Chaitra Navratri 2025: इस वर्ष चैत्र नवरात्रि केवल 8 दिनों तक मनाई जाएगी, जिससे भक्तों के बीच अष्टमी और नवमी तिथि को लेकर भ्रम उत्पन्न हो गया है. विशेष रूप से अष्टमी तिथि का अत्यधिक महत्व है, क्योंकि इस दिन मां दुर्गा ने चंड-मुंड नामक राक्षसों का वध किया था. इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से पूरे नवरात्रि के समान पुण्य फल प्राप्त होता है. इसके अतिरिक्त, कई भक्त कन्या पूजन का आयोजन भी करते हैं.
अष्टमी के दिन किस देवी की पूजा की जाती है?
चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर मां महागौरी की पूजा की जाती है, जो मां दुर्गा का आठवां रूप है. देवी भागवत पुराण के अनुसार, मां महागौरी भगवान शिव की अर्धांगिनी हैं और उनकी उपासना करने से जीवन की कठिनाइयाँ सरल हो जाती हैं. यह माना जाता है कि इस दिन सच्चे मन से की गई पूजा से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
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कब है चैत्र नवरात्रि अष्टमी 2025?
- अष्टमी तिथि: 5 अप्रैल 2025
- अष्टमी तिथि शुरू: 4 अप्रैल 2025, रात 8:12 बजे
- अष्टमी तिथि समाप्त: 5 अप्रैल 2025, शाम 7:26 बजे
दुर्गा अष्टमी 2025 पूजा मुहूर्त
- संधि पूजा मुहूर्त: शाम 7:02 बजे – 7:50 बजे
- शुभ मुहूर्त: सुबह 7:41 बजे – 9:15 बजे
- चर मुहूर्त: दोपहर 12:24 बजे – 1:58 बजे
- लाभ मुहूर्त: दोपहर 1:58 बजे – 3:33 बजे
- अमृत मुहूर्त: दोपहर 3:33 बजे – 5:07 बजे
अष्टमी पूजन विधि और भोग
- मां महागौरी को लाल चुनरी, नारियल और मिठाई अर्पित करें.
- नारियल और उससे बनी मिठाइयां भोग के रूप में अत्यंत शुभ मानी जाती हैं.
- पूजा के उपरांत नारियल को ब्राह्मण को दान करना या प्रसाद के रूप में वितरित करना शुभ माना जाता है.
कन्या पूजन का महत्व
अष्टमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है. इस दिन 9 कन्याओं को भोजन कराना शुभ माना जाता है. परंपरा के अनुसार, कन्याओं को पूरी, हलवा, सब्जी और काले चने का प्रसाद दिया जाता है. मान्यता है कि इस विधि से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है.
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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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