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Sawan Shivratri 2025 पर ऐसे करें शिव पूजन, होंगे सभी कष्ट दूर

Sawan Shivratri 2025: सावन शिवरात्रि 2025 का पर्व भगवान शिव को प्रसन्न करने का श्रेष्ठ अवसर है. इस दिन विधिपूर्वक शिव पूजन करने से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है. यहां से जानिए पूजा की सही विधि, शुभ मुहूर्त और व्रत का महत्व.

Sawan Shivratri 2025:हिंदू धर्म में सावन का महीना भगवान शिव की आराधना का सबसे पावन समय माना जाता है. पूरे महीने भक्त उपवास, पूजा और रुद्राभिषेक जैसे धार्मिक अनुष्ठानों में लीन रहते हैं. इनमें भी सावन शिवरात्रि का विशेष महत्व है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन श्रद्धा और विधिपूर्वक भगवान शिव की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

किस दिन है सावन शिवरात्रि 2025?

हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि मनाई जाती है.

  • तिथि: बुधवार, 23 जुलाई 2025
  • चतुर्दशी आरंभ: 23 जुलाई सुबह 4:39 बजे
  • चतुर्दशी समाप्त: 24 जुलाई तड़के 2:28 बजे
  • पूजा का सर्वोत्तम समय – निशीथ काल
  • रात का समय शिव पूजन के लिए सर्वोत्तम माना जाता है, खासकर निशीथ काल.
  • निशीथ काल पूजा मुहूर्त: 24 जुलाई को रात 12:07 से 12:48 बजे तक (कुल 41 मिनट)

चार प्रहर की पूजा के समय

सावन शिवरात्रि पर रातभर चार प्रहरों में भगवान शिव की पूजा का विधान है:

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  • पहला प्रहर: शाम 7:17 से रात 9:53 बजे तक
  • दूसरा प्रहर: रात 9:53 से 12:28 बजे तक
  • तीसरा प्रहर: रात 12:28 से 3:03 बजे तक
  • चौथा प्रहर: तड़के 3:03 से 5:38 बजे तक

पूजा विधि

  • प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें.
  • पूजा स्थान पर शिव-पार्वती की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें.
  • शिवलिंग पर दूध, दही, जल, शहद और गंगाजल से अभिषेक करें.
  • शिवजी को बेलपत्र, धतूरा, सफेद फूल अर्पित करें, माता पार्वती को सुहाग सामग्री चढ़ाएं.
  • घी का दीपक जलाएं, धूप अर्पित करें और आरती करें.
  • रात भर जागरण या मंत्र जाप करें.

व्रत पारण का समय

  • व्रतधारी अगली सुबह पूजा कर व्रत का पारण करते हैं.
  • व्रत तोड़ने का शुभ समय: 24 जुलाई को सुबह 5:38 बजे के बाद

कहां कहां मनाई जाती है सावन शिवरात्रि?

उत्तर भारत (उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब, हिमाचल आदि) में सावन शिवरात्रि धूमधाम से मनाई जाती है. दक्षिण और पश्चिम भारत (महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु आदि) में इसे आषाढ़ शिवरात्रि कहा जाता है क्योंकि वहां अमांत पंचांग का पालन होता है.

यह व्रत विशेष रूप से विवाहित महिलाओं और कुंवारों के लिए फलदायी माना जाता है. इससे वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और प्रेम बना रहता है तथा योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति होती है.

ज्योतिष, जन्मकुंडली, रत्न, वास्तु और व्रत-पर्व संबंधित किसी भी जानकारी के लिए संपर्क करें:

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष, वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594 | 9545290847

Shaurya Punj
Shaurya Punj
रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज से मास कम्युनिकेशन में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद मैंने डिजिटल मीडिया में 14 वर्षों से अधिक समय तक काम करने का अनुभव हासिल किया है. धर्म और ज्योतिष मेरे प्रमुख विषय रहे हैं, जिन पर लेखन मेरी विशेषता है. हस्तरेखा शास्त्र, राशियों के स्वभाव और गुणों से जुड़ी सामग्री तैयार करने में मेरी सक्रिय भागीदारी रही है. इसके अतिरिक्त, एंटरटेनमेंट, लाइफस्टाइल और शिक्षा जैसे विषयों पर भी मैंने गहराई से काम किया है. 📩 संपर्क : [email protected]

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