Hariyali Amavasya 2025: श्रावण मास की अमावस्या तिथि, जिसे हम हरियाली अमावस्या के नाम से जानते हैं, नारी, प्रकृति और आस्था का अद्भुत संगम है. जहां एक ओर यह दिन पेड़ों की हरियाली और पर्यावरण के प्रति सम्मान का प्रतीक बनता है, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण अंचलों में महिलाओं के लिए यह दिन एक विशेष लोक परंपरा से जुड़ा होता है—झूले की पूजा.
हरियाली अमावस्या 2025: प्रकृति, पूजा और परंपरा का पर्व
यह परंपरा सिर्फ सावन की रचनात्मक मस्ती या मौसमी उल्लास का हिस्सा नहीं है. इसके पीछे छिपा है गहरा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संदेश. झूला यहां केवल खेल या शौक नहीं, बल्कि जीवन की चढ़ाव-उतार वाली लय का प्रतीक है. महिलाएं जब झूले की पूजा करती हैं, तो वे असल में अपने जीवन में संतुलन, सौभाग्य और शांति की कामना करती हैं.
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वृक्षों पर झूला नहीं, संस्कार की डोर बांधी जाती है
विशेष बात यह है कि झूला आमतौर पर पीपल, नीम या आम जैसे पवित्र वृक्षों पर बांधा जाता है, जिन्हें ‘जीवित देवता’ माना जाता है. इन वृक्षों की पूजा केवल धार्मिक कारणों से नहीं, बल्कि प्रकृति के साथ जुड़ाव और संरक्षण की भावना से भी होती है. झूले पर बैठकर स्त्रियां पारंपरिक गीत गाती हैं, जो नारी मन की भावनाओं, ऋतुओं की रचनात्मकता और लोक-संस्कृति की मधुरता से ओतप्रोत होते हैं.
- पुरानी मान्यताओं के अनुसार, हरियाली अमावस्या पर झूले की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है, संतान सुख प्राप्त होता है और घर-परिवार में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है. यह पूजा स्त्री के आत्मबल और प्रकृति के प्रति आभार का सामूहिक उत्सव है.
- आज जबकि शहरी जीवन में ये परंपराएं धूमिल होती जा रही हैं, गांवों में आज भी यह झूला हरियाली, स्त्रीत्व और श्रद्धा की डोर को एक साथ बांधकर सहेजता है.
- हरियाली अमावस्या का यह झूला दरअसल वह कड़ी है जो स्त्री के मन, मौसम और माटी को एक लय में बांधता है.
इस साल 2025 में हरियाली अमावस्या कब है?
पंचांग के अनुसार, श्रावण मास की अमावस्या तिथि की शुरुआत 24 जुलाई 2025 को तड़के 2:28 बजे से हो रही है और इसका समापन 25 जुलाई 2025 को दोपहर 12:40 बजे होगा. उदया तिथि के मान से हरियाली अमावस्या का पर्व 24 जुलाई को ही मनाया जाएगा. इस दिन स्नान, दान और पितृ पूजा जैसे धार्मिक कार्यों के लिए यही तिथि श्रेष्ठ मानी गई है.