Premanand Ji Maharaj Tips : रक्षाबंधन केवल एक सांस्कृतिक पर्व नहीं, अपितु धर्म, करुणा और जिम्मेदारी का पावन अवसर है. यह पर्व हमें स्मरण कराता है कि भाई-बहन का रिश्ता केवल रक्त का नहीं, आत्मिक प्रेम, सेवा और समर्पण से जुड़ा होता है. परमार्थ संत श्री प्रेमानंद जी महाराज अपने प्रवचनों में बार-बार इस बात पर ज़ोर देते हैं कि रक्षाबंधन का पर्व केवल राखी बांधने की रस्म नहीं, बल्कि एक उच्च आत्मिक संकल्प और व्यवहार की शुद्धता का प्रतीक है. नीचे प्रस्तुत हैं प्रेमानंद जी महाराज के संदेश, जिन्हें हर भाई-बहन को रक्षाबंधन पर अपनाना चाहिए:-
– “रक्षाबंधन केवल रक्षा का वचन नहीं, सेवा का अवसर है”
प्रेमानंद जी कहते हैं कि भाई को केवल बहन की रक्षा नहीं करनी चाहिए, बल्कि उसके स्वाभिमान, शिक्षा और आत्मनिर्भरता की रक्षा भी करनी चाहिए. रक्षा का वचन तभी सार्थक होता है जब उसमें सेवा और संवेदना जुड़ी हो.
– “बहन का आशीर्वाद, माता के आशीर्वाद से कम नहीं होता”
महाराज जी के अनुसार, बहन के मन से निकला आशीर्वाद शुद्ध, निष्कलंक और ईश्वरतुल्य होता है. भाई यदि सच्चे भाव से बहन की सेवा और आदर करे, तो उसके जीवन में ईश्वर स्वयं रक्षा करते हैं.
– “रिश्तों में प्रेम रहे, लेकिन अपेक्षाएं न बनें बोझ”
रक्षाबंधन का अर्थ केवल भौतिक उपहारों तक सीमित नहीं होना चाहिए. प्रेमानंद जी समझाते हैं कि भाई-बहन को अपने संबंधों में सहजता, क्षमा और समर्पण बनाए रखना चाहिए, न कि तोहफों और दिखावे से इसे बांधना.
– “रक्षा-सूत्र बांधते समय मन में हो ईश्वर का ध्यान”
राखी केवल धागा नहीं, एक ईश्वरीय ऊर्जा का सूत्र है. प्रेमानंद जी महाराज का कहना है कि राखी बांधते समय बहन को मन-ही-मन प्रभु से प्रार्थना करनी चाहिए –
“हे प्रभु! मेरे भाई का जीवन धर्ममय, सत्कर्ममय और प्रभुभक्ति से पूर्ण हो”
– “एक-दूसरे के आत्मिक कल्याण का बनें माध्यम”
महाराज जी के अनुसार, भाई-बहन केवल सांसारिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक सहयोगी भी हों. भाई, बहन को भक्ति मार्ग पर प्रेरित करे और बहन, भाई के अंदर सद्भाव और सेवा का भाव जगाए.
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रक्षाबंधन 2025 पर यदि हम प्रेमानंद जी महाराज के इन पावन संदेशों को आत्मसात करें, तो हमारा पारिवारिक जीवन केवल प्रेममय नहीं, बल्कि धर्ममय और ईश्वरमय भी हो जाएगा.