Premanand Ji Maharaj Tips : धर्म और अध्यात्म की गूढ़ता में संतों के वचनों का विशेष महत्व होता है. प्रेमानंद जी महाराज ने जीवन के गूढ़ रहस्यों को सरल और प्रभावशाली रूप में समझाया है. उन्होंने कहा है कि धन, यश और वैभव मोह नहीं है, बल्कि यह हमारा दुष्कर्मों और सांसारिक मोह-माया के बंधनों से निकलने का अवसर है. विराट कोहली जैसे युवाओं को भी उन्होंने जीवन में इस महान सत्य को अपनाने की सलाह दी है. यहां उनके प्रमुख उपदेश प्रस्तुत हैं:-
– धन-यश को न समर्पित करें, परंतु साधना का माध्यम बनाएं
प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि धन और यश स्वाभाविक हैं, ये बुरी नहीं हैं. समस्या तब आती है जब इन्हें ही जीवन का एकमात्र लक्ष्य बना लिया जाता है. धन और यश को भगवान की देन समझकर उनका सदुपयोग करें, इन्हें मोहताज न बनाएं. विराट कोहली जैसे लोगों को चाहिए कि वे अपने प्रसिद्धि और धन का उपयोग धर्म, सेवा और समाज के उत्थान में करें.
– मोह-माया में फंसकर नष्ट न हों, आत्मा का जागरण करें
मोह माया का मोह इंसान को आध्यात्मिक विकास से दूर ले जाता है. प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि मोह में फंसना जीवात्मा के लिए सबसे बड़ा अंधकार है. विराट कोहली को भी यह संदेश दिया गया कि वह अपने कर्मों को समर्पित करें और भौतिकता से ऊपर उठकर आत्मा की खोज करें. इससे मन में स्थिरता और शांति का आगमन होता है.
– अपने कर्मों को भगवान को अर्पित करें, फल की चिंता त्यागें
धर्मशास्त्रों का यह महान नियम प्रेमानंद जी महाराज ने विराट कोहली समेत सभी को बताया कि कर्म करो पर फलों की इच्छा न रखो. इस से मन की चिंता और तनाव दूर होता है. अपनी सफलता या असफलता को भगवान की इच्छा मानकर संतोष व भक्ति का मार्ग अपनाएं.
– विनम्रता और सदाचार से जीवन का आधार बनाएं
संत प्रेमानंद जी का कहना है कि धन और यश का सही उपयोग तभी संभव है जब व्यक्ति विनम्र और सरल स्वभाव का हो. विराट कोहली जैसे व्यक्तित्व को चाहिए कि वे अपनी उपलब्धियों के साथ-साथ सदाचार, संयम और सहनशीलता को भी अपने जीवन में सर्वोपरि रखें. इससे समाज में सम्मान और आत्म-सम्मान दोनों बढ़ते हैं.
– नियमित साधना और प्रार्थना से मन को शुद्ध करें
प्रेमानंद जी महाराज का अंतिम संदेश है कि धन-यश में न फंसें, बल्कि रोज़ाना प्रभु की साधना करें. प्रार्थना और ध्यान से मन में शुद्धि आती है, जो आत्मा को स्थिरता और ऊर्जा प्रदान करती है. विराट कोहली को भी यही सलाह दी गई कि वे अपने आध्यात्मिक जीवन को न भूलें, इससे जीवन में सच्ची सफलता और संतोष मिलती है.
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इन उपदेशों में छिपा है जीवन का सार—धन और यश का मोह नहीं, बल्कि उनका सही उपयोग और आत्मा का जागरण ही परम लक्ष्य होना चाहिए. प्रेमानंद जी महाराज के ये सन्देश हर युग के लिए अमूल्य हैं.