Guru Purnima 2025 : गुरु पूर्णिमा सनातन धर्म में गुरु-तत्व की आराधना और सम्मान का सबसे पवित्र दिन माना जाता है. यह दिन केवल शारीरिक गुरु को प्रणाम करने का नहीं, बल्कि आध्यात्मिक गुरु और देवताओं के प्रथम पूज्य भगवान गणेश के ध्यान का भी श्रेष्ठ समय होता है. भगवान गणेश को आदिगुरु माना जाता है, जिन्होंने ऋषियों, देवताओं और स्वयं अपने पिता महादेव को भी ज्ञान प्रदान किया. आइए जानें गुरु पूर्णिमा पर गणेश ध्यान के पांच धार्मिक कारण और महत्व:-

– भगवान गणेश हैं ज्ञान और विवेक के आदि स्रोत
भगवान गणेश को “बुद्धि के देवता” कहा गया है. गुरु पूर्णिमा के दिन उनका ध्यान करने से साधक को विवेक, निर्णय क्षमता और आत्मिक जागरूकता प्राप्त होती है. जैसे गुरु अज्ञान के अंधकार को मिटाता है, वैसे ही गणेश जी अज्ञान और मोह का नाश करते हैं.
– गणेश जी हैं प्रथम गुरु – शास्त्रों के लेखक
ऋषि वेदव्यास ने जब महाभारत की रचना की, तो भगवान गणेश को ही लेखक के रूप में चुना. यह घटना दर्शाती है कि गणेश जी केवल आरंभ के देव नहीं, बल्कि शास्त्र ज्ञान और आध्यात्मिक लेखन के भी आदि गुरु हैं. इसलिए गुरु पूर्णिमा पर उनका ध्यान शास्त्रसिद्धि के लिए विशेष फलदायक है.
– विघ्नहर्ता रूप में आध्यात्मिक मार्ग को प्रशस्त करते हैं
गुरु पूर्णिमा साधना और ज्ञानार्जन का श्रेष्ठ दिन है. भगवान गणेश का पूजन इस दिन आध्यात्मिक मार्ग में आने वाले विघ्नों को दूर करता है. उनका स्मरण साधक को अवरोधों से बचाकर गुरु कृपा के योग्य बनाता है.
– गणपति ध्यान से गुरु तत्त्व जागृत होता है
गणेश जी का ध्यान केवल देवता का स्मरण नहीं, बल्कि गुरु तत्त्व की आंतरिक जागृति है. जब साधक “ओम गं गणपतये नमः” मंत्र का जाप करता है, तब वह अपने भीतर के गुरु को जाग्रत करता है जो उसे आत्मज्ञान की ओर ले जाता है.
– सच्चे मन से ध्यान देने पर होती है गुरु कृपा की प्राप्ति
गणेश जी का ध्यान निष्कपट भक्ति से करने पर साधक के जीवन में सही मार्गदर्शन, गुरु मिलन और ज्ञान के स्रोत स्वतः खुलने लगते हैं. गुरु पूर्णिमा के दिन उनका स्मरण सभी प्रकार की अध्यात्मिक बाधाओं को हटाकर चित्त को निर्मल करता है.
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गुरु पूर्णिमा केवल गुरुओं के पूजन का दिन नहीं, यह आत्मा के भीतर बसे आदि गुरु गणेश जी के स्मरण का दिव्य अवसर है. सच्चे मन से उनका ध्यान करने से जीवन में ज्ञान, समर्पण और शांति की धारा बहने लगती है.