Janmashtami 2025 : श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, भगवान श्रीकृष्ण के प्राकट्य का पावन पर्व है. इस दिन भक्तगण घरों में बाल गोपाल की मूर्ति को विराजित करते हैं और उनका जन्मोत्सव बड़े ही प्रेम और श्रद्धा से मनाते हैं. लेकिन बहुत से लोग यह नहीं जानते कि श्रीकृष्ण की मूर्ति को किस प्रकार के आसन पर विराजित किया जाना चाहिए, ताकि उनकी कृपा घर में सदा बनी रहे. शास्त्रों और पुराणों में मूर्ति स्थापना की विधि विशेष रूप से वर्णित है:-
– स्वच्छ और ऊंचे स्थान का चयन करें
श्रीकृष्ण की मूर्ति को धरातल से ऊंचाई पर स्थित एक पवित्र स्थान पर विराजित करना चाहिए. नीचे फर्श या जमीन पर मूर्ति नहीं रखनी चाहिए. कोई लकड़ी का पट्टा या चौकी, जिस पर स्वच्छ वस्त्र बिछा हो, वह उपयुक्त आसन होता है. यह प्रतीक होता है सम्मान और पूज्यता का.
– पीला या रेशमी वस्त्र बिछाकर मूर्ति रखें
आसन पर पीले, रेशमी या साफ़ सूती वस्त्र का प्रयोग करें. पीला रंग श्रीकृष्ण को अत्यंत प्रिय है, क्योंकि यह सात्त्विकता, पवित्रता और ऊर्जा का प्रतीक है. वस्त्र को पहले गंगाजल या गौमूत्र से शुद्ध किया जाना शुभ माना जाता है.
– उत्तर-पूर्व दिशा हो सबसे उत्तम
शास्त्रों के अनुसार ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) को देवताओं की दिशा माना गया है. यदि संभव हो, तो बाल गोपाल को उसी दिशा में मुख करके विराजित करें. इससे घर में पॉजिटिव एनर्जी, समृद्धि और शांति बनी रहती है.
– मूर्ति के नीचे पवित्र कुश या तुलसी पत्ता रखें
कुशा को वैदिक धर्म में अत्यंत पवित्र माना गया है. श्रीकृष्ण की मूर्ति के नीचे एक छोटा सा तुलसी पत्ता या कुश का टुकड़ा रखने से वह आसन दिव्यता प्राप्त करता है. यह संकेत करता है कि भगवान को धरती तत्व से जोड़ते समय शुद्ध माध्यम होना चाहिए.
– मूर्ति को झूले पर रखें तो करें विधिवत पूजन
यदि आप झूला या पालना रखते हैं, तो ध्यान रखें कि वह साफ और मजबूत हो. झूले पर भी पहले वस्त्र बिछाएं और बाल गोपाल को प्रेमपूर्वक विराजित करें. प्रतिदिन आरती, पुष्प, भोग और झूला सेवा करें। इससे घर में कृष्ण भक्ति का वातावरण बना रहता है.
यह भी पढ़ें : Janmashtami 2025 : श्रीकृष्ण की 5 शिक्षाएं जो जीवन बदल सकती हैं
यह भी पढ़ें : Janmashtami 2025 पर करें इन 5 मंत्रों का जाप, मिलेगी श्रीकृष्ण की कृपा
यह भी पढ़ें : Janmashtami 2025: इस माह मनाई जाएगी कृष्ण जन्माष्टमी, जानें पूजा विधि और उपवास नियम
श्रीकृष्ण को विराजित करना केवल मूर्ति स्थापना नहीं, बल्कि ईश्वर को अपने घर और हृदय में स्थान देने की भावना है. यदि आसन पवित्र, उचित दिशा में और श्रद्धा से सजाया गया हो, तो भगवान श्रीकृष्ण की कृपा परिवार पर बनी रहती है. इस जन्माष्टमी पर यह सुनिश्चित करें कि आपका आसन शास्त्रसम्मत और भक्तिपूर्ण हो.