बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है. आदिवासी बहुल इलाकों में बाहा पर्व की विशेष तैयारी लगभग पूरी हो गई है.

पारंपरिक नियम विधि से मनायें पर्व


पूरीहासा माझी बाबा भोक्ता हांसदा ने बताया कि पर्व-त्योहार को सादगी व पारंपरिक नियम विधि से मनायें. बाहा बोंगा के दौरान पुरुषों के लिए काला शर्ट, काली धोती व पीली धोती पहनना पूरी तरह से वर्जित रहेगा. वहीं महिलाओं के लिए पंची साड़ी, काला साड़ी, जुड़े में गजरा सजाना व गुलाब फूल का व्यवहार करना पूरी तरह से वर्जित रहेगा.

बाहा बोंगा में इन वस्त्रों का पहनना रहेगा वर्जित

  • पंची साड़ी
  • काला व पीली धोती-शर्ट
  • जुड़े में गुलाब-गजरा व्यवहार

कब, कहां होगा बाहा पर्व


4 मार्च – देवघर
5 मार्च – सारजमदा, तालसा, काचा, मतलाडीह, पूरीहासा, रानीडीह, बालीगुमा, बड़ा गोविंदपुर और डिमना
6 मार्च – केडो, खुखड़ाडीह
7 मार्च – बारीगोड़ा, गोड़ाडीह
8 मार्च – कदमा
9 मार्च – राहरगोड़ा, बिरसानगर, नरवा कॉलोनी,
करनडीह (दिशोम बाहा) सुरदा क्रासिंग (दिशोम बाहा)
10 मार्च – सोनारी
12 मार्च – बर्मामाइंस
13 मार्च – तिलकागढ़, हलुदबनी, उलीडीह, डोमजुड़ी और राजदोहा

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Guru Swarup Mishra
Guru Swarup Mishrahttps://www.prabhatkhabar.com/
मैं गुरुस्वरूप मिश्रा. फिलवक्त डिजिटल मीडिया में कार्यरत. वर्ष 2008 से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से पत्रकारिता की शुरुआत. आकाशवाणी रांची में आकस्मिक समाचार वाचक रहा. प्रिंट मीडिया (हिन्दुस्तान और पंचायतनामा) में फील्ड रिपोर्टिंग की. दैनिक भास्कर के लिए फ्रीलांसिंग. पत्रकारिता में डेढ़ दशक से अधिक का अनुभव. रांची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में एमए. 2020 और 2022 में लाडली मीडिया अवार्ड.

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