Raksha Bandhan Puja Thali 2025 : रक्षाबंधन केवल एक पर्व नहीं, बल्कि भाई-बहन के रिश्ते का एक पवित्र बंधन है. इस दिन बहन अपने भाई की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और रक्षा के लिए पूजा करती है और राखी बांधती है. इस पूरे अनुष्ठान में पूजा की थाली का विशेष महत्व होता है, जिसमें कई धार्मिक प्रतीक होते हैं — जैसे कपूर और अक्षत. ये दोनों वस्तुएं सिर्फ पूजन सामग्री नहीं, बल्कि गहराई से जुड़े धार्मिक और आध्यात्मिक अर्थ रखती हैं. आइए जानते हैं क्यों जरूरी है पूजा थाली में कपूर और अक्षत रखना:-

– कपूर नेगेटिव एनर्जी को करता है दूर
कपूर को हिंदू धर्म में पवित्र अग्नि तत्व माना जाता है. जब रक्षाबंधन पर भाई की आरती करते समय कपूर जलाया जाता है, तो उससे निकलने वाली सुगंध और धुआं वातावरण को शुद्ध करता है और नेगेटिव एनर्जी को नष्ट करता है. यह भाई के चारों ओर एक आभामंडल बनाता है जो उसे बुरी नजर और अनिष्ट शक्तियों से बचाता है.
– अक्षत अखंडता और समर्पण का प्रतीक
अक्षत यानी साबूत चावल, टूटे नहीं होते. यही कारण है कि पूजा में इनका उपयोग होता है — ये अखंड प्रेम और समर्पण का प्रतीक हैं. जब बहन भाई की तिलक के साथ अक्षत लगाती है, तो वह यह कामना करती है कि भाई का जीवन सदैव अखंड, समृद्ध और संपूर्ण बना रहे.
– धार्मिक शास्त्रों में मान्यता
धार्मिक ग्रंथों में स्पष्ट रूप से वर्णित है कि किसी भी देवी-देवता की पूजा बिना चावल और अग्नि कपूर के अधूरी मानी जाती है. रक्षाबंधन भी धार्मिक अनुष्ठान का ही एक भाग है, इसलिए पूजा थाली में इनका होना शास्त्र सम्मत है.
– कपूर से बढ़ता है मानसिक एकाग्रता
जब बहन आरती करती है और कपूर की लौ को देखती है, तो उसकी भावनाएं और मन दोनों केंद्रित हो जाते हैं. यह क्षण भगवान से जुड़ाव और भाई के लिए सच्ची प्रार्थना का प्रतीक होता है.
– पॉजिटिव वातावरण का निर्माण
कपूर और अक्षत, दोनों मिलकर पूजा स्थल पर एक सात्विक और पॉजिटिव वातावरण बनाते हैं. यह ऊर्जा न केवल भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत बनाती है, बल्कि पूरे परिवार में भी शांति और सौहार्द लाती है.
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रक्षाबंधन पर पूजा थाली में कपूर और अक्षत का होना केवल परंपरा नहीं, बल्कि गहरा आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व रखता है. ये दोनों सामग्री भाई-बहन के रिश्ते को आशीर्वाद, सुरक्षा और पॉजिटिविटी से भर देती हैं.