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Life After Death: मरने के बाद आत्मा कहां जाती है? जानिए गरुड़ पुराण की नजर से

Life After Death: मरने के बाद आत्मा कहां जाती है? यह सवाल सदियों से मानव मन को विचलित करता आया है. जानिए इसे धर्म और विज्ञान दोनों दृष्टिकोणों से समझने की कोशिश.

Life After Death: मृत्यु एक गूढ़ और रहस्यमय प्रक्रिया है, जिसे दुनिया के विभिन्न धर्मों और आध्यात्मिक परंपराओं में अलग-अलग दृष्टिकोणों से समझाया गया है. हिंदू धर्म, बौद्ध दर्शन, योग शास्त्र और आधुनिक अध्यात्म सभी इस विचार को स्वीकार करते हैं कि आत्मा नाशवान नहीं होती. शरीर के अंत के बाद भी आत्मा की यात्रा जारी रहती है. यहां हमें ज्योतिषाचार्य संजीत मिश्रा ने मृत्यु के 24 घंटे बाद आत्मा की स्थिति को विस्तार से समझाया है.

सूक्ष्म और कारण शरीर में आत्मा का प्रवेश

हिंदू धर्म के अनुसार, मृत्यु के साथ ही आत्मा (या जीवात्मा) स्थूल शरीर का त्याग कर सूक्ष्म और कारण शरीर में प्रवेश करती है. यह आत्मा अपने साथ जीवन भर के कर्म, इच्छाएँ और संस्कार लेकर चलती है. मृत्यु के तुरंत बाद आत्मा कुछ समय तक पृथ्वी लोक में ही रहती है क्योंकि वह शरीर, परिजनों और भौतिक संबंधों से तुरंत मुक्त नहीं हो पाती. यह अवस्था 24 घंटे से लेकर 13 दिन तक रह सकती है, जो आत्मा के चेतन स्तर और जीवन के कर्मों पर निर्भर करती है.

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आत्मा देख सकती है, लेकिन संवाद नहीं कर सकती

पहले 24 घंटों के दौरान, यह माना जाता है कि आत्मा अपने मृत शरीर के पास ही मंडराती है. वह अपने प्रियजनों को देख सकती है, लेकिन उनसे संवाद नहीं कर पाती. इसे प्रेतावस्था या सूक्ष्मावस्था कहा जाता है. इसीलिए, हिंदू परंपरा में मृत्यु के तुरंत बाद शुद्धिकरण, मंत्र-जाप, गीता का पाठ, हवन और अन्य धार्मिक क्रियाएँ की जाती हैं, ताकि आत्मा को शांति मिले और वह मोह से मुक्त हो सके.

गरुड़ पुराण और यमलोक की अवधारणा

गरुड़ पुराण, कठोपनिषद और ब्रह्मसूत्र जैसे ग्रंथों में वर्णित है कि मृत्यु के पश्चात यमदूत आत्मा को अपने साथ यमलोक ले जाते हैं. वहाँ आत्मा के कर्मों का लेखा-जोखा होता है, जिसके आधार पर उसे स्वर्ग, नरक या पुनर्जन्म की दिशा में भेजा जाता है. यह प्रक्रिया त्वरित भी हो सकती है या धीरे-धीरे भी घट सकती है, जो व्यक्ति के जीवन के कर्मों पर आधारित होती है.

मृत्यु के बाद आत्मा की सूक्ष्म यात्रा की शुरुआत

मृत्यु के 24 घंटे बाद आत्मा अपनी भौतिक पहचान से मुक्त होकर एक सूक्ष्म यात्रा पर निकलती है. यह काल आत्मा के लिए अत्यंत संवेदनशील और निर्णायक होता है. धार्मिक दृष्टिकोण से यह समय साधना, प्रार्थना और शांति के लिए समर्पित होना चाहिए, ताकि आत्मा को मार्गदर्शन और शांति मिल सके और वह अगले जन्म या मोक्ष की ओर अग्रसर हो सके.

डिसक्लेमर:
इस लेख में प्रस्तुत जानकारी धार्मिक ग्रंथों, शास्त्रों, आध्यात्मिक मान्यताओं और उपलब्ध वैज्ञानिक विचारों पर आधारित है. इसका उद्देश्य किसी विशेष मत, विश्वास या विचारधारा को बढ़ावा देना नहीं है, बल्कि पाठकों को विविध दृष्टिकोणों से अवगत कराना है. जीवन, मृत्यु और आत्मा से संबंधित विषय गहरे व्यक्तिगत और आस्थागत होते हैं, अतः पाठक अपने विवेक, अनुभव और विश्वास के अनुसार इन बातों को स्वीकार करें. Prabhatkhabar.com इस विषय पर किसी भी प्रकार के दावे की पुष्टि नहीं करता.

Shaurya Punj
Shaurya Punj
रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज से मास कम्युनिकेशन में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद मैंने डिजिटल मीडिया में 14 वर्षों से अधिक समय तक काम करने का अनुभव हासिल किया है. धर्म और ज्योतिष मेरे प्रमुख विषय रहे हैं, जिन पर लेखन मेरी विशेषता है. हस्तरेखा शास्त्र, राशियों के स्वभाव और गुणों से जुड़ी सामग्री तैयार करने में मेरी सक्रिय भागीदारी रही है. इसके अतिरिक्त, एंटरटेनमेंट, लाइफस्टाइल और शिक्षा जैसे विषयों पर भी मैंने गहराई से काम किया है. 📩 संपर्क : [email protected]

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