Krishna Janmashtami Kab Hai: हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है. यह अवसर केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि श्रद्धा, भक्ति और सांस्कृतिक उत्साह का अद्भुत संगम है. मान्यता है कि द्वापर युग में इसी तिथि को, आधी रात के समय, श्रीकृष्ण का जन्म कारागार में हुआ था, जिन्होंने धरती से अधर्म, अन्याय और अत्याचार का अंत किया. इसी कारण इस दिन को ‘अंधकार में प्रकाश के आगमन’ का प्रतीक माना जाता है. वर्ष 2025 में जन्माष्टमी का उत्सव 15 और 16 अगस्त, दो दिनों तक मनाया जाएगा.
कब है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2025? | Janmashtami kab hai
पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि 15 अगस्त की रात 11:49 बजे प्रारंभ होकर 16 अगस्त की रात 9:34 बजे समाप्त होगी. निशिता पूजन मुहूर्त — जो श्रीकृष्ण के वास्तविक जन्म समय का प्रतीक है — 16 अगस्त को रात 12:03 से 12:47 बजे तक रहेगा. इसी समय मंदिरों में झूला झुलाया जाता है और “नंद के घर आनंद भयो” के भजन गूंजते हैं.
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जन्माष्टमी पर व्रत और पूजन विधि
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन भक्त पूरे मनोयोग से व्रत रखते और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं. कुछ लोग निर्जल उपवास रखते हैं, जबकि कुछ फलाहार करते हैं. शुभ फल के लिए इन बातों का पालन करें —
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और घर को साफ-सुथरा रखें.
- पूजा स्थल को फूलों, रंगोली और दीपों से सजाएं.
- भगवान को माखन, मिश्री, दूध, दही, शहद और तुलसी पत्र का भोग लगाएं.
- श्रीकृष्ण को नए वस्त्र, आभूषण, चंदन और फूल अर्पित करें.
- सजाए हुए झूले में बाल गोपाल को विराजमान करें और झूला झुलाएं.
- पूरे दिन भजन, कीर्तन और मंत्र जाप करें.
- निशिता काल में जन्मोत्सव मनाकर प्रसाद का वितरण करें.
जन्माष्टमी का महत्व
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म संसार को पाप, अधर्म और अत्याचार से मुक्ति दिलाने के लिए हुआ था. उनका जीवन सत्य, प्रेम, करुणा और धर्म का संदेश देता है. इस पर्व का मुख्य संदेश यही है कि अंधकार चाहे कितना भी गहरा हो, ईश्वर की कृपा से प्रकाश अवश्य फैलता है.
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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष, वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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