Chaiti Chhath Puja 2025: साल में दो बार छठ महापर्व का आयोजन किया जाता है. पहला चैत्र मास में और दूसरा कार्तिक मास में. जबकि छठ पूजा पूरे देश में मनाई जाती है, यह विशेष रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और बंगाल में अत्यधिक श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाई जाती है. सभी त्योहारों में छठ पूजा एक ऐसा पर्व है, जिसे महापर्व के रूप में मनाया जाता है. इस महापर्व के दौरान भगवान सूर्य की विशेष आराधना की जाती है. छठ पूजा में शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है. आइए, ज्योतिषाचार्य डॉ. एन के बेरा से जानते हैं कि चैती छठ कब से शुरू हो रहा है और इसका समापन कब होगा.
शास्त्रों के अनुसार, चैती छठ के अवसर पर भगवान सूर्य और माता षष्ठी की पूजा की जाती है. यह अनुष्ठान चार दिनों तक चलता है और इसमें विशेष विधियों का पालन किया जाता है.
नया संवत्सर रेवती नक्षत्र में करेगा प्रवेश,जानें कैसा रहेगा पूरा वर्ष
- पहला दिन (नहाय-खाय) – इस दिन व्रति शुद्ध आहार ग्रहण कर अपने व्रत की शुरुआत करते हैं.
- दूसरा दिन (खरना) – शाम को विशेष प्रसाद का सेवन किया जाता है, जिसमें गुड़ और चावल की खीर का विशेष महत्व होता है.
- तीसरा दिन (संध्या अर्घ्य) – इस दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाता है.
- चौथा दिन (उषा अर्घ्य) – उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही व्रत का समापन होता है.
चैती छठ 2025: तिथियां और मुहूर्त
- 1 अप्रैल 2025 – नहाय-खाय (व्रत की शुरुआत)
- 2 अप्रैल 2025 – खरना (विशेष प्रसाद ग्रहण)
- 3 अप्रैल 2025 – संध्या अर्घ्य (डूबते सूर्य को अर्घ्य)
- 4 अप्रैल 2025 – उषा अर्घ्य (उगते सूर्य को अर्घ्य और व्रत समाप्त)
चैती छठ का विशेष महत्व है
ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार, छठ महापर्व के दौरान व्रति 36 घंटे तक बिना अन्न और जल के उपवास करती हैं. इस पर्व के अवसर पर, यदि व्रति पूरी श्रद्धा और शुद्ध मन से भगवान सूर्य को अपनी इच्छाओं के साथ अर्घ्य अर्पित करती हैं, तो वह न केवल बड़े से बड़े रोग, दोष और कष्ट से मुक्त होती हैं, बल्कि उनकी सभी इच्छाएं भी पूरी होती हैं. इसके अतिरिक्त, निःसंतान दांपत्य जीवन में यदि भगवान सूर्य और माता षष्ठी की पूजा की जाए, तो उन्हें संतान की प्राप्ति में भी शीघ्रता होती है.