Meerut Murder Case, Garud Puran Punishments: उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में पतियों की हत्या के कई चौंकाने वाले मामले सामने आ रहे हैं. पुलिस अभी तक बहुचर्चित सौरभ हत्याकांड के आरोपियों मुस्कान रस्तोगी और साहिल शुक्ला को सजा नहीं दिला पाई है. इसी बीच एक और हत्या की घटना का खुलासा हुआ है, जिसमें पत्नी ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपने पति की हत्या की. इस मामले में हैवानियत की सीमा तब पार हो गई, जब पत्नी ने अपने पति की लाश को 10 बार एक जहरीले सांप से कटवाया. इस पूरे मामले का खुलासा पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हुआ है. यह एक साधारण हत्या नहीं थी, बल्कि एक सुनियोजित साजिश थी, जिसमें जानबूझकर एक विषैले सांप का उपयोग किया गया ताकि इसे ‘दुर्घटना’ के रूप में प्रस्तुत किया जा सके.
धार्मिक ग्रंथों में ऐसे पापों के लिए कठोर दंड
हालांकि कानून के अनुसार यह हत्या मानी जाएगी और अपराधियों को सजा मिलेगी, लेकिन धार्मिक ग्रंथों में भी ऐसे पापों के लिए कठोर दंड का उल्लेख है. गरुड़ पुराण, जो मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा और कर्मों के परिणामों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करता है, ऐसे पापों को अत्यंत गंभीरता से लेता है.
दामाद संग भागने वाली सास को गरुड़ पुराण में कैसा दंड
‘महापाप’ की श्रेणी में आते हैं ये सारे पाप
गरुड़ पुराण के अनुसार, जो व्यक्ति किसी की हत्या करता है, विशेषकर धोखे या विश्वासघात के माध्यम से, उसे मृत्यु के बाद भयानक यम यातनाओं का सामना करना पड़ता है. यदि कोई महिला अपने पति की हत्या करती है या इसमें सहयोग करती है, तो यह कार्य ‘महापाप’ की श्रेणी में आता है.
मृत्यु के बाद मिलती है ये सजा
शास्त्रों के अनुसार, ऐसे पापी को मृत्यु के पश्चात नरक लोक में भेजा जाता है, जहाँ उसे ‘कूट शिलाद’, ‘अंधतमस’ और ‘रौरव’ जैसे भयानक नरकों में यातनाएं सहनी पड़ती हैं. वहाँ उसकी आत्मा को बार-बार जलाया जाता है, यातनाएं दी जाती हैं, और फिर उसे पुनर्जन्म में नीच योनि में भेजा जाता है.
अगला जन्म होता है अत्यंत दुखदायी
गरुड़ पुराण में कहा गया है कि यदि कोई स्त्री अपने पति की हत्या करती है, तो उसका अगला जन्म अत्यंत दुखदायी होता है, और वह कई जन्मों तक अपमान, पीड़ा और अस्वीकृति का सामना करती है.
इस घटना को केवल एक अपराध के रूप में नहीं, बल्कि एक गंभीर नैतिक गिरावट के रूप में देखा जाना चाहिए. चाहे वह भारतीय कानून हो या सनातन धर्म का दृष्टिकोण, दोनों ही ऐसी गतिविधियों को न केवल गलत मानते हैं, बल्कि इसे अत्यंत निंदनीय भी समझते हैं.
अंततः, हमारे द्वारा किए गए कर्मों का फल हमें इस जीवन में या मृत्यु के बाद किसी न किसी रूप में अवश्य भोगना पड़ता है.