Kharmas 2025: होलाष्टक के समाप्त होने के साथ ही हिंदू पंचांग के अनुसार मलमास (खरमास) की शुरुआत होती है, जिसके कारण एक महीने तक शुभ कार्यों पर प्रतिबंध लगा रहता है. धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से मलमास को अशुभ माना जाता है, इसलिए इस अवधि में विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण, मुंडन और अन्य मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं.
खरमास की हुई शुरूआत
होलाष्टक की समाप्ति 13 मार्च को होलिका दहन के दिन से हो चुकी है. अब कल यानी 14 मार्च से खरमास की शुरूआत हो चुकी है. खरमास के दौरान मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन और नए व्यवसाय की शुरुआत करना निषिद्ध है. इस अवधि में वाहन, सोना आदि की खरीदारी भी नहीं की जाती है. खरमास का अंत 14 अप्रैल 2025 को होगा.
मलमास (खरमास) क्या है
- मलमास तब होता है जब सूर्य देव गुरु की राशियों धनु या मीन में प्रवेश करते हैं. इस समय को खरमास भी कहा जाता है और इसे शुभ कार्यों के लिए निषिद्ध माना जाता है.
- इस दौरान देवताओं को विश्राम की अवस्था में माना जाता है.
- ग्रहों की स्थिति इस समय शुभ कार्यों के लिए अनुकूल नहीं होती.
- यह अवधि साधना, भक्ति और दान-पुण्य के लिए अत्यंत उपयुक्त मानी जाती है.
होलाष्टक और मलमास का संबंध
- होलाष्टक होली से आठ दिन पूर्व आरंभ होता है और होलिका दहन के दिन समाप्त होता है.
- यदि इसके बाद मलमास का आरंभ होता है, तो शुभ कार्यों को करने से मना किया जाता है.
- यह स्थिति विशेष रूप से तब उत्पन्न होती है जब सूर्य होली के बाद धनु या मीन राशि में प्रवेश करता है.
- इस कारण एक महीने तक विवाह, गृह प्रवेश, यज्ञोपवीत, मुंडन आदि जैसे कार्य नहीं किए जाते हैं.
मलमास के दौरान क्या करें?
हालांकि इस समय शुभ कार्यों की अनुमति नहीं होती, लेकिन आध्यात्मिक साधना के लिए यह अवधि अत्यंत उपयुक्त मानी जाती है:
- भगवान विष्णु की पूजा करें.
- दान-पुण्य करें और जरूरतमंदों की सहायता करें.
- गाय को चारा दें और तुलसी की सेवा करें.
- व्रत, ध्यान और मंत्र जाप करें.
मलमास के बाद शुभ कार्य कब प्रारंभ होंगे?
मलमास के समाप्त होते ही चैत्र शुक्ल पक्ष में नववर्ष और चैत्र नवरात्रि का आरंभ होता है. इस अवधि से शुभ कार्यों की शुरुआत की जा सकती है.