Jaya Kishori Tips : आज के युवा अक्सर यह सोचते हैं कि भक्ति और भगवान का नाम लेना सिर्फ बुजुर्गों का काम है, जब जीवन के सारे काम समाप्त हो जाएं, तब भजन-कीर्तन करना चाहिए। लेकिन जया किशोरी जी, जो आज की युवा पीढ़ी के लिए आध्यात्मिक प्रेरणा बन चुकी हैं, इस सोच को पूरी तरह से बदल देती हैं, जया किशोरी जी कहती हैं , “भक्ति कोई उम्र देखकर नहीं आती, ये तो एक अनुभूति है जो जीवन को संवार देती है”. तो आइए जानते हैं, उनके अनुसार भक्ति को क्यों युवावस्था से अपनाना चाहिए, और इससे जीवन में क्या बदलाव आते हैं:-
– भक्ति युवाओं को उद्देश्य देती है
- जया किशोरी जी बताती हैं कि आज का युवा मानसिक तनाव, प्रतियोगिता और भ्रम से घिरा हुआ है.
- भक्ति उन्हें आंतरिक शांति, आत्म-विश्वास और जीवन का सही लक्ष्य देती है.
- श्रीमद्भागवत, रामचरितमानस जैसे ग्रंथ युवाओं को जीवन जीने की कला सिखाते हैं.
– भक्ति कोई नियम नहीं, एक भाव है
- जया दीदी स्पष्ट करती हैं कि भक्ति करने के लिए बुजुर्ग होना जरूरी नहीं.
- यह मन की श्रद्धा है — चाहे आप कॉलेज में हों या नौकरी में, हर जगह और हर उम्र में भक्ति संभव है.
- मोबाइल में सोशल मीडिया देखने का समय है, तो भगवान का नाम लेने में हिचक क्यों?
– भक्ति से जीवन में सकारात्मक सोच आती है
- जब युवा हरि नाम, भजन और सत्संग से जुड़ते हैं, तो उनके विचारों में संतुलन, सहनशीलता और करुणा आती है.
- यही भाव आगे चलकर उन्हें सफलता और संतुलनपूर्ण जीवन प्रदान करते हैं.
– प्रेम और सेवा का मार्ग
- जया किशोरी जी बताती हैं कि भक्ति केवल पूजा-पाठ नहीं, बल्कि प्रेम और सेवा का मार्ग है.
- जब युवा समाज सेवा, दान, सहायता जैसे कार्य करते हैं, तो यही सच्ची भक्ति होती है.
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भक्ति केवल बुजुर्गों का काम नहीं, बल्कि युवाओं के लिए जीवन की सबसे सुंदर शुरुआत है.
जया किशोरी जी का संदेश साफ है —
“अगर आज से भगवान को अपना बना लोगे, तो कल कोई दुख तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा”