Shaneshchari Amavasya 2025 : 2025 में शनैश्चरी अमावस्या पर एक अत्यंत दुर्लभ ज्योतिषीय योग बनेगा, जब शनि ग्रह मीन राशि में प्रवेश करेगा. यह घटना 30 साल बाद हो रही है और इसका विशेष प्रभाव सभी राशियों पर पड़ने वाला है. आइए जानते हैं इस दुर्लभ योग के बारे में महत्वपूर्ण बिंदुओं के माध्यम से:-
– शनैश्चरी अमावस्या का महत्त्व
शनैश्चरी अमावस्या वह दिन है जब शनिवार को अमावस्या तिथि आती है. यह दिन विशेष रूप से शनि ग्रह से जुड़ा होता है, और इस दिन किए गए शनि पूजा और उपायों को विशेष महत्व दिया जाता है.
अमावस्या का दिन मृतात्माओं की शांति के लिए भी उपयुक्त माना जाता है. इसी दिन शनि के प्रभाव को शांति देने के लिए विशेष पूजा-अर्चना की जाती है.
– शनि का मीन राशि में प्रवेश
शनि का मीन राशि में प्रवेश 30 साल बाद हो रहा है. शनि, जो कि न्याय का कारक ग्रह है, मीन राशि में अपने स्वभाव के विपरीत कार्य करता है, क्योंकि मीन एक जल तत्व की राशि है.
इस दौरान शनि अधिक संवेदनशील और विचारशील बनते हैं, जिससे लोगों के जीवन में बदलाव हो सकते हैं. इस स्थिति में लोगों को अपने कर्मों के फल का अनुभव अधिक तीव्रता से होगा.
– शनि के मीन में प्रवेश का प्रभाव
मीन राशि में शनि का प्रवेश कुछ राशियों के लिए शुभ और कुछ के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है. विशेष रूप से मिथुन, कन्या, धनु और मीन राशि वालों को यह प्रवेश अधिक प्रभाव डाल सकता है.
यह समय आत्मनिर्भरता और धैर्य का होता है. शनि मीन में ध्यान और आध्यात्मिक उन्नति की ओर प्रवृत्त करता है, जिससे मानसिक शांति और संतुलन मिलता है.
– पूजा और उपाय
शनैश्चरी अमावस्या पर विशेष रूप से शनि देव की पूजा करनी चाहिए. इस दिन शनि की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाना और शनि मंत्रों का जाप करना बहुत प्रभावी होता है.
इसके अलावा, शनिवार को काले तिल, सरसों का तेल, और काले कपड़े का दान करने से शनि के दोषों का निवारण होता है और शुभ फल की प्राप्ति होती है.
– भविष्यवाणी और लाभ
शनैश्चरी अमावस्या पर शनि के मीन में प्रवेश के बाद कुछ लोगों के जीवन में तनाव और चिंता बढ़ सकती है, लेकिन अगर इस समय को सही तरीके से पूजा और ध्यान के साथ बिताया जाए, तो यह समय बहुत ही शुभ सिद्ध हो सकता है.
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शनि का मीन राशि में प्रवेश और शनैश्चरी अमावस्या का संयोजन एक दुर्लभ और प्रभावशाली ज्योतिषीय घटना है, जो जीवन में महत्वपूर्ण परिवर्तन ला सकती है. यह समय शनि के प्रभाव को सही तरीके से समझने और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में कदम बढ़ाने का है.