Guru Purnima 2025 : गुरु पूर्णिमा केवल एक पर्व नहीं, बल्कि गुरु तत्व का सजीव उत्सव है. यह वह दिव्य दिन है जब श्रद्धा, भक्ति और ज्ञान का संगम होता है. परंतु आज हम आपको ऐसी 5 कहानियों में से चुनिंदा प्रसंग बताएंगे जो मुख्य प्रवचनों में नहीं आतीं, परंतु आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक हैं:-
– अर्जुन और श्रीकृष्ण
कुरुक्षेत्र युद्ध से पहले अर्जुन ने अपने सखा श्रीकृष्ण से पूछा – “आप मेरे सारथी हैं या गुरु?”
श्रीकृष्ण मुस्कराए और बोले – “जब तक तू मुझे सखा समझेगा, युद्ध से डरेगा. जब मुझे गुरु मानेगा, तब ज्ञान से विजयी होगा”
संदेश: जब जीवन में संशय हो, तब गुरु ही सत्य की दिशा दिखाते हैं.
– शिव का पहला शिष्य
गुरु तत्व की शुरुआत स्वयं आदियोगी भगवान शिव से मानी जाती है. उन्होंने हिमालय की गुफाओं में तपस्या के दौरान सप्तर्षियों को ध्यान, तंत्र और ब्रह्मज्ञान प्रदान किया.
संदेश: गुरु केवल मनुष्य नहीं, ब्रह्म भी हो सकता है. वह हर युग में अपने शिष्य को खोजता है.
– रैदास और मीराबाई
मीराबाई ने कृष्ण को पति और आराध्य माना, परंतु रैदासजी को अपना गुरु स्वीकारा.
संदेश: चाहे भगवान कितने भी निकट हों, बिना गुरु के आध्यात्मिक साधना पूर्ण नहीं होती.
– बुद्ध और उपक ऋषि
जब भगवान बुद्ध ज्ञान प्राप्त कर लौटे, तो एक ऋषि उपक मिले। उन्होंने पूछा – “तुम कौन हो?”
बुद्ध बोले, “मैं जाग गया हूं”
वह ऋषि केवल उस मौन और दृष्टि से प्रभावित होकर शिष्य बन गए.
संदेश: गुरु की उपस्थिति ही कभी-कभी दीक्षा बन जाती है.
– गुरु द्रोणाचार्य का मौन दान
हमने सुना है कि द्रोणाचार्य ने एकलव्य से अंगूठा मांगा. परंतु यह कम ज्ञात है कि द्रोण ने मन ही मन उसे आशीर्वाद भी दिया – “जिसने मुझे बिना प्रत्यक्ष पाए इतना सीखा, वह संसार को सिखाएगा”
संदेश: सच्चा गुरु शिष्य की उन्नति में बाधा नहीं, प्रेरणा होता है – चाहे वह मौन ही क्यों न रहे.
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गुरु केवल शरीरधारी व्यक्ति नहीं होता; वह एक चेतना है जो अज्ञान को काटकर आत्मज्ञान की ओर ले जाती है. इस गुरु पूर्णिमा पर आइए, हम उन गुरुओं को प्रणाम करें जिनकी कहानियां अब तक अनकही रहीं – परंतु आत्मा को छू जाती हैं.