Raksha Bandhan 2025 : रक्षाबंधन का पर्व केवल राखी बांधने तक सीमित नहीं होता, बल्कि भाई की आरती उतारना एक अत्यंत शुभ और धार्मिक क्रिया है. यह क्रिया केवल बहन द्वारा भाई के प्रति प्रेम का प्रतीक नहीं, बल्कि उसकी सुरक्षा, समृद्धि और दीर्घायु की कामना से जुड़ी होती है. आइए जानते हैं रक्षाबंधन के दिन भाई की आरती कैसे करें – मंत्रों, थाली की सामग्री और धार्मिक नियमों सहित:-
– आरती से पहले पूजन थाली कैसे तैयार करें?
– सामग्री
- कुमकुम (तिलक के लिए)
- चावल
- घी या कपूर का दीपक
- मिठाई
- राखी
- एक पानी का छोटा पात्र (शुद्ध जल के लिए)
- थाली को स्वास्तिक चिन्ह से सजाएं और उसे उत्तर या पूर्व दिशा की ओर रखें.
– आरती किस दिशा में बैठकर करें?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूजा करते समय बहन को उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए. भाई को उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठाना चाहिए, जिससे सकारात्मक ऊर्जा दोनों के मध्य प्रवाहित होती है. यह दिशा धर्म, सफलता और कल्याण का प्रतीक मानी जाती है.
– भाई की आरती करते समय कौन सा मंत्र पढ़ें?
आरती करते समय यह मंत्र श्रद्धापूर्वक पढ़ें:
“ओम यथा चन्द्रार्कौ नवनंति तौ यथा मे भ्राता चिरंजीव भूयात्”
(अर्थ: जैसे चंद्रमा और सूर्य अमर हैं, वैसे ही मेरा भाई दीर्घायु और समृद्ध हो)
इस मंत्र को बोलते हुए भाई की घड़ी की दिशा (दाईं से बाईं) में तीन बार आरती करें.
– आरती के बाद क्या करें?
आरती पूर्ण होने के बाद भाई के माथे पर तिलक लगाएं, अक्षत रखें और राखी बांधें . फिर मिठाई खिलाकर उनकी लंबी उम्र, स्वास्थ्य और सफलता की कामना करें. भाई उपहार या दक्षिणा देकर बहन को आशीर्वाद देता है.
– ध्यान रखें ये धार्मिक बातें
- पूजा या आरती अशुद्ध वस्त्रों में न करें.
- पूजा से पहले स्नान अवश्य करें.
- किसी भी प्रकार के विवाद या अपशब्द आरती के समय न बोलें.
- थाली में टूटा हुआ दीपक या दूषित मिठाई न रखें.
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रक्षाबंधन की आरती एक पवित्र धार्मिक क्रिया है, जो केवल परंपरा नहीं बल्कि संस्कार और शक्ति का प्रतीक है. इसे श्रद्धा, विधि और सही मंत्रों के साथ करें ताकि यह पर्व जीवन में शुभता और प्रेम बढ़ाए.