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चैती छठ पूजा 2025 का दूसरा दिन आज, ऐसे करें खरना

Chaiti Chhath Puja 2025 Day 2 Kharna: चैती छठ पूजा का दूसरा दिन, जिसे खरना कहा जाता है, 2 अप्रैल 2025, बुधवार को मनाया जा रहा है. इस दिन व्रती पूरे दिन बिना पानी के उपवास रखते हैं और शाम को सूर्य देव की पूजा के बाद गुड़ से बनी खीर, रोटी और फल का सेवन करते हैं. खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू होता है.

Chaiti Chhath Puja 2025 Day 2 Kharna: चैती छठ के महापर्व का आज 2 अप्रैल 2025 को दूसरा दिन है. यह पर्व चार दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें दूसरे दिन खरना का आयोजन किया जाता है. चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से चैती छठ का आयोजन प्रारंभ होता है, जो मंगलवार, 1 अप्रैल से शुरू हो चुका है. इसका समापन सप्तमी तिथि को श्रद्धा के साथ किया जाता है. खरना का अर्थ है शुद्धिकरण. इस दिन महिलाएं उपवास रखती हैं और छठी मैय्या के लिए प्रसाद तैयार करती हैं. खरना के अवसर पर गुड़ की खीर बनाने की परंपरा है, जिसे मिट्टी के चूल्हे पर बनाया जाता है. व्रति महिलाएं सबसे पहले इस खीर को ग्रहण करती हैं, और फिर इसे अन्य लोगों में बांटा जाता है. इस दिन सूर्य देव की विधिपूर्वक पूजा का भी महत्व है.

चैती छठ पूजा के दूसरे दिन खरना

    चैती छठ पूजा का दूसरा दिन, जिसे खरना के नाम से जाना जाता है, 2 अप्रैल 2025, बुधवार को मनाया जाएगा. इस दिन व्रती पूरे दिन बिना पानी के उपवास रखते हैं और शाम को सूर्य देव की पूजा के बाद गुड़ से तैयार की गई खीर, रोटी और फल का सेवन करते हैं. खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास आरंभ होता है.

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    खरना की प्रक्रिया

    सबसे पहले, सुबह-सुबह पूजा स्थल और घर को अच्छे से साफ करना आवश्यक है. खरना के दिन पूजा करने वाले व्यक्ति को स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए. पूजा के लिए गन्ने का उपयोग किया जाता है, और इस दिन गन्ने के टुकड़ों और उसके रस से भी प्रसाद तैयार किया जाता है.

    खरना का प्रसाद

    खरना के प्रसाद में मुख्य रूप से गुड़ की खीर, रोटी और विभिन्न प्रकार के फल शामिल होते हैं. गुड़ की खीर बनाने के लिए चावल, दूध और गुड़ का उपयोग किया जाता है. इसे मिट्टी के चूल्हे पर धीमी आंच पर पकाया जाता है, और इसमें तुलसी के पत्ते भी मिलाए जाते हैं ताकि प्रसाद की पवित्रता बनी रहे.

    सूर्य को अर्घ्य अर्पित करना

    खरना के अवसर पर, व्रती सूर्यास्त से पूर्व सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते हैं. सबसे पहले, छठी मैय्या के पूजा स्थल पर एक दीप जलाया जाता है. इसके बाद, गंगाजल और दूध को मिलाकर सूर्य देव को अर्पित किया जाता है. पूजा के समापन पर, सूर्य देव को प्रसाद का भोग अर्पित किया जाता है, जिसे बाद में लोगों में बांटा जाता है. अंत में, व्रती स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करते हैं, जिसे नैवेद्य के नाम से भी जाना जाता है.

    Shaurya Punj
    Shaurya Punj
    रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज से मास कम्युनिकेशन में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद मैंने डिजिटल मीडिया में 14 वर्षों से अधिक समय तक काम करने का अनुभव हासिल किया है. धर्म और ज्योतिष मेरे प्रमुख विषय रहे हैं, जिन पर लेखन मेरी विशेषता है. हस्तरेखा शास्त्र, राशियों के स्वभाव और गुणों से जुड़ी सामग्री तैयार करने में मेरी सक्रिय भागीदारी रही है. इसके अतिरिक्त, एंटरटेनमेंट, लाइफस्टाइल और शिक्षा जैसे विषयों पर भी मैंने गहराई से काम किया है. 📩 संपर्क : [email protected]

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