Sawan Somwar Vrat Katha: सावन का पहला सोमवार आज 14 जुलाई 2025 को है, जो भगवान शिव की भक्ति के लिए अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है. इस दिन शिवभक्त व्रत रखकर जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं. लेकिन सावन सोमवार की पूजा तब तक अधूरी मानी जाती है जब तक शिव व्रत कथा का श्रवण या पाठ न किया जाए. यह कथा न केवल भगवान शिव की कृपा को आकर्षित करती है, बल्कि मनोकामनाओं की पूर्ति का मार्ग भी खोलती है.
Sawan Somwar Vrat Katha: भक्ति, तप और वरदान की दिव्य गाथा
एक समय की बात है, किसी नगर में एक धनी साहूकार रहता था. उसके पास धन-दौलत की कोई कमी नहीं थी, लेकिन संतान न होने का दुःख उसे हमेशा सालता था. संतान प्राप्ति की आशा में वह पूरे श्रद्धा-भाव से सोमवार का व्रत करता और भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा करता था.
सावन की पहली सोमवारी आज, पहाड़ी मंदिर में भक्तों का उमड़ा जनसैलाब
उसकी सच्ची भक्ति से प्रसन्न होकर माता पार्वती ने भगवान शिव से उसकी मनोकामना पूर्ण करने की प्रार्थना की. पहले तो शिवजी ने कहा कि हर व्यक्ति को अपने कर्मों के अनुसार ही फल मिलता है, लेकिन माता के बार-बार अनुरोध करने पर उन्होंने साहूकार को पुत्र रत्न का वरदान दे दिया—साथ ही यह भी कहा कि वह पुत्र केवल 12 वर्ष तक ही जीवित रहेगा.
साहूकार यह बात सुनकर भी विचलित नहीं हुआ और पहले की तरह भगवान शिव की पूजा करता रहा. कुछ समय बाद उसकी पत्नी ने एक सुंदर पुत्र को जन्म दिया. जब वह पुत्र 11 वर्ष का हुआ, तो साहूकार ने उसे पढ़ाई के लिए काशी भेजा. साथ में उसका मामा भी था, जिसे रास्ते में यज्ञ और ब्राह्मणों को भोजन कराने का आदेश मिला था.
राजा की कन्या से अनजाने में विवाह
रास्ते में वे एक राज्य में रुके, जहां एक राजकुमारी का विवाह हो रहा था. दूल्हा एक आंख से काना था, और यह बात छुपाई जा रही थी. राजकुमार के पिता ने साहूकार के पुत्र को अस्थायी दूल्हा बनाकर विवाह कराने की योजना बनाई. विवाह हो गया, लेकिन साहूकार का पुत्र सत्यवादी था. उसने दुपट्टे पर लिखा कि “तुम्हारा विवाह मुझसे हुआ है, न कि उस काने राजकुमार से.” यह पढ़कर राजकुमारी ने अपने माता-पिता को सब बताया, और विवाह रोक दिया गया.
काशी में यज्ञ और मृत्यु
काशी पहुंचकर यज्ञ की तैयारियां शुरू हुईं. जिस दिन वह बालक 12 वर्ष का हुआ, उसी दिन उसकी तबीयत खराब हो गई और उसकी मृत्यु हो गई. मामा का विलाप देखकर उसी मार्ग से गुजर रहीं माता पार्वती को दया आई. उन्होंने भगवान शिव से बालक को पुनर्जीवित करने की प्रार्थना की. पहले तो शिवजी ने मना किया लेकिन अंततः माता पार्वती के आग्रह पर बालक को जीवनदान देना पड़ा.
शिवजी ने सपने में दिया आशीर्वाद
बालक पढ़ाई पूरी कर घर लौटा. माता-पिता पुत्र को देख अत्यंत प्रसन्न हुए. उसी रात भगवान शिव ने सपने में साहूकार को दर्शन दिए और कहा, “हे श्रेष्ठी! तेरी भक्ति और सावन सोमवार व्रत कथा सुनने के फलस्वरूप ही तेरे पुत्र को दीर्घायु प्राप्त हुई है. जो भी श्रद्धा से यह व्रत करेगा और कथा सुनेगा, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी.”
इसलिए सावन सोमवार के दिन यह कथा पढ़ना, सुनना और सुनाना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है. आप भी इस व्रत को श्रद्धा से करें और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करें.
सावन का पहला सोमवार इस वर्ष 14 जुलाई 2025 को पड़ रहा है. यह दिन भक्ति, तपस्या और आत्मिक समर्पण का प्रतीक माना जाता है. सावन सोमवार का व्रत कोई साधारण अनुष्ठान नहीं, बल्कि भगवान शिव के प्रति गहरे विश्वास और श्रद्धा का एक दिव्य अभ्यास है, जिसे मनोकामना पूर्ति का श्रेष्ठ माध्यम माना जाता है.
इस व्रत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है सावन सोमवार व्रत कथा का श्रवण और पाठ. यह कथा एक व्यापारी की कहानी है, जिसकी अटूट शिवभक्ति ने उसे न केवल संतान सुख प्रदान किया, बल्कि उसके पुत्र को मृत्यु के मुंह से भी वापस लौटा दिया.
यह पौराणिक प्रसंग यह दर्शाता है कि सच्चे मन से की गई शिव आराधना जीवन के सबसे कठिन संकटों को भी टाल सकती है और हर प्रकार की कामना को पूर्ण कर सकती है.
इस व्रत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है सावन सोमवार व्रत कथा का श्रवण और पाठ। यह कथा एक व्यापारी की कहानी है, जिसकी अटूट शिवभक्ति ने उसे न केवल संतान सुख प्रदान किया, बल्कि उसके पुत्र को मृत्यु के मुंह से भी वापस लौटा दिया.
यह पौराणिक प्रसंग यह दर्शाता है कि सच्चे मन से की गई शिव आराधना जीवन के सबसे कठिन संकटों को भी टाल सकती है और हर प्रकार की कामना को पूर्ण कर सकती है.