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रंगों के त्योहार से पहले इस दिन होगा होलिका दहन, जानें शुभ तिथि और महत्व

Holika Dahan 2025: रंगों का पर्व होली अब केवल तीन दिन दूर है. शहर से लेकर गांव तक होली के रंगों की छटा बिखर गई है. बाजारों में होली की रौनक नजर आने लगी है. गांवों से बाहर रहने वाले लोग लौटने लगे हैं. प्रेम और स्नेह का प्रतीक होली मनाने के लिए हर घर में उत्साह का माहौल है. कई परिवारों में होली के अवसर पर कुलपूज्य देवता की पूजा करने की परंपरा भी है.

Holika Dahan 2025: भारत और विश्वभर में मनाए जाने वाले होली के त्योहार को हर वर्ष बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. हालांकि, वर्ष 2025 में इसकी तिथि को लेकर कुछ असमंजस उत्पन्न हो गया है. कुछ लोग इसे 14 मार्च को मनाने का विचार कर रहे हैं, जबकि अन्य इसे 15 मार्च के रूप में मानते हैं. यदि आप भी होली की तिथि को लेकर भ्रमित हैं, तो आपको सूचित किया जाता है कि 2025 में होली 15 मार्च को मनाई जाएगी, जबकि होलिका दहन 13 मार्च की रात को होगा. फिर भी, कुछ स्थानों पर इसे 14 मार्च को मनाने की संभावना बनी हुई है.

होली की तिथि को लेकर भ्रम क्यों उत्पन्न हो रहा है?

यह भ्रम हिंदू पंचांग में भिन्नता और शुभ मुहूर्त की गणना के कारण है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, होली चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को मनाई जाती है. इस संदर्भ में, 2025 में रंगों का त्योहार 15 मार्च को मनाया जाएगा, जबकि होलिका दहन 13 मार्च की रात को होगा. होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात 10:40 बजे से आरंभ होगा. हालांकि, कुछ मान्यताओं के अनुसार, होली पूर्णिमा से युत प्रतिपदा के बाद मनाई जानी चाहिए, इसलिए कुछ लोग इसे 15 मार्च को मनाने का सुझाव दे रहे हैं.

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होलिका दहन का महत्व

होलिका दहन, जो होली से एक दिन पूर्व मनाया जाता है, धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. यह बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है और भक्तजन इसे संपन्नता और सुख की कामना के लिए करते हैं. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, यह परंपरा प्रह्लाद और होलिका की कथा से संबंधित है. इस दिन लकड़ियों, उपलों (गाय के गोबर से बने कंडे) और अन्य सामग्रियों को जलाकर होलिका दहन किया जाता है. भक्तजन अग्नि की परिक्रमा करते हैं और भगवान विष्णु से शांति और सुख का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. कई स्थानों पर होलिका दहन की राख को पवित्र माना जाता है और इसे घर लाने की परंपरा भी प्रचलित है.

होली का महत्व

होली, जिसे रंगों का पर्व कहा जाता है, आनंद और एकता का प्रतीक है. यह त्योहार न केवल सर्दियों के अंत और वसंत के आगमन का संकेत है, बल्कि यह पुराने मतभेदों को भुलाकर नए संबंध स्थापित करने की प्रेरणा भी देता है. होली के अवसर पर लोग रंग और गुलाल लगाकर, एक-दूसरे को गले मिलकर और मिठाइयों का आनंद लेकर अपनी खुशियों को साझा करते हैं.

यह पर्व विशेष रूप से अपनी जीवंत और रंगीन परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है. इस दिन गलियों और मोहल्लों में लोग ढोल-नगाड़ों की धुन पर नाचते हैं, गुझिया, ठंडाई और विभिन्न व्यंजनों का स्वाद लेते हैं, और पूरे उत्साह के साथ रंगों की मस्ती में लिपट जाते हैं.

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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

Shaurya Punj
Shaurya Punj
रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज से मास कम्युनिकेशन में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद मैंने डिजिटल मीडिया में 14 वर्षों से अधिक समय तक काम करने का अनुभव हासिल किया है. धर्म और ज्योतिष मेरे प्रमुख विषय रहे हैं, जिन पर लेखन मेरी विशेषता है. हस्तरेखा शास्त्र, राशियों के स्वभाव और गुणों से जुड़ी सामग्री तैयार करने में मेरी सक्रिय भागीदारी रही है. इसके अतिरिक्त, एंटरटेनमेंट, लाइफस्टाइल और शिक्षा जैसे विषयों पर भी मैंने गहराई से काम किया है. 📩 संपर्क : [email protected]

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