Forbidden Wear Gold to Waist: धर्म शास्त्र के अनुसार आभूषण महिलाओं के श्रृंगार का एक अहम हिस्सा माना जाता हैं. जिसे आमतौर पर सोने और चांदी के आभूषणों का महत्व अधिक माना जाता है. वहीं भारतीय संस्कृति और पौराणिक परंपरा के अनुसार, आभूषण ग्रहण करने के के कुछ विशिष्ट नियम लागू किया जाता हैं, जिसे उनके नियमों के पालन करना शुभ और पारंपरिक माना जाता है. वहीं इसमें सबसे विशेष नियम यह माना जाता हैं कि सोने के आभूषण हमेशा कमर के ऊपर हिस्से में पहने जाते हैं, वहीं जबकि चांदी के आभूषण कमर के नीचे भाग में पहने जाते हैं.
क्यों वर्जित माना गया है, कमर के नीचे सोना
पौराणिक परंपराओं के अनुसार, सोना धनवैभव की देवी मां लक्ष्मी का प्रतीक होता है. इसे धारण करना बड़े सौभाग्य की बात होती है, लेकिन विशेषकर धनतेरस और दिवाली के शुभ अवसर पर होता हैं. साथ ही सोना माता लक्ष्मी से संबंधित धातु होता है, इसलिए इसे कमर के नीचे ग्रहण करना वर्जित माना जाता है जिससे मां लक्ष्मी रुष्ट हो जाती हैं और धन के देवता कुबेर का प्रकोप सहना पड़ता है.इसी कारण से किसी भी महिलाओं को पैरों में सोने की पायल और बिछिया भूलकर भी नहीं धारण करना चाहिए.
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आभूषण के धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व
भारतीय परंपराओं की मानें तो, यह आस्था तक ही सीमित नहीं होती हैं, वहीं उनके पीछे वैज्ञानिक कारण भी माने जातेहैं. जो कि सोने और चांदी के आभूषण ग्रहण करने के लिए नियम न की केवल धार्मिक महत्व को बताते हैं, बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य और बौद्धिक ऊर्जा तेज के संतुलन के लिए भी फायदेमंद होता हैं.साथ ही सोने और चांदी के आभूषण धारण करने के पीछे धार्मिक,ज्योतिषी और वैज्ञानिक कारण भी छिपे हैं. मान्यता है कि सोने को कमर के ऊपर धारण करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का प्रतीक होता है, जबकि वहीं चांदी के आभूषण कमर के नीचे पैरों में धारण करने से आपके अंदर की नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश नहीं होता है.वही ऐसा माना जाता है कि इन परंपराओं का पालन करने से न केवल शुभता मिलता है,बल्कि स्वस्थ स्वास्थ्य और आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करता हैं.
नकारात्मक ऊर्जा नष्ट:
चांदी धातु शरीर के अपान वायु निचली ऊर्जा को संतुलित करने में मदद करती है और नकारात्मक ऊर्जा को आपसे दूर रखती.वहीं इससे महिलाओं के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है,जिसे विशेष रूप से मासिक धर्म और मूत्र संबंधी क्रियाओं में सहायक होता हैं.
ऊर्जा संतुलन बनाने में मददगार:
हमारे शरीर में तेज ऊर्जा का प्रवाह दो प्रकार से होता है,वहीं ऊपर की ओर सोना तेज ऊर्जा को समाहित करने मे सहायक होता है, जबकि चांदी धातु शरीर के नकारात्मक ऊर्जा शक्ति को नीचे की ओर प्रवाहित करने में सहायता करती है.
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