Nirjala Ekadashi Niyam 2025 : निर्जला एकादशी, हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण और कठिन व्रत माना जाता है. यह व्रत ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है, और इसका पालन मुख्य रूप से पानी का सेवन न करने के रूप में होता है. इस दिन उपवास करने का उद्देश्य शरीर और आत्मा की शुद्धि है. हालांकि, यह व्रत कठिन होता है, लेकिन अगर इसे सही तरीके से किया जाए तो इसका पुण्य बहुत अधिक मिलता है. यहां कुछ खास नियम दिए गए हैं जिन्हें निर्जला एकादशी व्रत के दौरान ध्यान में रखना चाहिए:-
– व्रत का संकल्प सही समय पर लें
निर्जला एकादशी व्रत का संकल्प एकादशी तिथि के दिन सूर्योदय से पहले लेना चाहिए. व्रत का संकल्प मन में दृढ़ निश्चय से करें और यह संकल्प करें कि आप पूरे दिन केवल शुद्ध और सात्त्विक भोजन का सेवन करेंगे, और जल का त्याग करेंगे. इस संकल्प के साथ मानसिक शुद्धता और संयम को बनाए रखना बेहद महत्वपूर्ण है.
– उपवासी रहें, लेकिन स्वास्थ्य का ध्यान रखें
निर्जला एकादशी व्रत में पानी का भी सेवन नहीं किया जाता है, इसलिए उपवासी रहना आवश्यक है. हालांकि, अगर किसी कारणवश जल न ग्रहण करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो, तो विशेष परिस्थितियों में केवल फलाहार या शाकाहारी भोजन का सेवन किया जा सकता है. इस बात का ध्यान रखें कि व्रत को पूरी श्रद्धा और ध्यान से रखें, लेकिन स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े.
– दिनभर ध्यान और प्रार्थना करें
निर्जला एकादशी व्रत का उद्देश्य केवल उपवास करना नहीं है, बल्कि यह दिन भगवान श्री विष्णु की उपासना और ध्यान के लिए भी समर्पित होता है. पूरे दिन में विशेष रूप से श्री विष्णु के मंत्रों का जाप करें और उनका ध्यान करें. “ओम नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का 108 बार जाप करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. इस दिन विशेष रूप से श्री विष्णु की पूजा करनी चाहिए.
– रात्रि में पारण करें
निर्जला एकादशी के दिन रात को व्रत का पारण (समाप्ति) करना आवश्यक है. पारण के समय किसी पवित्र स्थान पर जाएं और ब्राह्मणों को दान करें। इस दिन रात को भोजन करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है. पारण के समय नारियल, फल, ताजे पानी, शहद आदि का सेवन करके व्रत का समापन करें.
– ब्राह्मणों को दान करें
निर्जला एकादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन और दान देने से व्रत का पूर्ण फल मिलता है. यदि संभव हो तो दान में वस्त्र, अन्न, फल, और धन दें. ब्राह्मणों का आशीर्वाद और संतुष्टि व्रत के पुण्य को बढ़ा देती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है.
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निर्जला एकादशी व्रत अत्यधिक महत्वपूर्ण है और इसे पूर्ण श्रद्धा और अनुशासन से पालन करना चाहिए। अगर उपरोक्त नियमों का पालन किया जाए तो यह व्रत न केवल शरीर की शुद्धि करता है बल्कि मानसिक और आत्मिक शांति भी प्रदान करता है. व्रत को पूरी श्रद्धा और नियम से रखने से भगवान श्री विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है.